
Varsha Ritu
Varsha Ritu- हमारे देश में प्रत्येक ऋतुओं का अपना ही महत्व है। जिस प्रकार से वसंन ऋतु का अपना महत्व है उसी प्रकार से वर्षा ऋतु का भी अपना महत्व है। भारत के चार प्रमुख ऋतुओं में वर्षा ऋतु एक है। धरती को बहुत तपाने के बाद बरीश कि हल्की फुआरों के साथ यह मौसम लगभग जुलाई से शुरु होता है और सितंबर तक रहता है। हम इन्सानों के साथ ही पशु-पक्षीओं, जानवरों को भी मानसून का आतुरता से इन्तजार रहता है।
धरती की प्राकृतिक सुन्दरता
वर्षा के दौरान धरती की प्राकृतिक छटा भी सुन्दर हो जाती है। वर्षा के जल से नहा कर यह धरती एक बार फिर युवा हो जाती है। वर्षाकाल जहां प्रकृति के कण-कण में जीवन का संचार करता है, मिट्टी को ऐसा बना देता है कि वह हरियाली से भर उठती है, वहीं व्यक्ति और समाज की आध्यात्मिक चेतना को जगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अध्यात्म को बढ़ाने का समय ‘चातुर्मास’
वर्षा काल के इस समय को ‘चातुर्मास‘ भी कहा जाता है क्योंकि वर्षा ऋतु चार माह का होता है। जैन प्रथा में आषाढ़ी पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक का समय ‘चातुर्मास‘ कहलाता है जबकी वैदिक प्रथा में आषाढ़ से आसोज तक का समय ‘चातुर्मास‘ कहलाता है।
‘चातुर्मास‘ का समय आत्म-वैभव को पाने और अध्यात्म की फसल उगाने की दृष्टि से अच्छा माना जाता है। इसी कारण से अविरल पदयात्रा करने वाले साधु-संत भी इस समय एक जगह स्थिर प्रवास करते हैं और उन्हीं की प्रेरणा से धर्म जागरण में वृद्धि होती है।
मनुस्मृति और मत्स्य पुराण में कहा गया है कि साधु-संन्यासी जन गरमी और सर्दी की ऋतुओं के आठ महीनों में अविरल पदयात्रा करते रहें, लेकिन सब प्राणियों की दया हेतु वर्षा ऋतु में एकत्र निवास करें।
भारतीय खेती का समय वर्षा ऋतु
भारतीय खेती की जान है वर्षा ऋतु। भारत के बहुत बड़े भू-भाग पर खेती की जाती है और सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण प्राकृतिक वर्षा पर ही खेती निर्भर रहती है। लेकिन कभी मानसून का आगमन समय से न होने पर फसलें सुख जाती है। देश को भंयकर सूखे, अकाल और महामारियों का सामना करना पड़ता है। अत: भारत देश के लिए वर्षा का विशेष महत्त्व है।
वर्षा ऋतु की कुछ कमियां
प्रत्येक ऋतु की कुछ कमियां होती हैं। वर्षा ऋतु में अनेक प्रकार की बीमारियां हो जाया करती है जैसे मलेरिया, डेंगु, चिकुनगुनियां, त्वचा रोग आदी। कभी-कभी शहरों और गाँवों में हैजा जैसी भंयकर बीमारियां भी फैल जाती है। वर्षा ऋतु में मक्खी और मच्छर की संख्या बहुत बड़ जाती है और इन मच्छरों के काटने से मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां हो जाया करती है। एेसी बीमारियों से भारत में हर साल सैकडों लोगोंं की जान भी चली जाती हैं। कई बार तेज वर्षा के कारण अनेक जगह भयंकर बाढ़ आ जाती है, जिससे जान-माल की भारी हानि होती है।
वर्षा ऋतु में हमारा कर्तव्य
वर्षा ऋंतु में हमारा कर्तव्य है कि हम बरसात के पानी को संचित करे और बीमारियों को फैलने से रोकने के उपाय करे, जैसे कि बरसात का पानी किसी गड्ढे में जमा न होने दे जिससे मच्छर पैदा हो और हमें बीमार करे और साथ ही इस मौसम में ज्यदा से ज्यादा पैड़ो को लगाने का प्रयत्न करे जिससे हम वायु प्रदूषण को कम करने में सहयोग कर सके।
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