
Children Stories With Morals- योग्य राजा का योग्य फैसला-
Children Stories With Morals- वीरसेन राजा के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने अपने राज्य से ही किसी योग्य युवक को अपना उतराधिकारी बनाने का निश्चय किया और अपने इस निर्णय के संदर्भ में सेनापति से विचार-विमर्श करते हुए पूछा- ”मेरा यह विचार आपको कैसा लगा सेनापति जी?”
सेनापति ने राजा से कहा-महाराज आपने राज्य की भलाई के लिए बड़ा अच्छा विचार किया है, क्योंकि राज्य के युवक को ही राज्य की समस्याओं की ज्यादा परख होगी।
राजा वीरसेन ने अपने सेनापति से कहलवाकर राज्य में घोषणा करवाई कि राज्य के सभी युवक जो मैंरे बाद इस राज्य के राजा बनने की चाहत रखते हो, वे महल आये क्योंकि राजा वीरसेन उनकी एक परीक्षा लेंगे और जो इस परीक्षा में सफल होगा वही इस राज्य का उत्तराधिकारी बनेगा।
अगले दिन घोषणा के अनुसार राज्य के बहुत से युवक राज महल पहुंच गए और सभी ने राजा का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। राजा ने भी अपने हाथ को ऊंचा उठाकर युवको का अभिवादन स्वीकार किया और सेनापति से कहा- मंत्री जी, इन सबको वह चने दे दो, जो मैंने आपको आज प्रात:काल दिए थे।
सेनापति जी ने अपने सेवको से वह चने मंगवाए और राजमहल में आए उन सभी युवको को रेशम की पोटली में रखे चने थमा दिए गए।
राजा ने उन युवको से कहा “आप सभी इस चने को ले जाकर अपने घरो में बो देना और एक माह बाद आप सभी को वापस राजमहल बुलाया जाएगा, जिसका पौधा ज्यादा लम्बा होगा उसी को इस राज्य का नया राजा घोषित किया जायेगा।”
सभी युवक चने लेकर अपने-अपने घर को चल दिए और राजा के कहे अनुसार उन चनों को अपने-अपने घरो में बो दिया।
धीरे-धीरे सभी युवको के घरो में पौधे उगने लगे थे, लेकिन रामवीर के चनों से एक अंकुर तक नहीं फूटा। रामवीर को काफी चिंता हुई पर वह कुछ कर नही सकता था, लेकिन बाकी युवको के पौधे तेजी से बढ़ रहे थे, इसीलिए वे सभी बहुत ही खुश हो रहे थे।
समय के साथ एक माह बित गया और वह दिन भी आ ही गया जब युवको को अपने पौधे को राजमहल ले जाना था। सभी युवको के चेहरे खिले हुए थे, क्योंकि सभी के पौधे ठीक प्रकार से बड़े हो गए थे लेकिन रामवीर दु:खी था क्योंकि उसके बोये हुए चनों से अंकुर भी नहीं निकला था लेकिन फिर भी वह उन चनों को लेकर राजमहल गया।
सभी युवक राजमहल को पहुंचे, राजा ने सभी के पौधे देख कर कहा- तुम लोगो ने बड़ी मेहनत से मैंरे द्वारा दिए चने को लगाया और यह सभी तेजी से बढ़ भी गए हैं, मैं आपको इस बात के लिए धन्यावाद देता हूँ।
राजा की नजर रामवीर के पौधे की तरफ गई तो राजा ने रामवीर से पूछा कि तुम्हारे चने में तो अंकुर भी नही फूटा, ऐसा क्यो?
रामवीर ने कहा- महाराज मैने मेहनत तो बहुत की थी पर शायद मैं इस राज्य का राजा बनने के योग्य नही हूँ शायद इसी कारण भगवान ने मैंरे चनों में अंकुर तक नही फूटने दिया।
वीरसेन राजा ने रामवीर का हाथ ऊंचा उठाते हूए कहा- मैं राजा वीरसेन, रामवीर को ही इस राज्य का नया राजा घोषित करता हूँ।
आर्श्चयचकित युवको ने राजा से पूछा- महाराज, हमारे पौधे कितने हरे-भरे हैं परन्तु आपने रामवीर को राजा बनाया जिसके बीज भी अंकुरीत नहीं हुए हैं, आपने ऐसा क्यों किया?
राजा वीरसेन ने युवको से कहा- ”तुम सभी ने ईमानदारी नही बरती है’ क्योंकि जिस चने को मैने आप सभी युवको को दिया था, वह चने उबले हूए थे। तुम लोगो ने मैरे दिए हूए चने जब नही अंकुरीत हूए तो आपने बेईमानी का सहारा लिया और दुसरे चने को उगाकर मेरे पास ले आए।
रामवीर ने बड़ी ही ईमानदारी से चने उगाए लेकिन जब वे नही उगे तो उसने बेईमानी का सहारा नही लिया, इसीलिए मैंने रामवीर को इस राज्य का नया राजा घोषित किया है।
शिक्षा:- जीवन में ईमानदारी बरते, इससे अच्छे ही परिणाम मिलते हैं। ईमानदारी से किया गया काम आपको सफलता दिलाता है, बेमानी से किया गया काम आपको असफलता ही देगा।