Mission Indradhanush- मिशन इन्द्रधनुष का शुभारंभ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 25 दिसंबर 2014 को किया गया था। इस दिन का खास महत्व भी है क्योंकि इसी दिन स्वतंत्रता सेनानी श्री मदन मोहन मालवी जी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजवपेयी जी का जन्म दिवस भी है
और इसी कारण से मिशन इन्द्रधनुष की शुरूआत भी इसी दिन कि गई है। मिशन इन्द्रधनुष का मुख्य उद्देश्य जन्म से लेकर दो साल तक के बच्चों और साथ ही गर्भवती महिलाओं को सात प्रकार की बीमारियों से रोकथाम के टीके लगाया जाए।
भारत सरकार के अनुसार सन् 2020 तक भारत के सभी बच्चे जिन्हे टीका नहीं लगा है उनका पूर्ण रूप से टीकाकरण कर उन्हें 7 तरह की जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके। भारत सरकार ने सन् 1985 में सम्पूर्ण टीकाकरण कार्यक्रम UIP की शुरूआत की थी, यह शुरूआत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम था।
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“मिशन इन्द्रधनुष” का उद्देश्य इन्द्रधनुष के सात रंगों वाले हमारे जीवन में किसी भी तरह की टीका निवारणीय बीमारियों के खिलाफ़ सभी बच्चों का टीकाकरण करना हैं।
किस तरह की सात बीमारियां
डिप्थीरिया– डिप्थीरिया कॉरीनेबैक्टीरियम डिप्थीरी नामक जीवाणु से पैदा होता है। कॉरीनेबैक्टीरियम डिप्थीरी जीवाणु एक शक्तिशाली विष छोड़ता है जिससे शरीर के ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचता है। वर्ष 2000 में दुनिया भर में डिप्थीरिया के लगभग 30,000 मामले दर्ज किए गए और इस रोगे से लगभग 3,000 लोगों की मृत्यु हुई। वर्ष 2010 में दुनिया भर में डिप्थीरिया के 4,187 मामले पाए गए, जो डिप्थीरिया के मामलों की वास्तविक संख्या को कम कर आंकने के कारण हो सकता है।
काली खांसी- काली खांसी को पर्टुसिस भी कहा जाता है और यह एक श्वसन संबंधी बीमारी जिसे आमतौर पर काली खांसी या कूकर खांसी के रूप में जाना जाता है, यह एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो कि एक प्रकार के बैक्टीरिया से उत्पन्न होती है जिसे बोर्डेटेला प्ट्रुसिस कहते हैं। ये बैक्टीरिया ऊपरी श्वसन प्रणाली के सिलिया (छोटे, बाल-प्रकार के विस्तार) से जुड़ जाता हैं। जीवाणु विषाक्त पदार्थ बनाते हैं, जो कि सिलिया झिल्ली को नुकसान पहुंचाता है और वायुमार्ग में सूजन करते हैं।
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टेटनस- हिंदी में इस रोग को धनुस्तंभ कहा जाता है। टेटनस इन्सान के तंत्रिका तंत्र (Nervous system) में होने वाला संक्रमण है जो क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया मिटटी और गंदगी में पनपता है। जब भी इंसान को कोई घाव, चोट या खरोच लगती है विशेषकर जंग लगी कीलों, लोहे के टुकड़ों, जलने या त्वचा के फटने से तब यह बैक्टीरिया चोट या घाव के संपर्क में जल्दी आते है और घाव पर एक जहर पैदा करते है जो शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है इससे टेटनस होता है। कई बार संक्रमित उपकरणों से छोटे बच्चो की नाल काटने से भी उन्हें टेटनस हो सकता है जिसके कारण वह दूध पीना बंद कर देते है। इसे Neonatal Tetanus (नीयोनेटल टेटनस) कहा जाता है जो टेटनस का सबसे घातक रूप है।
क्षय रोग- क्षय रोग को आम भाषा में TB कहा जाता है। यह रोग मायकोबैक्टीरियम ट्युबर्कुलॉसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। TB का प्रकोप उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अधिक है। TB पूरी दुनिया में मौजूद है। इस रोग का सबसे अधिक बोझ झेलने वाले छ: देश- भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, चीन, नाइजीरिया, और दक्षिण अफ्रीका।
पोलियो– बहुतृषा, जिसे अक्सर पोलियो या ‘पोलियोमेलाइटिस‘ भी कहा जाता है। पोलियोमायलाइटिस, या पोलियो के तीन प्रकारों में से किसी के द्वारा हो सकता है, जो एंटेरोवाइरस जीन्स के सदस्य होते हैं। पोलियो एक ऐसा रोग है जिसने कभी एक वर्ष में दसियों हजारों बच्चों को अपाहिज दिया। अब यह वैश्विक रोग उन्मूलन प्रयास का लक्ष्य है। वर्ष 1988 में पोलियो के सर्वाधिक मामले सामने आए, जब लगभग 350,000 लोग पोलियोमेलाइटिस वायरस से संक्रमित हुए थे।
हेपेटाइटिस बी- इस रोग को यकृतशोथ भी कहा जाता है और यह रोग हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) के काऱण होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जो मनुष्य के साथ बंदरों की प्रजाति के लीवर को भी संक्रमित करती है, जिसके कारण लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है जिसे हेपाटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस का संचरण संक्रमित रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में जाने से होता है। हेपेटाइटिस बी में लीवर में सूजन और जलन, उल्टी, जो अन्ततः पीलिया और कभी-कभी मौत का कारण हो सकता है। दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी के कारण अन्तत: लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर हो जाता है, जो ऐसी घातक बीमारी है जिस पर कीमोथेरपी का भी बहुत कम असर होता है।
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खसरा- मोर्बिलीवायरस के जीन्स पैरामिक्सोवायरस के कारण खसरा होता है। खसरा में श्वसन प्रणाली में वायरस, विशेष रूप से मोर्बिलीवायरस के जीन्स पैरामिक्सोवायरस के संक्रमीत हो जाती है। इसके लक्षणों में बुखार, खांसी, बहती हुई नाक, लाल आंखें और एक सामान्यीकृत मेकुलोपापुलर एरीथेमाटस चकते भी शामिल है। खसरा को मेडिकल की भाषा में मीज़ल्स के नाम से जाना जाता है। खसरा हवा के कारण फैलने वाला रोग है। खसरा होने पर 2-4 दिन पहले से शरीर पर दाने निकल आते है।
इन्हीं सात प्रकार के जानलेवा रोग से बचने के लिए मिशन इन्द्रधनुष की शुरूआत की गई है और मिशन इन्द्रधनुष का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। इसके अलावा, इस अभियान के अंतर्गत चयनित राज्यों में Japanese Encephalitis और Haemophilus Influenza Type B (Hib) के लिए भी टीके प्रदान किये जाएगें।
मिशन इन्द्रधनुष का प्रथम चरण
मिशन इन्द्रधनुष के कार्यक्रम के अनुसार भारत सरकार के द्वारा प्रथम चरण के लिए, 28 राज्यों के 200 जिलों में आंशिक रूप से प्रतिरक्षित और अप्रतिरक्षित सभी तरह के बच्चों की पहचान करके उनके प्रतिरक्षितकरण करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
मिशन इन्द्रधनुष के प्रथम चरण में चार चरण है। इसका पहला चरण 7 अप्रैल 2015 को शुरू किया गया है और इसे एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रखा जाऐगा। इसके साथ ही दूसरे, तीसरे और चौथे चरण को मई, जून और जुलाई महीने की सात तारीख से एक सप्ताह से अधिक के लिए आयोजित किया जाऐगा।
कैसा रहा मिशन इन्द्रधनुष का प्रथम चरण?
- मिशन इन्द्रधनुष के चारों चरणों में कुल 9.4 लाख सत्रों का आयोजन किया गया। बच्चों के साथ ही जो महिलाऐ गर्भवती थी उन्हे भी टीके लगाए गए।
- जो महिलाओं गर्भवती थी उनको टेटनस टाक्साइड के 20 लाख से अधिक टीके लगाए गए।
- 20 लाख बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया था।
- सभी नवजात शिशुओं और बच्चों को डायरिया से सुरक्षा प्रदान करने के लिए 57 लाख जिंक टैबलेट और 16 लाख ORS के पैकेट निशुल्क बांटे गए जिससे दस्त के दौरान पानी की कमी न हो।
मिशन इन्द्रधनुष का दूसरा चरण।
- मिशन इन्द्रधनुष के दूसरे चरण की शुरूआत 7 अक्टूबर 2015 को किया गया। इस अभियान के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण का शुभारंभ 7 नवंबर, 7 दिसंबर 2015 और 7 जनवरी 2016 से किया जाएगा।
- इस अभियान का उद्देश्य 352 जिलों में पूर्ण टीकाकरण प्राप्त करना हैं, जिसमें 279 मध्य प्राथमिकता जिलों, उत्तर-पूर्व राज्यों के 33 जिलों और तथा प्रथम चरण के दौरान बढ़ी संख्या में 40 जिलों में टीकाकरण से वंचित हुए बच्चों का टीकाकरण शामिल हैं।
ज्वालामुखी के रोमांचक और डरावने 63 रोचक तथ्य- Interesting Fact
अक्तूबर 2017 और जनवरी 2018 के बीच हर महीने सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत सर्वोच्च प्राथमिकता वाले जिलों और शहरी क्षेत्रों में 173 जिलों, 16 राज्यों के 121 जिलों और 17 शहरों और 8 पूर्वोत्तर राज्यों के 52 जिलों में निरंतर टीकाकरण का दौर जारी रहेगा।
सघन मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम में चुने हुए ऐसे जिलों और शहरी क्षेत्रों में चलाया जाएगा जहां टीकाकरण कम हुआ है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय सर्वेक्षण, स्वास्थ्य प्रबंध सूचना प्रणाली डेटा एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तय किए जाएंगे। एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करने वाले शहरी झुग्गी-झोपड़ियों और उप-केंद्रों में ऐसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जहां टीकाकरण या तो नहीं हुआ या उसका प्रतिशत बहुत कम है। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत शहरी बस्तियों और शहरों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इसके लिए आशा, आंगनबाड़ी वर्कर, राष्ट्रीय शहरी जीविका मिशन के अंतर्गत जिला प्रेरक और स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। जिससे कोई भी बच्चाा टिकाकरण में छुट न जाए। सघन मिशन इंद्रधनुष में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पंचायती राज, शहरी विकास, युवा कार्य एवं अन्य मंत्रालयों ने कार्यक्रम में अपना सहयोग दिया है।
विश्व का आधुनिक हथियार Internet- Interesting Fact About Internet
International Vaccine Access Center (IVAC) और Johns Hopkins Bloomberg School of Public Health द्वारा संकलित निमोनिया और दस्त से मरने वाले बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या वाले 15 देशों की प्रगति पर हाल ही की रिपोर्ट ने मिशन इंद्रधनुष की वजह से सबसे ज्यादा प्रगति के लिए भारत की प्रशंसा की। 500 से अधिक जिलों में लगभग 25 मिलियन बच्चों को टीका लगाया है। UPI में नए और कम मात्रा वाले टीकों की शुरूआत और पैमाने के साथ, MI ने भारत की 2017 निमोनिया और अतिसार के निवारण और नियंत्रण के लिए ग्लोबल एक्शन प्लान में वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद की है। मिशन इंद्रधनुष के तहत इतना बढ़िया काम किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में प्रगति की समीक्षा बैठक में इस योजना के 90 प्रतिशत की कवरेज लक्ष्य को पूरा करने की समय सीमा को 2020 से घटाकर 2018 तय कर दिया।