Pitra Dosh Nivaran Mantra in Hindi- श्राद्ध पक्ष 15 दिवस तक मनाया जाता हैं। श्राद्ध पक्ष में व्यक्ति अपने पूर्वजों (पितरों) का तर्पण और पितृदोष का निवारण करता है। वेदों के अनुसार जिस दिन घर में पितृ का श्राद्ध मनाया जाए उस दिन किसी न किसी ब्राह्मण को भोजन जरूर करवाना चाहिए। जब ब्राह्मण भोजन कर रहे हो उस समय पितृ स्तोत्र का पाठ करना चाहिए जिसे सुनकर पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृ स्तोत्र का पाठ ब्राह्मण के सामने खड़े होकर करना चाहिए। ऐसी मान्याता है कि ब्राह्मण भोजन के … [Read more...]
श्राद्ध पक्ष में गृह शांति और उन्नति का सरल उपाय, पितृदोष निवारण- Pitra Dosh Nivaran
Pitra Dosh Nivaran- ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार पितृदोष कुंडली का सबसे बड़ा दोष माना गया है। पितृदोष से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत कष्टमय होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है उसे आर्थिक, मानसिक और कई बार तो शारिरीक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष का मानना है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष होता है उस व्यक्ति की उन्नति होने में बहुत बाधा आती रहती है। पितृ गण हमारे पूर्वज हैं। जिनका ऋण हमारे ऊपर है, यह … [Read more...]
असंतुष्ट पूर्वजों का महत्वपूर्ण ऋण है पितृ दोष- Pitru Dosha
Pitru Dosha- भारतीय संस्कृति में माता-पिता को देवताओं के समान माना जाता है और शास्त्रों के अनुसार यदि माता-पिता प्रसन्न होते हैं, तो सभी देवी-देवता स्वयं ही प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन फिर भी आज के समय में परिवार के लोग किसी न किसी प्रकार से दु:खी रहते है। इसका कारण है पितृ दोष। सनातन हिन्दु धर्म के अनुसार संसार के तीन प्रकार के ऋण होते है। देव ऋण, ऋषि ऋण व पितृ ऋण। इनमें से पितृ ऋण के निवारण के लिए पितृ यज्ञ का वर्णन किया गया है, जिसे सरल शब्दों में श्राद्ध कर्म भी कहा जाता है। … [Read more...]
Pitra Dosh – पित्र दोष – कारण व निवारण
Pitra Dosh - भारतीय हिन्दुधर्म की मान्यतानुसार पितृ दोष एक ऐसी स्थिति का नाम है, जिसके अन्तर्गत किसी एक के किए गए पापों का नुकसान किसी दूसरे को भोगना पडता है। उदाहरण के लिए पिता के पापों का परिणाम यदि पुत्र को भोगना पडे, तो इसे पितृ दोष ही कहा जाएगा क्योंकि हिन्दु धर्म की मान्यता यही है कि पिता के किए गए अच्छे या बुरे कामों का प्रभाव पुत्र पर भी पडता है। इसलिए यदि पिता ने अपने जीवन में अच्छे कर्म की तुलना में बुरे कर्म अधिक किए हों, तो मृत्यु के बाद उनकी सद्गति नहीं होती और ऐसे में वे … [Read more...]