चिंता से चतुराई घटे, दु:ख से घटे शरीर। पा किये लक्ष्मी घटे, कह गये दास कबीर।। कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर। ना काहु से दोस्ती, न काहू से बैर।। काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब।। बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।। ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय। औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय।। अत का भला न बोलना, अत की भली न चूप। अत का भला न बरसना, अत की भली न धूप। बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि। हिये … [Read more...]