हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी का वास्तविक नाम मोहनदास गांधी था, लेकिन शायद सभी को पता न हो कि गांधीजी अपने पिता करमचंद गांधी की चौथी पत्नी पुतलीबाई के सबसे छोटे पुत्र थे। स्वयं करमचंद गांधी भी दो भाई थे और करमचंद गांधी स्वयं भी अपने पिता उत्तमचंद गांधी की दूसरी पत्नी के बडे पुत्र थे जबकि उनकी पहली पत्नी के 5 और संताने थीं।
गांधीजी के जन्म के समय बहु-पत्नी का रिवाज हुआ करता था। यानी एक पुरूष एक से ज्यादा स्त्रियों से विवाह कर सकता था, लेकिन गांधीजी बचपन से ही बडे नैतिकतावादी थे, इसलिए जब उन्होंने कहीं पढा कि एक पत्नी व्रत का पालन करना चाहिए, तो उन्होंने तय किया कि वे अपने पूर्वजों की तरह एक से अधिक विवाह नहीं करेंगे। गांधीजी के कुल चार पुत्र थे, जिनमें देवदास उनके सबसे छोटे पुत्र थे, जिनकी चार संताने थीं-
हरीलाल, गांधीजी के सबसे बडे पुत्र थे, जिन्हें इतिहास में एक कुपुत्र के रूप में याद किया जाता है, लेकिन जो लोग हरीलाल के नजदीकी थे, उनका मानना है कि हरीलाल, गांधीजी की सभी अन्य संतानों से सबसे अधिक बुद्धिशाली, तेजस्वी व विचारवान थे और वे गांधीजी की तरह ही ब्रिटेन से वकालत करके अच्छे अधिवक्ता बनना चाहते थे, लेकिन स्वयं गांधीजी ऐसा नहीं चाहते थे। उन्होंने हरीलाल को ब्रिटेन जाकर वकालत की पढाई करने से रोका, जिसकी वजह से हरीलाल व गांधीजी के बीच दूरियां बढ गर्इं और हरीलाल, गांधीजी के घोर विरोधी हो गए।
हरीलाल की पोती नीलम ने अपने दादा हरीलाल की जीवनी “Gandhiji’s Lost Jewel” नाम की पुस्तक में हरीलाल के बारे में बहुत विस्तार से बताया है, जो भारतीय इतिहास में बदनाम हरीलाल के संदर्भ में कई बातें बताती हैं।
इस पुस्तक में अपने रूढीवादी विचारों की वजह से गांधीजी द्वारा अपने परिवार व करीबी लोगों के साथ की गई कुछ गलतियों का भी पता चलता है, जिसकी वजह से हरीलाल व कुछ और लोग गांधीजी के विरोधी हो गए, जो कि स्वयं गांधीजी के अपने थे। हरीलाल ने अपने किसी पत्र में जिक्र भी किया था कि-
जिसे सारी दुनियां अपना राष्ट्र-पिता मानकर बहुत खुश होती है, बेहतर होता, यदि वह मेरा पिता न होता।
हम हरीलाल की इस बात से समझ सकते हैं कि वे अपने पिता महात्मा गांधी से किस हद तक आहत थे।
रामदास गांधी, गांधीजी के वे पुत्र थे, जिन्होंने गांधीजी की मृत्यु पर उन्हें मुखाग्नि दी थी। हालांकि कुछ लोगों का कहना ये भी है कि गांधीजी को मुखाग्नि देते समय गांधीजी के बडे बेटे हरीलाल भी वहां उपस्थित थे, जिन्हें लोगों ने पहचान लिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने आगे बढकर अपने पिता को मुखाग्नि नहीं दी, जो कि हिन्दु धर्म में बडे बेटे का ही अधिकार व कर्तव्य होता है।
मणीलाल, गांधीजी के वो पुत्र थे, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका को ही अपनी मातृभूमि बना लिया था और हमेंशा के लिए दक्षिण अफ्रीका में ही बस गए थे। अभी भी उनके वंशज वहीं हैं।
अक्सर जो लोग गांधीजी के बारे में जानना चाहते हैं, वे ये भी जानना चाहते हैं कि गांधीजी का कोई वंशज जीवित भी है या नहीं और है, तो कौन हैं और कहां रहते हैं। इस संदर्भ में बहुत सारे लोगों को बल्कि ये कहें कि ज्यादातर नई पीढी के ऐसे नौजवान भारतीयों को, जो कि गांवों में रहते हैं अथवा जिनकी Internet जैसी Modern Technology तक पहुंच नहीं हैं, वे लोग कांग्रेस के गांधी परिवार को ही महात्मा गांधी का वंशज मानते हैं, इसलिए इक्सर महात्मा गांधी द्वारा भारत देश के लिए किए गए कामों का श्रैय व लाभ कांग्रेस के गांधी परिवार को मिल जाता है।
जबकि सच्चाई ये है कि कांग्रेस के गांधी परिवार का महात्मा गांधी के वंश से कोई सम्बंध ही नहीं है और पता नहीं कब, क्यों और कैसे, जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी बेटी इन्दिरा नेहरू ने अपना नाम बदलकर इन्दिरा गांधी कर लिया, जिससे धीरे-धीरे ज्यादातर लोगों को ये लगने लगा कि इन्दिरा नेहरू का महात्मा गांधी के वंश से कोई सम्बंध है अथवा इन्दिरा नेहरू, महात्मा गांधी की बेटी हैं।
महात्मा गांधी की तरह ही उनकी तीसरी व चौथी पीढी के वंशज भी अपने-अपने देशों के लिए आज भी कई उपयोगी काम कर रहे हैं और कई देशों में कई उच्च पदों पर हैं, जिनके बारे में एक बहुत ही विस्तृत जानकारी आपको NavBharatTimes.IndiaTimes.com के इस पेज पर मिल जाएगी।