Short Stories in Hindi – एक जंगल में सियार और उसकी पत्नि रहते थे। एक दिन पत्नि ने सियार से ताजी मछली लाने के लिए कहा। सियार नदी किनारे पहुँचा और मछली की तलाश करने लगा। बहुत देर तक मछलियों की तलाश करता रहा लेकिन उसके हाथ एक भी मछली नहीं आई।
वह कुछ जुगाड़ सोच रहा था तभी उसकी नजर दो ऊदबिलाव पर पड़ी, जो मछली को नदी में से खींचकर बाहर ला रहे हैं।
सियार, ऊदबिलाव के पास पहुँचकर कहने लगा, “मित्रों… तुम दोनों ने मिलकर यह मछली पकड़ तो ली है, परंतु इसका बंटवारा कैसे करोगे? बेहतर तो यही होगा कि तुम किसी तीसरे से इसका बंटवारा करवाओं, क्योंकि वही ऐसा होगा जो पूरी ईमानदारी से निष्पक्ष बंटवारा करेगा।“
दोनों ऊदबिलाव को यह बात जंच गई और उन्होंने सियार से पूछा, “भाई… अब हम कोई तीसरा कहाँ से लाए जो हमारा यह काम कर सके, इसलिए क्या आप ही हमारा बंटवारा करवाने में सहायता करोगे?“
सियार मन ही मन बहुत प्रसन्न हुआ क्योंकि उसकी योजना भी यही थी कि दोनों ऊदबिलाव को मूर्ख बनाकर मछली ले ली जाए और उसकी योजना सफल हो गई थी। इसलिए उसने कहा, “क्यों नहीं, क्यों नहीं, अभी मैं आप दोनों की मदद किए देता हूँ। आपकी मदद करने से मेरा कौनसा कुछ बिगड़ जाएगा।“
सियार ने मछली के तीन हिस्से कर दिए। सिर एक ऊदबिलाव को दे दिया और पूंछ दूसरे को देकर बीच का हिस्सा लेते हुए चल दिया, तभी ऊदबिलावों ने उसे रोककर पूछा, “तुमने ये क्या किया? तुम तो मछली का बंटवारा हम दोनों में बराबर-बराबर करने वाले थे न?”
सियार ने उन दोनों से कहा, “अरे मूर्खो, तुम दोनों को बराबर का हिस्सा मिल गया न। ये हिस्सा जो मैं ले जा रहा हूँ, ये तो मेरा मेहनताना है। “
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इस लघुकथा से ये सीख मिलती है कि सभी के जीवन में कभी न कभी एेसी स्थिति जरूर पैदा होती है जब किसी चीज का एक न्यायपूर्ण बंटवारा करना होता है। ऐसे में यदि आप समझदारीपूर्ण तरीके से अपने स्तर पर एक उपयुक्त निर्णय न लेते हुए किसी तीसरे का सहारा लेते हैं, तो अक्सर वह तीसरा आपको मूर्ख बनाते हुए अपना उल्लू सीधा करके चला जाता है। इसलिए जब भी कभी अपनी समस्या किसी तीसरे के साथ Share करें, तो पहले यह निश्चित कर लें कि वह तीसरा आपकी समस्या का समाधान ही करेगा, आपसे फायदा उठाने की नहीं।
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