Short Motivational Stories in Hindi – एक समय एक आश्रम में एक प्रतियोगिता हुई जिसमें जीतने वाले को आश्रम के सर्वश्रेष्ठ पुरूष्कार से सम्मानित किया जाना था।
आश्रम के सभी शिष्यों को गुरूदेव ने आश्रम के पांडाल में एकत्रित होने के लिए कहा। जब सभी शिष्य पांडाल में एकत्रित हो गए तो गुरूजी के एक सेवक द्वारा उनके सामने एक ऐसा रथ लाकर खड़ा कर दिया, जिसमें दो घोड़े बंधे हुए थे अौर रथ का मुँह उत्तर दिशा की ओर था जबकि दोनों घोड़े एक दूसरे की विपरीत दिशा में देख रहे थे।
जब सेवक रथ खड़ा करके चला गया तो गुरूजी ने शिष्यों से पूछा कि- शिष्यों… तुम्हारे सामने एक रथ खडा है, जिसमें दो घोड़े बंधे हैं, लेकिन जैसाकि तुम सभी देख सकते हो, कि दोनों घोड़ों में से एक का मुँह पूर्व की आेर है जबकि दूसरे का पश्चिम की ओर। तुम्हे बताना ये है कि अगर सारथी रथ को आगे बढाए, तो रथ किस दिशा में जाएगा?
जब गुरूजी ने अपनी बात पूरी की तो एक शिष्य ने प्रत्युत्तर दिया कि- रथ पूर्व दिशा की ओर जायेगा।
गुरूदेव ने पूछा- कैसे?
तो शिष्य ने इसका उत्तर दिया- पूर्व दिशा का घोड़ा अधिक बलशाली है।
गुरूदेव ने अन्य शिष्यों से पूछा- कोई और इस प्रश्न का उत्तर देना चाहेगा?
ताे एक दूसरे शिष्य ने कहा- नही गुरूदेव… घोडा पूर्व दिशा की आेर नही बल्कि पश्चिम दिशा की ओर जाएगा क्योंकि रथ का झुकाव पश्चिम दिशा की ओर है।
तभी एक तीसरे शिष्य ने कहा कि- घोडा न पूर्व दिशा की ओर जाएगा, न ही पश्चिम दिशा कि ओर, वह दक्षिण की ओर जाएगा।
तीसरे शिष्य का उत्तर सुन कर गुरूदेव व सभी अन्य शिष्यों को बहुत आश्यर्च हुआ। सो गुरूजी ने उससे पूछा कि- तुम यह कैसे कह सकते हो?
तीसरे शिष्य ने उत्तर दिया कि- गुरूदेव… ये घोड़े अपनी मर्जी के मालिक हैं। इसलिए इनका जिस ओर मन करेगा, ये उस ओर आगे बढ़ेंगे।
तीसरे शिष्य का ये उत्तर सुन कर गुरूदेव सहित वहाँ उपस्थित सभी शिष्य हंस पडे लेकिन गुरूजी किसी भी शिष्य के जवाब से संतुष्ट दिखाई नहीं दिए। इसलिए उन्होंने फिर से पूछा कि- कोई और इस प्रश्न का उत्तर देना चाहेगा?
तभी वहा बैठे एक शिष्य ने पूछा- गुरूदेव… रथ में कितने सारथी है?
गुरूदेव ने उत्तर दिया कि- रथ में केवल एक ही सारथी है।
शिष्य ने कहा कि- गुरूदेव… रथ मे केवल एक ही सारथी है तो दोनों घोडे उसी दिशा में जाऐंगे जिस ओर सारथी उनको लेकर जायेगा क्योंकि दोनों घोड़े, सारथी के अधीन हैं, न कि सारथी घोड़ों के।
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इस लघुकथा से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमारा मन और बुद्धि, दो अलग दिशा में भागने वाले घोड़ों के समान हैं। मन कहता है कि हमें किसी अमुक कार्य को करना चाहिए जबकि बुद्धि उसी कार्य को करने से रोक देता है। इस स्थिति में सही निर्णय केवल तभी लिया जा सकता है जबकि आप एक सारथी की तरह दोनों को अपने नियंत्रण में रखें न कि स्वयं इन दोनों में से किसी एक के नियंत्रण में होकर निर्णय लें।
मन हमेंशा सरल रास्ता चुनते हुए निर्णय लेने हेतु अपना पक्ष रखता है जबकि बुद्धि हमेंशा गुण-दोष का विचार करते हुए निर्णय लेने हेतु अपना पक्ष रखता है। यानी मन और बुद्धि, किसी विषय पर निर्णय नहीं लेते, बल्कि उपयुक्त निर्णय लेने हेतु केवल अपना पक्ष रखते हैं और निर्णय हमेंशा हम लेते हैं। लेकिन हमारे निर्णय तब गलत होते हैं, जब हम या तो केवल मन की सुनते हैं या फिर केवल बुद्धि की जबकि निर्णय हमेंशा मन और बुद्धि दोनों की सुनने के बाद विवेक के आधार पर लेना चाहिए।
अक्सर लोग मन और बुद्धि के बीच अन्तर नहीं कर पाते। यानी ये नहीं समझ पाते कि उनके द्वारा लिया जा रहा निर्णय मन से प्रेरित है अथवा बुद्धि से। इसलिए मन व बुद्धि के बीच अन्तर समझने के लिए हम एक उदाहरण देखते हैं।
मान लीजिए कि आप किसी अनजान शहर में हैं और आपको रेलवे स्टेशन जाना है। आप किसी रास्ते पर चल रहे हैं। चलते-चलते वह रास्ता Left व Right दो रास्तों में बंट जाता है। अब यदि आप बिना ये जाने हुए कि आप सही रास्ते पर जा रहे हैं या नहीं, Left या Right किसी एक रास्ते पर चलना शुरू कर देते हैं, क्योंकि पहली नजर में वह रास्ता आपको अच्छा, सरल या सही लगता है, तो आप द्वारा लिया गया ये निर्णय मन से प्रेरित है। जबकि इस दो-राहे पर यदि आप रूक जाते हैं और किसी अाने-जाने वाले से रेलवे स्टेशन का सही रास्ता पूछने के बाद ही किसी एक रास्ते पर आगे बढते हैं, तो आप द्वारा लिया गया ये निर्णय आपकी बुद्धि से प्रेरित है।
क्योंकि मन हमेंशा सरल, सुखद व सुविधायुक्त रास्ता खोजता है, बिना ये सोंचे-समझे कि उस रास्ते पर चलने के क्या अच्छे या बुरे परिणाम हो सकते हैं। जबकि बुद्धि हमेंशा तर्क के आधार पर सही-गलत का अन्दाजा लगाने के बाद ही किसी रास्ते पर चलने हेतु प्रेरित करती है, फिर भले ही वह रास्ता कठिन ही क्यों न हो।
सरल शब्दों में कहें तो यदि आपका निर्णय तुक्के पर आधारित है, तो आपका निर्णय मन से प्रेरित है। जबकि यदि आपका निर्णय निश्चित तथ्यों पर आधारित है, तो आपका निर्णय बुद्धि से प्रेरित है।
Nice story
This story motivate every person in his real life
Aapki ye kahani mug pr stik baithti h mai bina kuch soche smge bengaluru chla gya soch wha pr kuch bhi shru krke paisa kma lunga but i am wrong. Ye rasta glt chunav tha.jb hm soch smgkr mobile khridte hai to rasta bina smge kyu chun lete hai. Sir bhut hi achi story thnks maine bhi aapse prerit hoker apna blog thefunpoint.in bnaya hai aasha krta aap bhavishy me aise hi prerit krte rhenge
सबसे पहले आपका शुक्रिया की आपने मन और बुद्धि इतने जटिल विषय के बारेमे बडे खुपसुरतीसे explain करके लिखा.
मेरे दोस्त के साथ इस विषय पर बहस हुई थी और में ठीक से explain नहीं कर पाया
तो आपके इस लिखाण से मुझे बेहत मदत होगी.
और में चाहता हु के आप ऐसेही लिखते रहे.
फिरसे एक बार शुक्रिया
best motivate story. thanks
Really it is great idea to motivate someone.
thanks for sending mail.
hi Allinhindi blog, me abhi blogging me new hu pls mere blog ko dekh kar btaye keisa he thanz
V n thinking
Great and good examples to understood mind and intelligence…
Thanks