Short Moral Stories in Hindi – एक छोटा सा गांव था जहां लगभग सभी लोग किसान थे। वे सभी खेती-बाडी करते हुए सुख व समृद्धि के साथ अपना जीवनयापन करते थे क्योंकि अपनी थोडी सी जमीन में भी अच्छा अनाज उगा लेते थे।
वे ऐसा इसीलिए कर पाते थे क्योंकि उस गांव के किसान काफी जागरूक थे और उनकी पहुंच रेडियो, टीवी व Internet तक थी, जिसके माध्यम से वे कृषि विभाग के सम्पर्क में रहते थे और किसानों के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सूचनाओं व सुविधाओं को बेहतर तरीके से उपयोग में लेते थे।
चूंकि गर्मी का महिना बीत रहा था और बारिश का मौसम आने की तैयारी में था इसलिए सभी किसान अपनी-अपनी जमीन की Quality व सुविधा के अनुसार फसलें बौने की तैयारी करने लगे और इस तैयारी में धीरे-धीरे समय बीतता गया। यहां तक कि बारिश के मौसम का भी एक महीना चला गया। परिणामस्वरूप अब किसानों में थोडी चिन्ता पैदा होने लगी कि इस साल बारिश की क्या स्थिति रहेगी। बारिश होगी या नहीं और होगी तो कब, इस बात का पता लगाने के लिए सभी गांव वालों ने कृषि विभाग से सम्पर्क करने का निश्चय किया।
कृषि विभाग से सम्पर्क करने पर उन्हें पता चला कि इस साल उनके गांव व आस-पास के कई गांवों में बारिश होने की कोई सम्भावना नहीं है। ये बात जानकर सभी किसान काफी दु:खी हुए लेकिन उस गांव के किसान काफी सम्पन्न थे, इसलिए ज्यादातर किसानों ने निश्चय किया कि इस बार बारिश होने की सम्भावना नहीं है इसलिए बीज व खाद खरीदने में अपने संचित धन को व्यर्थ नहीं करेंगे बल्कि अगली बारिश का इन्तजार करेंगे।
परंतु उस गांव के एक किसान ने इन सारी बातों को अनसुना कर दिया और शहर जाकर बीज व खाद खरीद लाया तथा ठीक उसी तरह से फसल बौने की तैयारी करता रहा, जैसे कि बारिश आने ही वाली हो। वह अपने खेत में पहले की तरह ही रोज सुबह-सुबह चला जाता और खेती से सम्बंधित जो भी जरूरी काम होते, उन्हें करता रहता।
उस किसान की ये हरकत जल के देवता इन्द्र को भी काफी अटपटी लगी कि आखिर जब सारा गांव चुपचाप घर बैठ गया है, तो ये अकेला किसान क्यों बुआई जुताई में अपना समय व्यर्थ कर रहा है, जबकि कृषि विभाग सही है कि इस साल बारिश नहीं होगी। परिणामस्वरूप इन्द्र ने साेंचा कि इस सवाल का जवाब तो केवल वह किसान ही दे सकता है। इसलिए अपना भेष बदलकर भगवान इन्द्र उसी गांव के एक किसान के रूप में उस किसान के पास आए और पूछा कि:
“जब इस वर्ष अकाल घोषित हो गया है और सारा गांव अपने घर पर ही मजे कर रहा है, तो तुम खेत में काम करने क्यों आते हो?”
इस सवाल के जवाब में किसान ने प्रत्युत्तर दिया कि:
“अगर इस वर्ष अकाल घोषित होने के कारण मैंने अपना काम करना बन्द कर दिया, तो हो सकता है कि अगले साल मैं खेती से सम्बंधित किसी काम को करना भूल जाउं और उस भूल के कारण अगले साल होने वाली मेरी उपज भी प्रभावित हो जाए। इसलिए बेहतर यही है कि मैं मेरा काम करता रहूं। कम से कम मैं मेरा काम करना तो नहीं भूलूंगा”
किसान कि ये बात सुनकर इन्द्र देव को लगा कि अगर मैं भी इस वर्ष वर्षा नहीं करूंगा तो हो सकता है कि अगले साल मैं भी अपना काम यानी वर्षा करना भूल जाउं, जो कि सारे संसार के लिए काफी बुरी स्थिति हो सकती है। परिणामस्वरूप इन्द्र देव उस किसान की बात से प्रसन्न हुए और दूसरे ही पल वर्षा होने लगी।
इस लघुकथा का सारांश ये है कि बहरे मेंढक की तरह किसी दूसरे के कहने मात्र से कभी भी अपने काम को नहीं छोडना चाहिए, भले ही उस काम से लाभ होने की सम्भावना कम से कम क्यों न हो क्योंकि जिस काम को आप Perfect तरीके से कर सकते हैं, उस काम से यधपि किसी दिन लाभ होने की सम्भावना कम हो, लेकिन हानि होने की तो कोई सम्भावना नहीं होती।
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