
Shiva Mantra in Hindi
Shiva Mantra in Hindi- भगवान शिव समस्त देवी-देवताओं में सबसे भोले और लोकप्रिय देवता है। भगवान शिव अपने भक्तों पर आने वाले कष्टों का हरण कर लेतें, इसलिए भगवान शिव को कल्याणकारी माना जाता है। जब भी देवताओं, ऋषि-मुनियों या फिर ब्रह्मांड में कहीं भी जीवन पर संकट आया है, उन सभी कष्टों के विष को भगवान शिव ने धारण किया है। केवल भगवान शिव की पूजा विधि बहुत ही सरल एवं बहुत ही फलदायी है। एक लोटा जल के अभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न हो जाया करते है। श्रावन मास में भगवान शिव कि पूजा का विशेष फल होता है।
जिस प्रकार से अन्य देवताओं के मन्त्र होते उसी प्रकार से भगवान शिव के भी मन्त्र है जिसके पाठन से भगवान शिव को जल्दि प्रसन्न किया जा सकता है। यहां आपको बता रहे हैं भगवान शिव के कुछ सरल और लोकप्रिय मंत्र जिनसे आप भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।
पंचाक्षर मंत्र
भगवान शंकर का पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय अमोघ एवं मोक्षदायी है। यह मोक्षदायी मन्त्र का जाप निरन्तर करने से धन-वैभव, शान्ति तो मिलती साथ ही यह भगवान शिव का प्रिय मन्त्र भी है। कठिन व्याधि या समस्या के आ जाने पर पूर्ण श्रद्धापूर्वक इस मन्त्र का सवा लाख जाप किया जाए तो बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाला जा सकता है।
‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ‘
रुद्र–गायत्री मन्त्र
भगवान शिव अर्थात रुद्ररूप साक्षात महाकाल हैं। भगवान शिव को सृष्टि का संहारकर्ता माना जाता है। सृष्टि के अंत का कार्य केवल भगवान शिव के हाथों है। देवी-देवताओं, दानव, मानव, किन्नर सब भगवान शिव की आराधना करते हैं।
मानसिक रुप से परेशान व्यक्ति को मन की शांति के लिए रुद्र-गायत्री मंत्र से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ज्योतिषों के अनुसार जिनकी कुंडली में कालसर्प, पितृदोष, राहु-केतु दोष, भगवान शनि का प्रकोप हो उन्हे रुद्र-गायत्री का नियमित रूप से जाप एवं भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। रुद्र–गायत्री के जाप से सारे दोषों का नाश हो जाता है।
रुद्र-गायत्री मंत्र का कोई विशेष विधि-विधान नहीं है। रुद्र-गायत्री को किसी भी सोमवार से शुरू किया जा सकता हैं। अगर साधक भगवान का प्रिय दिन सोमवार को व्रत करें और रुद्र–गायत्री का जाप करे तो श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
ॐ सर्वेश्वराय विद्महे, शूलहस्ताय धीमहि।
तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
भावार्थ- “हे सर्वेश्वर भगवान। आपके हाथ में त्रिशूल है। मेरे जीवन में जो शूल है, कष्ट है। वो आपके कृपा से ही नष्ट होंगे। मैं आपकी शरण में हूँ”।
शिवलिंग अभिषेक मन्त्र
मनोवांछित फल की प्राप्ती करने के लिए श्रावन मास में भगवान शिव का निम्न मन्त्र से अभिषेक किया जाए तो समस्त इच्छओं की पूर्ति होती है और साथ ही भगवानशिव का धाम प्राप्त होता है।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:॥
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय तस्मै वकाराय नम:शिवाय ॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय ॥
पञ्चाक्षरिमदं पुण्यं य: पठेच्छिवसन्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
पुराणों का इतिहास देखें तो पाएंगे कि भगवान शिव की पूजा से देवी-देवताओं सहित राक्षसों ने अमरता का वरदान प्राप्त किया था। लंका निवासी रावन ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र की रचान की। भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता है, जो केवल एक लोटा जल चढ़ाने पर ही प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दे देते हैं। श्रावन महीने में शिवलिंग का अभिषेक इसी उद्देश्य से किया जाता है कि वो प्रसन्न होकर व्यक्ति के सभी मनचाहे कार्य पूर्ण कर दें।
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