Piliya Ka Ilaj- पीलिया या jaundice रोग भारत के साथ ही यह रोग पूरी दुनिया में फैला हुआ है। समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता हैं। पीलिया रोग एक ऐसा रोग है जिससे पूरे शरीर का रंग ही पीले रंग में बदल जाता है। इसका कारण होता है शरीर में बिलीरूबिन की मात्रा का बढ़ जाना।
कैसे होता है पीलिया ?
सामान्यत: एक स्वस्थ व्यक्ति में Bilirubin की मात्रा 1.0 होती है। लेकिन इसके बढ़ जाने से पर पीलिया रोग होता है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) 120 दिन के Routine में एक Natural प्रक्रिया के तहत टूटती है तो अपशिष्ट By Product के रूप में बिलीरुबिन का उत्पादन करती है।
Bilirubin की बढ़ती हुई मात्रा लिवर को कमजोर कर देती है। Bilirubin की जब अधिक मात्रा हो जाती है तो लिवर अपना काम करना बंद कर देता है और Bilirubin लिवर से निकलकर पुरे शरीर में फेलने लगता है जिसके कारण पूरा शरीर ही पीले रंग का हो जाता है। Bilirubin के कारण से शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। जिसका समय पर ईलाज करना बेहद जरूरी है। तो आईए जानते है पीलिया यानी jaundice रोग के आयुर्वेदिक उपाय।
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पीलिया के प्रमुख लक्षण
पीलिया लीवर से सम्बंधित रोग है, इस रोग में रोगी की आँखे पीली पड़ जाती हैं, पेशाब का रंग पीला हो जाता है, अधिक तीव्रता होने पर पेशाब का रंग और भी खराब हो जाता है। कभी-कभी किसी मरीज को पूरे शरीर में खुजली का होना भी एक लक्षण है। आँख के सफ़ेद भाग का पीला होना, Stomach या Low Abdomen में सूजन आना, जी मचलना और उल्टियां होना, शरीर के त्वचा का रंग हल्का पीला हो जाना, दाहिनी पसलियों के नीचे भारीपन आना और उनमे दर्द महसुस होना, मल का रंग सफ़ेद हो जाना, पेट में दर्द होना और भूख नहीं लगना, पीलिया रोग हो जाने पर लगातार वजन कम होने लगता है, शाम के समय थकावट महसूस होना, हर समय 102 डिग्री के आस पास बुखार रहना, जोड़ो में दर्द होना और शरीर में खुजली होना आदि।
जानलेवा रोग पीलिया के प्रमुख और महत्वपूर्ण लक्षण- Jaundice Symptoms in Hindi
पीलिया रोग के आयुर्वेदिक उपाय
पीलिया रोग केवल गलत खान-पान के कारण होता है। जैसे- गंदे पानी के प्रयोग से, अत्यधिक शराब का सेवन करने से, मसालेदार भोजन खाने से, वायरल इन्फेक्शन के कारण, शरीर में खून की कमी के कारण, बाहर की खुली हुई चीजो और फ़ास्ट फ़ूड के सेवन से आदि। पीलिया मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है। वायरल हैपेटाइटिस ए, वायरल हैपेटाइटिस बी तथा वायरल हैपेटाइटिस नान ए व नान बी। जिनका समय रहते उपचार करना बहुत ही जरूरी होता है। हम आपको कुछ उपाय बनाने जा रहे जिनका प्रयोग भी करना आवश्यक है।
- रसगुल्ले (छेना)- पीलिया होने पर मुख्य रूप से गन्ना का रस जरूर लेना चाहिए और सफेद रसगुल्ले (छेना) का अधीक प्रयोग करना चाहिए। इनके प्रयोग से लीवर मजबुत होता है।
- आंवला- आंवला में विटामिन C की अधिक मात्रा पायी जाती है। पीलिया होने पर आंवले का सेवन करने से बहुत फ़ायदा होता है। आंवले के सेवन से लीवर भी मजबूत होता है।
- गन्ना का रस- गन्ना, पाचन क्रिया को दुरूस्त करने में मदद करता है इसके अलावा लीवर को भी बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है। पीलिया के उपचार के लिए एक गिलास गन्ने के रस में नींबू का रस मिलाकर प्रतिदिन दो बार पीएं।
- छाछ- पीलिया हो जाने पर छाछ को भी बहुत लाभकारी माना जाता है। ताजी दही को मथकर भी छाछ तैयार किया जा सकता है। छाछ में काली मिर्च और भुना जीरा मिलाकर पीना चाहिऐ।
- गाजर का रस- गाजर का ताजा रस निकालकर पीने से, पीलिया में राहत मिलती है।
- बादाम- पीलिया में बादाम की 8 गिरी, 2 खजूर और 5 इलायची को रात भर पानी में भीगोकर रखें। सुबह सभी के छिलके उतारकर, पीसकर, पेस्ट बनाये। इसमें थोड़ा सा मक्खन और चीनी मिलाकर इसका सेवन करने से शरीर में उर्जा बनी रहती है और लिवर भी मजबुत होता है।
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- हल्दी- हल्दी को आयुर्वेद में महान औषधी का नाम दिया गया है। एक गिलास गुनगुना पानी में हल्दी मिलायें, इस पानी को दिन भर में तीन से चार बार पीएं। पीलिया के उपचार के लिए बेहद प्रभावी उपाय है।
- तुलसी की पत्ती- तुलसी का पौधा लगभग हर घर में पाया जाता है। तुलसी का प्रयोग भी पीलिया रोग में बहुत ही फायदा पहुंचाता है। इसके लिए तुलसी की दस से पंद्रह पत्ती का पेस्ट बनाकर, गाजर के रस में मिला लेंने चाहिए। नवजात शिशुओं को भी तुलसी और गाजर का रस दो से तीन हफ्तों तक लगातार पिलाने से पीलिया रोग में राहत मिलेगी।
- नींबू- नींबू लीवर को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। पीलिया होने पर एक गिलास पानी में दो नींबू निचोड़ें कर शिंकजी बनाकर पीने से लीवर मजबुत होता है ।
- पपीते की पत्ती- एक चम्मच पपीते की पत्ती के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाकर, दो हफ्तों तक लगातार खाने से Piliya के उपचार के लिए यह बेहद फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है।
- टमाटर- टमाटर में मौजूद Vitamin C पीलिया जैसे रोगों का उपचार करने के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक औषधि है। टमाटर का सेवन किसी भी प्रकार से किया जा सकता है चाहे तो सलाद बनाकर खाया जाए या इसका रस पिया जाए। टमाटर के रस में एक चुटकी नमक और काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट अपने बच्चे को पिलाये। उसे आराम मिलेगा।
- मूली- मूली की पत्तियों का रस निकालें कर पिने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है और दस दिन के भीतर रोगी को पीलिया से राहत मिल जाएगी।
इसके साथ ही पीलिया में सब्जियों का ताजा निकला रस चुकंदर, पालक, फलों का रस संतरा, नाशपाती, अंगूर और सब्जियों का शोरबा। ताजे फल, जैसे सेब, अन्नानास, अंगूर, नाशपाती, संतरे, केले, पपीता, आदि। खासकर अन्नानास विशेष रूप से पीलिया में उपयोगी होता है।पीलिया के उपचार हेतु जौ का पानी, नारियल का पानी अत्यंत प्रभावी होते हैं।
नोट:- शरीर का पाचन तंत्र कमजोर होने पर ही पीलिया होता है। पीलिया के रोग का प्रभाव शरीर में खून बनने पर पड़ता है जिससे शरीर में ब्लड की कमी होने लगती है। इस रोग में अगर लापरवाही की जाये तो ये काला पीलिया बन जाता है जो जानलेवा रोग हो सकता है। पीलिया पुराना हो या नया घरेलू देसी नुस्खे और आयुर्वेदिक दवा से आप इसका उपचार कर सकते है। इस बीमारी से छुटकारा पाने में इलाज के साथ परहेज करना भी जरुरी है और जैसे ही पीलिये के लक्षण आपको दिखने लगे इसका उपचार तुरन्त करना चाहिए।
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