
होली का त्योहार- Paragraph on Holi in Hindi
Paragraph on Holi in Hindi- होली रंग-बिरंगा मस्तीभरा त्योहार हैं। होली के दिन सभी लोग अपने पुराने लड़ाई-झगड़ो को भुलाकर एक-दुसरे के गले लगते है और प्यार से एक-दुसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं।
प्रमुख रूप से हिन्दूओं का एक प्रचीन और महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भारत के साथ-साथ नेपाल और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी मनाया जाता है। भारत देश के अलग अलग हिस्सो मे होली को कई नामों से जाना जाता हैं, जैसे-होलिकापूजन,होलिकादहन,धुलेडी,धुलिवन्दन,धुरखेल वसंतोत्सव और काम-महोत्सव आदि नामों से भी जाना जाता हैं।
कैसे मनाया जाता हैं होली का त्योहार?-
होली को फाल्गुन माह में मनाया जाता हैं इस कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का उत्सव बंसन्त पंचमी से शुरू होता हैं, उसी दिन पहली बार गुलाल को उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। होली के दिन आम्र, मंजरी और चंदन को मिलाकर खाने का बहुत बड़ा महत्व हैं।
होली का त्योहार पारंपरिक रूप से दो दिन तक मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन होलिकादहन किया जाता हैं और उसके दुसरे दिन रंगों से होली खेली जाती हैं, जिसे धुरड्डी,धुलेंडी,धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है। लोग एक-दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल लागते हैं, ढोल-तासों के साथ घर-घर जाकर होली खेलते है और एक-दुसरे को रंग लगाकर होली की बधाई देते हैं और साथ ही होली के गीत गाये जाते हैं।
भारत की प्रसिद्ध होली–
भारत की प्रसिद्ध होली मधुरा में मनाई जाती हैं, जैसे बरसाने की लट्ठमार होली, व्रज की होली, मथुरा, वृन्दावन की होली, श्रीनाथजी, काशी, इन जगहो की होली बहुत ही पसिद्ध हैं। भारत के कुछ हिस्सों में होली का उत्सव पांच दिनों तक मनया जाता हैं, जो हालिका से शुरू होकर रंग पंचमी तक चलती हैं।
रीति-रिवाज-
होली के कुछ दिन पहल ही होलिका का डंडा सार्वजनिक स्थल गाड़ा जाता हैं, और होलिका की अग्नि इकट्ठी की जाती है। पर्व का पहला दिन होलिका दहन का दिन कहलाता है। इसमें लकड़ियाँ और उपले प्रमुख रूप से रखा जाता हैं। होलिका में भरभोलिए जलाने का रिवाज है। भरभोलिए गाय के गोबर से बनाया जाता हैं जिनके बीच में छेद होता है, जिनमें मूँज की रस्सी को डाल कर माला बनाई जाती है। इस एक माला में सात उबाले होते हैं। होली में आग लगाने से पहले इन उबलों को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमाया जाता हैं जिससे भाईयों को किसी तरह की नजर न लगे। और बाद में इन उबलों को होलिका दहन में ड़ाल दिया जाता हैं।
होलिका का दिन में योग्य पंडित के द्वारा विधिवत पूजन किया जाता है। शाम के समय ज्योतिषियों द्वारा बताए शुभ मुहूर्त पर होली का दहन किया जाता है। होलिका का दहन का अर्थ है समस्त बुराइयों का अंत, बुराइ पर अच्छाइ की जीत का प्रतीक हैं।
प्रचलित कहानी-
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत शक्तिशाली राक्षस था। हिरण्यकश्यप ने अपने राज्य में उसके अलावा किसी ओर को भगवान मानने की पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकश्यप के पुत्र भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु को ही भगवान मानते थे और अपने पिता हिरण्यकश्यप को भगवान मानने से इनकार करते थे, इसी कारण हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे। क्योंकि भगवान ब्रम्हा ने होलिका को वरदान दिया था कि वह अग्नि में जल नही सकती। हिरण्यकश्यप के आदेशानुसार होलिका भक्त पहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन अग्नि से हिरण्यकश्यप की बहन होलिका तो जल गई पर प्रहलाद बच गए। इसी कारण से इस दिन होलिका को जलाया जाता हैं।
होली में सावधानियां-
आज के समय में Chemical से युक्त रंगों का प्रयोग किया जाता हैं, यह हानिकारण हो ता हैं जिससे त्वचा में अनेक प्रकार के रोग हो सकत हैं जैसे- खुजली, रेशस आदि। होली खुशियों का त्योहार हैं इसे मेल-मिलाप के साथ मनाना चाहिए न कि किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए। आज के समय में लोग अनेक प्रकार के मादक नशे में चुर होकर रंग खेलते हैं, जिससे केवल लोगों को नुकसान ही पहुंचता हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। होली को शुद्ध रंगों के साथ मनओं और खुब मस्ती करों, लेकिन आपकी मस्ती से किसी को किसी प्रकार का कोई नुकसान हो यह भी ध्यान रखना चाहिए।
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