
24 December National Consumer Day- राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
24 December National Consumer Day- रल्प नाडेर द्वारा उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत अमेरिका में की गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के द्वारा उपभोक्ता संरक्षण का विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक में चार विशेष प्रावधान थे-
- उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार
- सूचना प्राप्त करने का अधिकार
- उपभोक्ता को चुनाव करने का अधिकार
- उपभोक्ता की सुनवाई का अधिकार
भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस-
भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत 1966 में मुंबई से हुई थी। पुणे में सन् 1974 में ग्राहक पंचायत की स्थापना कि गई उसके बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण हेतु संस्थाओं का गठन किया गया और धीरे-धीरे यह आंदोलन बढ़ता गया।
प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर ही 9 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और 24 दिसम्बर 1986 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में इसे लागू किया गया। भारत में पहली बार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस सन् 2000 में मनाया गया था, और उसके बाद से यह हर वर्ष 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
उपभोक्ता संरक्षण कानून से संबंधित रोचक तथ्य है कि किसी भी Government Party ने इस विधेयक को तैयार नहीं किया। सबसे पहले अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने इस विधेयक के प्रारूप को तैयार किया। 1979 में एक आयोग का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष गोविन्ददास एंव सचिव सुरेश बहिराट थे, और स्वाति शहाणे,गाविंदराव आठवले,शंकरराव पाध्ये को इस आयोग का सदस्य बनाया गया।
ग्राहक पंचायत की स्थापना 1947 में पूर्व में ग्राहक पंचायत द्वारा किये गए प्रयासों के कारण हुआ। उस समय इन सदस्यों को एक बात ध्यान में आई कि अगर कोई विक्रेता किसी उपभोक्ता के साथ अन्याय करता हैं तो वह शिकायत कहां करेगा क्योंकि उस समय अगर कोई उपभोक्ता अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता, विरोध करता तो विक्रेता ग्राहक पर लूट मार का आरोप लगा दिया करते थे। इसलिए ग्राहक पंचायत आयोग के सदस्यों ने कानूनी विशेषज्ञों से मिलकर एक सही विधेयक को तैयार किया और सन् 1980 में महाराष्ट्र राज्य विधान परिषद् के सदस्य बाबुराव वैद्य ने इस विधेयक को उपभोक्ता न्यायालय में रखने का उत्तरदायित्व लिया।
उपभोक्ता के अधिकार-
- उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार– उपभोक्ता के स्वास्थ्य या जीवन के लिए हानिकारक वस्तुओं की बिक्री से सुरक्षा का अधिकार है, जैंसे आपने कोई दवा खरीदी है, जो कि खराब हो चुकी हैं तो आप दवा विक्रेता को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं। या किसी खाने के समान में मिलावट हैं और उससे आपके शरीर को किसी प्रकार का नुकसान हो गया हैं तो आप क्षतिपूर्ति के अधिकारी हैं।
- सूचना पाने का अधिकार– उपभोक्ता जिस वस्तु को ले रहा हैं उसके बारे में पुरी जानकारी लेने का अधिकार हैं जैसे- वस्तु की मात्रा, शुद्धता, गुणवत्ता, मूल्य आदि। साथ ही वस्तु के उपयोग की जानकारी जैसे- गैस सिलेन्डर को कैसे इस्तमाल करना हैं और इस्तमाल न करना हो तब रेगुलेटर की सहायता से गैस के प्रवाह को बंद कर देना हैं आदि।
- चयन का अधिकार– उपभोक्ता को अनेक किस्मों में से चयन का अधिकार है, क्योंकि बहुत बार दुकानदार खराब वस्तु को बेचने के लिए अनेक तरीके अपनाते हैं और कभी भी किसी भी दबाव में किसी वस्तु को नहीं लेना उपभोक्ता का अधिकार हैं।
- सुनवाई का अधिकार– सरकार या सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा उपभोक्ता के हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी प्रकार के निर्णय लिए जाएं, तो उपभोक्ता से सलाह ली जाय।
- निवारण का अधिकार– यदि कोई व्यापारी किसी भी प्रकार से उपभोक्ता को दोषपूर्ण अथवा मिलावटी वस्तु को बेचता हैं जिससे उपभोक्ता को हानि होती हैं तो उपभोक्ता उसकी शिकायत कर सकता है, और दुसरी वस्तु या उसकी किमत वापस लेने का अधिकार हैं। और यदि आपूर्तिकर्ता अथवा विनिर्माता की गलती के कारण उन्हें कोई हानि होती है अथवा किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो उपभोक्ता के लिए उचित क्षतिपूर्ति का भी प्रावधान है।
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार– उपभोक्ता संगठन, शैक्षणिक संस्थान एवं सरकारी नीति निर्धारकों से अपेक्षा है कि वे उपभोक्ताओं को निम्नलिखित विषयों से अवगत कराएं और उनके विषय में शिक्षित करें। बाजार में दोषपूर्ण कार्यों एवं उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने के लिए उपभोक्ताओं में जागरूकता पैदा करना एवं उनको शिक्षित करना बहुत आवश्यक है।
उपभोक्ता के उत्तरदायित्व-
- उत्पाद अथवा सेवाओं का उचित उपयोग– अगर उपभोक्ता किसी वस्तु को लेता हैं और वह वस्तु गारंटी में हैं तो वह यह सोच कर उसका दुरूपयोग करने लगता हैं कि वस्तु तो गारंटी में बदल जाएगी, यह सोच कर किसी भी वस्तु का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। आपके द्वारा ली गई वस्तु को अपना समझ कर प्रयोग करें।
- स्वयं सहायता का दायित्व– उपभोक्ता को कभी भी किसी वस्तु के चुनाव के लिए व्यापारी पर निर्भन नहीं रहना चाहिए। अपने स्वयं के विवेक से वस्तु को खरीदना चाहिए।
- लेन-देन का प्रमाण– उपभोक्ता का दायित्व हैं कि वह जिस वस्तु को खरीद रहा हैं उसका Cash Memo जरूर ले, क्योंकि आप किसी वस्तु में किसी कमी के सम्बन्ध में शिकायत करना चाहते हैं तो आपके पास उस वस्तु का Cash Memo होना जरूरी हैं।
- उचित दावा– उपभोक्ता को शिकायत करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अनुचित रूप से बड़ा दावा नहीं करे।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986–
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बैंकिग, बीमा, वित्त, ट्रांसपोर्ट, होटल, टेलीफोन, बिजली की आपूर्ति या अन्य ऊर्जा, आवास, मनोरंजन अथवा अमोद-प्रमोद आदि में अधिक संरक्षण प्राप्त कर सकता है।उपभोक्ता के विवादों का शीघ्र और उचित निपटारा करने के लिये अर्ध न्यायिक पद्धति को बनाया गया है। इसमें जिला फोरम, राज्य आयोग तथा राष्ट्रीय आयोग को शामिल करते हैं। इन्हें उपभोक्ता न्यायालय कहा जाता है।
कहाँ और कैसे करे शिकायत?-
उपभोक्ता को शिकायत के लिए एक सादे कागज पर अपनी शिकायत मय अपने पत्ते के साथ लिखनी होती हैं और साथ में जिस वस्तु के लिए वह शिकायत कर रहा है उसकी सारी जानकारी जैसे- Cash Memo, Receipt, Agreements वैगरह शिकायत पत्र के साथ देना होता हैं। (केवल प्रतिलिपी) व्यक्ति या तो स्वयं या अपने वकील के जरीए शिकायत Fees के साथ District Forum या State Forum के पक्ष में अपनी शिकायत जमा करा सकता हैं।
NOTE- आपके लिए यहाँ नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन Toll Free No 1800-11-4000 दिया गया हैं। जहाँ आप अपनी शिकायत कर सकते हैं।
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