
Nag Panchami Katha in Hindi
Nag Panchami Katha in Hindi- हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हमारे देश में गाय की पूजा होती है। कोकिला-व्रत होता है, जिसमें कोयल के दर्शन होने पर या उसकी आवाज कानों में पड़ने पर व्रत को खोला जाता है और भोजन किया जाता है। हिन्दू संस्कृति में वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट-सावित्री व्रत के दिन बरगद की पूजा कि जाती है। उसी प्रकार से नागपंचमी के दिन नाग की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी महत्त्व
श्रावन मास की शुक्ल पंचमी को नागपंचमी कहते है। यह हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार भी है। नागपंचमी के दिन नागदेव या सर्प की पूजा की जाती है। नागपंचमी के दिन कई गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन किया जाता है। भारतवर्ष की पृष्ठभूमि पर मनाया जाने वाला नागपंचमी का पर्व अत्यंत प्राचीन पर्व है। वाराह पुराण में आई कथा के अनुसार श्रावणमास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ब्रह्माजी ने शेषनाग को पृथ्वी धारण करने का आशीर्वाद प्रदान किया था। नागपंचमी की कई कथाऐ भी प्रचलित है, जिसका नागपंचमी के दिन पाठन किया जाता है।
प्रथम कथा
एक समय की बात है, यमुना नदी में कालिया नाग का निवास था, जिसके कारण पूरी यमुना नदी का पानी काले रंग का हो गया भयानक विषधर कालिया नाग के विष के कारण यमुना नदी विषाक्त हो चली थी। जब कालिया नाग के इस कृत्य की जानकारी भगवान श्री कृष्ण तक पहुंची। तब भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग के साथ युद्ध कर उसे हरा दिया और यमुना नदी को छोड़ने पर विवश कर दिया और पाताल लोक भेज दिया। जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को हराया था वह दिन श्रावण मास की पंचमी तिथि थी, इस कारण नाग देवता की पूजा कर उसे नागपंचमी का नाम दिया।
द्वितीय कथा
एक सेठ के चार पुत्र थे। सभी का विवाह हो चूका था। तीन पुत्र की पत्नियों का मायका बहुत सम्पन्न था उसे धन-धान की कोई कमी ना थी, लेकिन चौथी के परिवार में कोई नहीं था उसका विवाह किसी रिश्तेदार ने किया था। अन्य तीन बहुए अपने घरो से कई उपहार लाती थी और छोटी बहु को ताने मारती थी। लेकिन छोटी बहुत स्वाभाव से बहुत अच्छी थी उस पर इन बातों का प्रभाव नहीं पड़ता था।
एक दिन बड़ी बहु से सभी बहुओं को साथ चल कर कुछ पौधे लगाने को कहा। बड़ी बहु ने खुरपी से गड्डा करने के लिए जैसे ही खुरपी को उठाया। उसी समय वहां एक सर्प आ गया उसने उसे मारने की सोची लेकिन छोटी बहु ने उसे रोक दिया कहा,” दीदी यह बेजुबान जानवर हैं इसे ना मारे।” तब सर्प की जान बच गई। कुछ वक्त बाद सर्प छोटी बहु के स्वपन में आया और उसने उससे कहा तुमने मेरी जान बचाई इसलिए तुम जो चाहों मांग लो। छोटी बहु ने सर्प को उसका भाई बनने का कहा। सर्प ने छोटी बहु को अपनी बहन स्वीकार किया। कुछ दिनों बाद सारी बहुयें अपने-अपने मायके गई और वापस आकर छोटी बहु को ताना मारने लगी। तब ही छोटी बहु को उस स्वपन का ख्याल आया और उसने मन ही सर्प को याद किया।
एक दिन वह सर्प मानव रूप धर के छोटी बहु के घर आया और उसने सभी को यकीन दिलाया कि वो छोटी बहु का दूर का भाई हैं। और उसे अपने साथ मायके ले जाने आया है। परिवार वालो ने उसे जाने दिया। रास्ते में सर्प ने छोटी बहु को अपना वास्तविक परिचय दिया। और उसे शान से घर लेकर गया। जहाँ बहुत धन-धान्य था। सर्प ने अपनी बहन को बहुत सा धन, जेवर देकर मायके भेजा। जिसे देख बड़ी बहु जल गई और उसने छोटी बहु के पति को भड़काया और कहा कि छोटी बहु चरित्रहीन हैं। इस पर पति ने छोटी बहु को घर से निकालने का निर्णय लिया। तब छोटी बहु ने अपने भाई सर्प को याद किया। सर्प उसी वक्त उसके घर आया और उसने सभी को कहा कि अगर किसी ने मेरी बहन पर आरोप लगाया तो वो सभी को डस लेगा। इससे वास्तविकता सामने आई और इस प्रकार भाई ने अपना फर्ज निभाया। तब ही से सर्प की पूजा सावन की शुक्ल पंचमी के दिन की जाती हैं। लडकियाँ सर्प को अपना भाई मानकर पूजा करती हैं। धन्य धान की पूर्ति हेतु भी सर्प की पूजा की जाती हैं।
नागों की विषेशता
भारत एक कृषिप्रधान देश है और सांप खेतों की रक्षा करते है, इसलिए सांपों को क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों को सांप खा जाता है, जिससे फसलों को नुकसान नही होता है और खेत हरा-भरा रहता है। हमारे जीवन में सांपों का बहुत महत्व है।
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