
Mothers Day Speech in Hindi
Mothers Day Speech in Hindi- मातृ दिवस वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस नाम की एक महिला के द्वारा समस्त माताओं के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। सन् 1912 में एना जार्विस ने Second Sunday in May और Mother’s Day’ शब्द का सृजन किया।
भगवान को कभी देखा नहीं हमनें और इसकी जरुरत भी क्या होगी,
ये माँ तेरी सूरत से अलग उस भगवान की मूरत ही क्या होगी?
मदर डे़, भारत सहीत पूरी दुनिया में मातृ दिवस प्रत्येक वर्ष मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। भारत के अलावा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे अन्य देशों मेँ भी मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाते हैं। मातृ दिवस संसार की सभी माँ का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है, क्योंकि एक बच्चे की परवरिश करने में माताओं द्वारा सहन की जानें वालीं कठिनाइयों के लिये आभार व्यक्त करने के लिये यह दिन मनाया जाता है।
‘’माँ के कंधे पर जब सर रखा मैंने तो पुँछा माँ से, कब तक युही अपने कंधे पर सोने देंगी,
माँ ने कहा बेटा, तब-तक की जब तक लोग मुझें अपने कंधे पर उठा नहीं लेंगे।‘’
माँ शब्द में पूरी दुनिया का बोध होता है। माँ शब्द में वह लगाव एवं मिठास छिपी होती है, जो ओर किसी शब्द में नहीं होती। माँ नाम ही संवेदना, भावना और अहसास का है। माँ के आगे दुनिया के सभी रिश्ते बौने हो जाते हैं। माँ की छाया में न केवल वह अपने बच्चों को सहेजती है बल्कि जरूरत पड़ने पर उसका सहारा बन जाती है। दुनिया में ऐसे कई उदाहरण है जिन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की पूरी जिम्मेदारी निभाई।
“खुदा का दूसरा रूप है माँ, ममता की गहरी झील है माँ,
वो घर किसी जन्नत से कम नहीं, जिस घर मे खुदा की तरह पूजी जाती है माँ”
कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया। माँ बिना किसी स्वार्थ के अपने बच्चों की हर जरुरत के लिये हर पल तैयार रहती है। माँ पहली, सर्वश्रेष्ठ और सबसे अच्छी व महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि कोई भी माँ की तरह सच्चा और वास्तविक नहीं होता। जिंदगी की पहली गुरू माँ होती हैं, बच्चे की पहली दोस्त माँ होती है।
‘’माँ तेरे दूध का कर्ज मुझसे कभी अदा नहीं होगा।
अगर कभी रही तू नाराज तो खुश वो खुदा मुझसे क्या होंगा’’
लेकिन आज के इस भौतिकवादी समय में अजीब विड़बना है, लोग अपनी माँ का ख्याल तक नहीं रखते है और यही कारण है कि आज बच्चों के होते हुए भी माँओ को अकेला तन्हा छोड़ दिया जाता है। आज के समय में बच्चे अपनी माताओं को केवल अपने सुख के लिए वृद्धाश्रम में छोड़ आते है और जिन माँओ ने अपने बच्चे के लिए अपना सारा सुख छोड़ दिया आज उन्हीं के बच्चे अपनी माँ को सड़क पर असहाय छोड़कर चले जाते है और माँ को अपना जीवन अकेले ही जीना पड़ता है।
” हमारे कुछ गुनाहों की सज़ा भी साथ चलती है हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है।”
Beti hu Mai tumhari kabhi kisi chij ki dhokha nahin dungi Jo royegi mujhe Tum Dil se yad karke ma tumhen main aisi kabhi mauka nahin dungi