Moral Stories for Kids – सुरामल नाम का एक राजा था। एक दिन उसने अपने सेनापति को आदेश दिया कि वह इस राज्य में इस बात की खोज करे कि कौन-कौन से जीव-जंतु काम के हैं और कौन से काम के नहीं है।
सेनापति को राजा के इस आदेश पर बड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन राजा का आदेश था, सो मानना तो था ही।
सेनापति ने कुछ दिन खोज करने के बाद राजा को आकर कहा, “महाराज… इस देश में केवल ‘मक्खी और मकड़ी’ दो ही ऐसे जीव हैं, जो बिल्कुल काम के नहीं है।“
राजा ने कुछ सोंच कर आदेश दिया कि, “इन मकड़ी और मक्खियों को मार दिया जाए क्योंकि इनसे राज्य को कोई फायदा नही है।“
सुरामल के सैनिकों ने राज्य की सारी मकड़ी और मक्खियों को मारना शुरू कर दिया। उसी दौरान दूसरे राज्य के राजा ने सुरामल के राज्य पर आक्रमण कर दिया और इस युद्ध में सुरामल की हार हो गई। सुरामल के महल पर शत्रु सैना का अधिकार हो गया और सुरामल किसी तरह से अपनी जान बचा कर अपने राज्य से भाग निकला लेकिन शत्रु सैनिक अभी भी सुरामल का पीछा कर रहे थे। भागते-भागते सुरामल शत्रु सैनिकों से काफी आगे निकल गया। वह अत्यधिक थक गया था, इसलिए एक पेड़ के नीचे बैठ कर कुछ आराम करने लगा।
अत्यधिक थका हुआ होने की वजह से बैठते ही सुरामल को गहरी नींद आ गई। तभी एक मक्खी ने सुरामल की नाक पर डंक मारा जिससे सुरामल राजा की नींद खुल गई और अचानक उसे ख्याल आया कि, “खुले में ऐसे सोना सही नहीं होगा। मुझे कोई सुरक्षित जगह खोजनी होगी, जहाँ शत्रु सैनिक पहुँच न पाए और मैं छिप कर वहां रह सकुं।” ऐसा सोंचते हुए सुरामल एक गुफा में जा छिपे।
सुरामल राजा जिस गुफा में छिपे, वहां मकड़ियों ने गुफा के द्वार पर घना जाला बना दिया। शत्रु राजा के सैनिक आए और सुरामल को इधर-उधर खोजते हुए गुफा के पास तक पहुंचे लेकिन गुफा के द्वार पर घना जाला देखकर सैनिक एक-दूसरे से बात करने लगे कि, “हो सकता है, सुरामल यहाँ आया ही न हो क्योंकि अगर वह यहाँ आया होता तो इस गुफा में छुपता और अगर इस गुफा मैं छिपता तो यह जाला नष्ट हो जाता।” यही सोंच कर शत्रु सैनिक वहाँ से चले गए और सुरामल की जान बच गई।
राजा को समझ में आ गया था कि दुनिया में कोई भी प्राणी या वस्तु बेकार में नहीं है। हर चीज की एक कीमत है और प्रत्येक का अपना अलग उपयोग है। सुरामल को अपने किए हुए पर बड़ा पछतावा हो रहा था क्योंकि मक्खी व मकड़ी ही वे जीव थे, जिन्हें सुरामल ने केवल इसलिए मारने का आदेश दे दिया था क्योंकि उन्हें लगता था कि ये जीव उनके राज्य के लिए किसी काम के नहीं हैं, जबकि उन्हीं की वजह से राजा की जान बच सकी थी।
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