चंद्रयान-2 के 40 महत्वपूर्ण रोचक तथ्य- Moon Mission in Hindi- चंद्रयान-2 Space Technology की दुनिया में पूरे विश्व की मानवता के लिए भारत का बहुत बड़ा योगदान साबित होने जा रहा है। अमेरिका, रूस, चीन और जापान जैसे बड़े-बड़े देश हैरान हैं कि भारत ने अपने देश में इतनी बड़ी टेक्नॉलोजी कैसे विकसित कर ली है और वो भी उन सबके मुकाबले बहुत ही मामूली लागत में। यह मिशन भारत को चांद के बारे में वैसी जानकारियां जुटाने में मदद करेगा, जिससे अब तक दुनिया अनजान है। जाहिर की इस मिशन की कामयाबी से स्पेस की दुनिया में भारत की पहचान को बहुत ज्यादा सम्मान मिलने वाला है। आइए चंद्रयान-2 से जुड़ी हुई 10 रोचक तथ्यों पर नजर डालते हैं।
- चंद्रयान-2 को एक उपनाम दिया गया है ‘’ बाहुबली’’। यही बाहुबली Launch Rocket के अन्दर है।
- चंद्रयान-2 यह पहला अंतरिक्ष कार्य है, जिसमें चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में किसी Space Machine की Soft Landing होनी है।
- इसके सतह का भू-भाग चांद के उत्तर ध्रुवीय इलाके से कहीं ज्यादा बड़ा है और यह भाग हमेशा छाए में रहता है।
- चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में भेजने का कारण यह है कि चंद्रमा यह हिस्सा छाया से छिपा रहता है।
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- चंद्रमा के दक्षिणी धुव्र में बड़ा Creator बहुत ही शांत है, इसलिए चंद्रयान-2 का मिशन यह है कि वह उस Creator को अच्छी तरह से जांच सके और पता लगा सके कि मानव के लिए कोई जीवन मौजूद है या नहीं।
- 2008-09 में इसरो ने चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था, जिसका बजट 350 करोड़ रूपए था। मतलब नासा के बजट से 8-9 गुणा कम था। चंद्रयान-1 ने ही चाँद पर पानी की खोज की थी।
- 11 साल पहले भेजे गए चंद्रयान;1 ने चंद्रमा पर 3500 के आसपास परिचालित किया था और इसने 29 अगस्त 2009 से तेज गति से 212 दिनों तक अप्रभावित काम करना जारी रखा।
- भारत का अंतरिक्ष विभाग ISRO , पहले भारत के परमाणु विभाग का ही एक भाग हुआ करता था लेकिन अंतरिक्ष विभाग का काम बहुत ज्यादा होने के कारण साल 1969 में इससे एक अलग संस्थान बना दिया गया,जिसका नाम था ISRO।
- चंद्रयान;2 का वजन लगभग 3850 किलोग्राम है।
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- कुछ डरावनी चुनौतियोंमें Rover को -180 से +130 डिग्री का तापमान सहना होगा। साथ ही चंद्रयान-2 की चांद की कक्षा में प्रवेश दिलाना बेहद जटिल है, थोडा भी चुके तो चंद्रयान-2 शुन्य में गुम हो जाऐगा।
- जैसा कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को मालुम है कि इसरो बहुत ही कम बजट में कार्य करता है, इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 मिशन में लगभग, 1000 करोड़ रुपए का खर्च आया हैं।
- 603 करोड़ रूपए मिशन की लागत, 375 करोंड़ प्रक्षेपण की कीमत हैैै।
- 120 संगठन ने हाथ मिलाया है, भारत को यह उपलब्धि दिलाने में।
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- अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चौथा देश होगा जो चांद पर लैंडर से उतारेगा। साथ ही पूरी दुनिया का पहला देश होगा भारत जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
- Candrayaan-2 को सबसे पहले 2011 में Russian Main Lander और Rover के साथ चाँद पर भेजा जाना था, लेकिन रूस ने कुछ ही समय बाद इस मिशन के लिए अपना Rover इस्तेमाल करने से मना कर दिया। इसका प्रमुख कारण यह था कि वह नहीं चाहता था कि भारत जैसा देश उसकी बराबरी करे।
- Russian Main Lander और Rover के मना करने के बाद इसरों के वैज्ञानिक ने अपना स्वंय का Main Lander और Rover बनाया और चंद्रयान-2 को चंद्रमा तक पहुंचने में मदद की।
- Candrayaan-2 मिशन का सबसे बड़ा काम यह है कि चंद्रमा पर पानी की मात्रा कितनी है, चंद्रमा पर खनिज सामग्री क्या है और वे कौन सी चीजें हैं जो इंसान के लिए लाभदायक हो सकती है।
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- पृथ्वी के लिए चंद्रमा ब्रह्मांड का निकटतम पिंड है, जिसके आधार पर अंतरिक्ष की खोज और उसे सहेजने की कोशिश की जा सकती है।
- भारत के चंद्रयान-2 से पहले किसी भी देश ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र की खोजबीन की कोशिश ही नहीं की है। केवल भारत ही है जिसने चंद्रयान-2 की साहयता से चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र की खोजबीन करेगा।
- पूर्व के ISRO Chief, G Madhavan Nair ने कहा है कि, “चंद्रयान-2 इसरो के अबतक के सभी अभियानों में सबसे ज्यादा जटिल कार्य होने वाला है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह चंद्रयान-1 द्वारा जुटाए गए डाटा की पुष्टि करने का Followup Mission है। यह युवा वैज्ञानिक समूहों के लिए बहुत बड़ा Motivator साबित होने जा रहा है।
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- चंद्रयान-2 Indian Space Research Organization ‘’ISRO’’ का Moon Mission है।
- चंद्रयान-2 में एक Orbiter, एक Lander जिसका नाम विक्रम है और एक Rover प्रज्ञान को शामिल किया गया हैं।
- विक्रम का अर्थ होता है साहसी या वीरता। Lander का नाम Indian space program के जनक और भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।
- GSLV Mark-3 भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली Space Launcher है और चंद्रयान-2 को उसके निर्धारित Orbiter तक लेकर जा रहा है।
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- चंद्रयान-2 में Orbiter का जिवन काल एक वर्ष है और साथ ही एक मीटर लंबे Rover की संभावित उम्र One Lunar Day यानी धरती के 14 दिनों के बराबर है।
- Spacecraft Lander विक्रम की जाँच के लिए इसरो ने बेंगलुरु के अपने चल्लाकेरे Science city में चंद्रमा की सतह की तरह का एक परीक्षण स्थल का निर्माण किया था।
- Spacecraft Lander विक्रम की जाँच के लिए इसरो की जमीन तैयार करने के लिए उसकी मिट्टी तमिलनाडु में सलेम के पास के कुछ खास जगहों से जुटाई थी।
- भारत के साथ ही कई Agencies के भू-वैज्ञानिकों ने पाया था कि ‘North Side’ की चट्टानें संरचना और विशेषताओं में चंद्रमा की मिट्टी से काफी मिलती-जुलती हैं।
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- चंद्रयान-2 में 14 Indian Payloads या अध्ययन उपकरण हैं, जिससे चंद्रमा के Topography, cismography, खनीजों की पहचान और उनका वितरण और उसकी सतह की रासायणिक संरचनाओं की अध्ययन की जा सकेगी।
- इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई की रात 2.51 बजे होनी थी, लेकिन 15 जुलाई को लॉन्चिंग से 56 मिनट पहले स्पेसक्राफ्ट में कुछ तकनीकी खराबी पाई गई थी। जिसके कारण लॉन्चिंग कारण टाल दी गई थी। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने केवल एक हफ्ते के अंदर सभी तकनीकी खामियों को ठीक कर लिया है।
- चंद्रयान-2 की तकनीकी खामियों को ठीक करने के बाद में चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2:43 पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा।
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- इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था। बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई। बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया। इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया। ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे।
- लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं। जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।
- चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर के लैंड करने में करीब 2 महीने का वक्त लगेगा।
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- चंद्रयान-2 के सफल होने के बाद करीब 55 दिन में चंद्रयान-2 के 6 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की संभावना है।
- चंद्रयान-2 मिशन सफल हुआ तो अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत चांद पर रोवर उतारने वाला चौथा देश होगा।
- चंद्रयान-2 से पहले चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया जा चुका है। जिसे 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था, लेकिन तब भारत ने चांद पर क्रैश लैंडिंग कराई थी जिसे हार्ड लैंडिंग भी कहा जाता है।
- चंद्रयान-2 करीब 7:30 मिनट पर ऑस्ट्रेलिया के ऊपर से गुजरा और लोगों ने समझ लिया कि उनके देश से एलियन गुजर रहे हैं। जी हां, ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने चंद्रयान-2 को यूएफओ समझ लिया था।
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- चंद्रयान-2 की सफलता के बाद अब सन् 2022 में भारत का मिशन Gaganaya का प्रक्षेपण होगा और पहली बार भारत चांद पर एक Human Mission काा प्रक्षेपण करेगा।
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Thanks for very good knowledges about our chandryan-2.
Jai Hind Jai Bharat.