Manglik Dosha in Hindi- मांगलिक दोष का नाम सुनते ही मन में अनेक शंका उत्पन होने लगती है। मांगलिक दोष ने समाज के सभी वर्ग को भयभीत किया है। माना जाता है कि ऐश्वर्य राए ने अभिषेक बच्चन से विवाह करने से पहले ”बरगद के पेड़ से विवाह” किया था।
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ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मंगल ग्रह एक उग्र प्रकृति का ग्रह है और इसी कारण से इसे पाप ग्रह माना जाता है। किसी भी वर-वधु के विवाह से पहले कुण्डली मिलान में मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को विशेष रूप से देखा जाता है, क्योंकि मंगलिक दोष का निर्माण मंगल की स्थिति से होता है जिसे वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ योग माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार 100 में से 70 लोगों की कुण्डली में मंगल दोष होता ही है, लेकिन कुण्डली में कुछ शुभ योग होने के कारण मंगलिक दोष प्रभावहीन हो जाता है।
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क्या होता है मांगलिक दोष?
गोलिया मंगल ‘पगड़ी मंगल‘ तथा चुनड़ी मंगल जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो व पुरुष गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी मंगली इसी को माना जाता है।
पहले घर का मांगलिक का दोष- ज्योतिषियों के अनुसार कुण्डली के पहले घर से मंगल की चौथी दृष्टि चौथे स्थान पर पड़ती है और वैवाहिक जीवन का सुख कुण्डली के चौथे भाव से देखा जाता है, यदि किसी जातक की कुण्डली में चौथे भाव पर मंगल का अशुभ प्रभाव होता है तो उस जातक के वैवाहिक जीवन में आने वाली खुशियाँ पूरी नहीं हो पाती है और विवाह होने के बाद भी विवाह का सुख नहीं मिल पाता है। चौथे भाव पर मंगल का बुरा प्रभाव होने से पति-पत्नी में दूरिया आ जाती है और उनका विवाह विछेद भी हो सकता है।
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कुण्डली के अनुसार मंगल ग्रह की सातवी दृष्टि सातवे स्थान पर होने से जीवन साथी गर्म स्वभाव का होता है और इसी कारण आपसी संबंधो में खटास हो जाती है। सातवी दृष्टि के कारण जीवन साथी को किसी धारदार हथियार से चोट की आशंका भी बनी रहती है।
मंगल की तीसरी दृष्टि आठवें घर पर होती है, और आठवे घर का सम्बन्ध जीवन साथी की उम्र से होता है। यदि मगल दृष्टि आठवे घर पर हो तो जीवन साथी की उम्र पर असर पड़ता है।
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दुसरे घर के मांगलिक दोष- कुंडली में दूसरा घर परिवार का होता है। यदि अशुभ मंगल की स्थिति दुसरे भाव में हो तो मांगलिक दोष बनना स्वभाविक है। अगर किसी जातक की कुण्डली में ऐसा योग बन रहा है तो उस जातक के परिवार में सदस्यों की बढ़ोतरी नहीं हो पाती। ऐसा योग होने पर विवाह देर से होने की संभावना होती है और अगर विवाह हो भी जाए तो विवाह के उपरान्त संतान उत्पत्ति में रूकावटे आती रहती है।
दुसरे घर के मंगल की चौथी दृष्टि कुंडली के पाचवे स्थान पर पड़ती है और यह स्थान संतान उत्पत्ति और प्रेम विवाह से सम्बन्ध रखता है। यदि किसी जातक के ऐसे योग बन रहे हैं तो उस जातक प्रेम विवाह होने में कठनाईया तथा संतान उत्पत्ति में रूकावटे आती है।
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चौथे घर का मांगलिक दोष- कुण्डली में चौथा स्थान विवाह सुख का होता है, इस घर में मंगल के अशुभ प्रभाव से जातक का विवाह होने के बाद भी विवाह सुख नहीं मिल पाता। चौथे घर से मंगल की चौथी दृष्टि सातवे घर पर पड़ती है। ऐसा होने पर जीवन साथी का स्वभाव गुस्सैल होता है और यही कारण होने के कारण वैवाहिक जीवन में खटास हो जाती है।
चौथे घर से मंगल की आठवी दृष्टि कुंडली के ग्याहरवे घर पर पड़ती है। इस कारण से जातक अपने जीवन साथी से धोखा करके किसी और से अनैतिक संबंध बना सकता है और इसी कारण से ऐसे जातक का संबंध विच्छेद हो सकता है।
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सातवें घर का मांगलिक दोष- सातवे घर में मंगल के अशुभ प्रभाव से मांगलिक दोष बनता है और ऐसी स्थिति के कारण पति और पत्नी में गुस्सा और अहंकार के कारण आपसी गृह क्लेस होते रहते है। यदि मंगल अशुभ स्थिति में हो तो इन्हीं झगड़ों के कारण तलाक अथवा जीवन साथी की मृत्यु भी हो सकती है।
ज्योतिषियों के अनुसार मंगल ग्रह की सातवी दृष्टि लग्न पर होने के कारण गुस्से वाला और व्यभिचारी होता है। इसी के चलते विवाहित जीवन में परेशानियाँ उत्पन्न होती है।
मंगल की आठवी दृष्टि दुसरे घर पर होने के कारण विवाह में देरी, संतान उत्पत्ति में परेशानी और परिवार के सदस्यों से अलगाव रहता है।
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आठवे घर का मांगलिक दोष- कुंडली का आठवा घर जीवन साथी की उम्र से सम्बंधित होने के कारण जीवन साथी की कम आयु का खतरा बना रहता है, दुर्घटना या किसी बीमारी के कारण जीवन साथी की मृत्यु हो सकती है।
मंगल की सातवी दृष्टि दुसरे घर पर होने से परिवार की बढ़ोतरी रुक सकती है। विवाह का देर से होना अथवा न होना, इस दृष्टि के फल हो सकते है।
मंगल की चौथी दृष्टि ग्यारहवे भाव पर आने से जातक अपने जीवन साथी से धोखा कर सकता है, साथ ही उसे गुप्त रोग भी हो सकता है जिसके द्वारा विवाहित जीवन में परेशानिया आती है।
बारहवे भाव का मांगलिक दोष- जिस जातक की कुंडली के बारहवे घर में मंगल होता है वह जातक अधिक व्याभिचारी होता है, जिस कारण से जातक कई लोगो के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाता है तथा किसी भयंकर गुप्त अंगो की बिमारी से ग्रसित हो जाता है।
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मांगलिक दोष के दुष्प्रभाव क्या है?
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मांगलिक का विवाह एक अमांगलिक से हो जाए तो बहुत ही बूरे परिणाम हो सकते है। ऐसा होने पर दोनो मेसे से किसी एक की म्रत्यु भी हो सकती है। जिस जातक की कुण्डली में मांगलिक दोष होता है उन जातकों का विवाह बहुत देर से होता है और अशुभ मंगल होने के कारण जाताकों का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता साथ ही विवाह के बाद या उससे पहले वे उन्नति नहीं कर पाते, लेकिन कुण्डली में शुभ मंगल होने के कारण जातक मांगलिक व्यक्ति विनम्र, निर्भय, प्रभावशाली, होशियार, केंद्रित, अनुशासित होते है। इसी कारण ज्योतिषियों का मानना है एक मांगलिक ही दूसरे मांगलिक की प्रकृति के साथ शांतिपूर्वक जीवन निर्वाह कर सकता है। समाज में एक विचारधारा प्रचलित है कि 28 वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष कम हो जाता है, यह केवल काल्पनिक है।
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लेकिन वैदिक ज्योतिष के अनुसार मकर राशि में स्थित होने पर मंगल को “उच्च का मंगल” या महापुरुष योग बनता है। इसका अर्थ यह है कि ऐसे जातक पुरुषार्थ के बल पर दिग्विजयी होते हैं। मकर राशि में स्थित होने पर मंगल अन्य सभी राशियों की तुलना में सबसे बलवान हो जाता हैं।
मंगलिक दोष का निसक्रिय होना
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर कुण्डली में चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष अथवा कर्क राशि के साथ योग बनाता है तो मंगली दोष नहीं लगता है। मंगल दोष उस स्थिति में भी प्रभावहीन हो जाता है जब मंगल वक्री हो या फिर नीच या अस्त सप्तम भाव में अथवा लग्न स्थान में गुरू या फिर शुक्र स्वराशि या उच्च राशि में होने पर मंगलिक दोष का कुप्रभाव समाप्त हो जाता है।
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पाप ग्रह से नष्ट होता है मंगलिक दोष
सप्तम भाव में स्थित मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। कुण्डली में मंगल गुरू की राशि धनु अथवा मीन में हो या राहु के साथ मंगल की युति हो तो इससे भी मंगलिक दोष प्रभावहीन हो जाता है। पति-पत्नी में से एक की कुण्डली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुण्डली में उसी भाव में पाप ग्रह राहु या शनि स्थित हों तो मंगल दोष नही लगता है। जीवनसाथी की कुण्डली में तीसरे, छठे अथवा ग्यारहवें भाव में पाप ग्रह शनि या राहु होने पर भी मंगलिक दोष का अशुभ प्रभाव व्यक्ति को नहीं झेलना पड़ता है।
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क्यों जरूरी है कुण्डली मिलान
वर, कन्या दोनों की कुण्डली मांगलिक हों तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी एवं एक कुंडली मांगलिक नहीं होना चाहिए।
मांगलिक दोष के उपाय
मांगलिक दोष को शांत करने के उपाय करने से जीवन सुखी हो सकता है। इन उपायों में अगर कुण्डली में वैधव्य विषागना आदि दोषों को दूर करने के लिए ‘पीपल‘ विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन करने के बाद ही अच्छे ग्रह योग वाले जातक के साथ ही विवाह करना चाहिए।
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- मांगलिक दोष को मिटाने का सबसे सरल उपाय है भगवन श्री हनुमानजी की नियमित उपासना है। यह मंगल के हर तरह के दोष तो खत्म करने में सहायक है।
- मांगलिक दोष का असर कम करने के लिए मंगलवार दिन भगवन शिव के शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करना चाहिए।
- मांगलिक दोष के जातक को लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करना चाहिए।
- यदि वर मांगलिक है और कन्या मांगलिक नहीं तो विवाह के समय वर जब वधू के साथ फेरे ले रहा हो तब पहले तुलसी के साथ फेरे ले ले इससे मंगल दोष तुलसी पर चला जाता है और वैवाहिक जीवन में मंगल बाधक नहीं बनता है। इसी प्रकार अगर कन्या मांगलिक है और वर मांगलिक नहीं है तो फेरे से पूर्व भगवान विष्णु के साथ अथवा केले के पेड़ के साथ कन्या के फेरे लगवा देने चाहिए।
- मंगल दोष से पीड़ित जातक को छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए। धर्म शास्त्रों के अनुसार मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाने से भगवान हनुमान मंगल दोष को कम करने में सहायक होते है।
- मांगलिक दोष के जातक को लाल रंग वस्त्र नहीं पहनें चाहिए और अपने क्रोध पर सयम रखना चाहिए।
- ऐसे जातक को मंगलवार के दिन उपवास करना चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- देवियों में मंगल गौरी की कृपा से मंगल दोष कम होता है अत: शुक्रवार को माँ मंगला गौरी की आराधना करे। भगवान शिव के चमत्कारी महामृत्युजय मंत्र का जाप करना भी दोष को कम करने के समान है।
- आटे को लोई में गुड रखकर सफेद गाय को यह खिलाये। मंगल चन्द्रिका स्तोत्र एक शक्तिशाली मंगल दोष कम करने का पाठ है।
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इसके साथ ही मंगल के इन 21 नामों का जाप करना चाहिए। जो निम्न प्राकर है।
ऊँ मंगलाय नम:, ऊँ भूमि पुत्राय नम:, ऊँ ऋण हर्वे नम:, ऊँ धनदाय नम:, ऊँ सिद्ध मंगलाय नम:, ऊँ महाकाय नम:, ऊँ सर्वकर्म विरोधकाय नम:, ऊँ लोहिताय नम:, ऊँ लोहितगाय नम:, ऊँ सुहागानां कृपा कराय नम:, ऊँ धरात्मजाय नम:, ऊँ कुजाय नम:, ऊँ रक्ताय नम:, ऊँ भूमि पुत्राय नम:, ऊँ भूमिदाय नम:, ऊँ अंगारकाय नम:, ऊँ यमाय नम:,ऊँ सर्वरोग्य प्रहारिण नम:, ऊँ सृष्टिकर्त्रे नम:, ऊँ प्रहर्त्रे नम:, ऊँ सर्वकाम फलदाय नम:
नोट:- मंगल यंत्र विशेष परिस्थिति में ही प्रयोग करें। देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्यादि में ही इसे प्रयोग करना चाहिए।
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