Krishna Ashtami Puja Vidhi- भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीविष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में देवकी की कोख से पृथ्वी पर आठवां अवतार लिया था। श्रीकृष्ण भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी और जन्माष्टमी के रूप मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन जन्म होने के कारण भगवान श्रीकृष्ण को बाल गोपाल के नाम से पूजा जाता है।
तो आईऐ जानते है भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-
सर्वप्रथम निम्न मन्त्र से अखण्ड दीपक जलाना चाहिए और उसके बाद श्री गणेश पूजन करना चाहिए।
ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तु ते।
मंत्र पढ़ते हुए दीप प्रज्ज्वलित करें।
श्री गणेश पूजन
किसी भी देवता की पूजा करने से पहले हम सभी को श्रीगणेश जी की पूजा करनी चाहिए इसके लिए हाथ में पुष्प और अक्षत (आखे चावल) लेकर निम्न मन्त्रों से गणपति का ध्यान करें।
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
भगवान गणेश का आवह्नन
ॐ गणानां त्वा गणापतिहवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति ग हवामहे निधीनां त्वा निधिपति ग हवामहे वसो मम।
आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्।
भगवान श्री गणेश की पूजा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा शुरू करना चाहिए। इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण को गंगा जल से स्नान करवा कर निम्न मन्त्रों के द्वारा पूजा करनी चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विधि
सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण बाल गोपाल की पूजा के दौरान निम्न मन्त्रों से शहद से स्नान करना चाहिए।
पुष्प रेणु समुद-भूतं सुस्वाद मधुरं मधु।
तेज-पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृहयन्ताम्।
भगवान श्रीकृष्ण को निम्न मन्त्रों से आसन देना चाहिए।
ॐ विचित्र रत्न-खचितं दिव्या-स्तरण-सन्युक्तम्।
स्वर्ण-सिन्हासन चारू गृहिश्व भगवन् कृष्ण पूजितः।।
भगवान श्री कृष्ण जी को वस्त्र समर्पण करना चाहिए।
शति-वातोष्ण-सन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहा-लंकारणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।।
भगवान श्री कृष्ण को यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए।
नव-भिस्तन्तु-भिर्यक्तं त्रिगुणं देवता मयम्।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।
इस मंत्र के द्वारा बाल गोपाल भगवान श्री कृष्ण को चन्दन अर्पण करना चाहिए।
ॐ श्रीखण्ड-चन्दनं दिव्यं गंधाढ़्यं सुमनोहरम्।
विलेपन श्री कृष्ण चन्दनं प्रतिगृहयन्ताम्।।
इस मंत्र के द्वारा श्री कृष्ण को सुगन्धित धूप अर्पण करना चाहिए।
वनस्पति रसोद भूतो गन्धाढ़्यो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः सर्व देवानां धूपोढ़्यं प्रतिगृहयन्ताम्।।
इस मंत्र के द्वारा श्री कृष्ण भगवान को नारियल फल समर्पण करना चाहिए।
इदं फ़लं मया देव स्थापित पुर-तस्तव।
तेन मे सफ़लानत्ति भरवेजन्मनि जन्मनि।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान श्री कृष्ण को पान-बीड़ा समर्पण करना चाहिए।
ॐ पूंगीफ़लं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम्।
एला-चूर्णादि संयुक्तं ताम्बुलं प्रतिगृहयन्ताम्।।
भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए।
ॐ पालनकर्ता नमस्ते-स्तु गृहाण करूणाकरः।
अर्घ्य च फ़लं संयुक्तं गन्धमाल्या-क्षतैयुतम्।।
इस मंत्र के द्वारा भगवान श्री कृष्ण का आवाहन करना चाहिए।
ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र-पातस-भूमिग्वं सव्वेत-सत्पुत्वायतिष्ठ दर्शागुलाम्।
आगच्छ श्री कृष्ण देवः स्थाने-चात्र सिथरो भव।।
कृष्ण द्वादशाक्षर मंत्र जाप के बाद में भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति करनी चाहिए
‘’ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’’
श्रीकृष्ण स्तुति
कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम।
नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम।
सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि।
गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते, गोपाल चूडामणी॥
क्षमा प्रार्थना मन्त्र
शास्त्रों में देव उपासना की परंपराओं में पूजा-पाठ के दौरान जाने-अनजाने हुए ऐसे ही दोष से छुटकारे के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं। जिनको बोलकर मंत्र, क्रिया या भक्ति दोष का शमन हो जाता है।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन ।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे ।।
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