Krishna Mantra in Hindi- भगवान श्रीकृष्ण सभी देवी-देवताओं में सबसे ज्यादा नटखट और प्यारे देवता है। भगवान श्रीकृष्ण को दयालू और कल्याणकारी माना जाता है। जब भी पृथ्वी पर कहीं भी किसी पर कोई भी संकट आया है, भगवान श्रीकृष्ण ने उन सभी कष्टों का निवारण किया है।
जिस प्रकार से अन्य देवताओं के मंत्र होते है। उसी प्रकार से भगवान श्रीकृष्ण के भी मंत्र है। जिसके पाठन से भगवान श्रीकृष्ण को जल्दि प्रसन्न किया जा सकता है। वेदों में लिखा है कि शब्द ब्रह्म है और मंत्र शब्दों का समूह होता है। जब मंत्र बाल-गोपाल श्रीकृष्ण के हो तो आन्नद ही आ जाता है। मंत्र न केवल मानसिक शांती प्रदान करते है अपितु मंत्र आर्थिक, शारिरीक, अध्यात्मिक समस्या भी दूर करते हैं। केवल मंत्रों का सही उच्चारण ही करना जरूरी है। तो आईए जानते है भगवान श्रीकृष्ण अदभुत मंत्र।
‘’देवकीसुतं गोविन्दम् वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:॥‘’
आज के समय में प्रदुषित वातावरण के कारण स्त्रीयां माँ बनने के सौभाग्य से वंचित हो जाती है या किसी प्रकार की शारिरीक व्याधि के कारण वे माँ नही बन पाती है भगवान वेद व्यास के द्वारा रचित यह मंत्र संतान प्राप्ति का यह सबसे सहज उपाय है। इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार जाप करने से कान्हा जैसी सुंदर संतान की प्राप्ति होती है ऐसा पुराणों में कहा गया है। पति-पत्नी की कुंडली में बुध और गुरु संतान प्राप्ति में बाधक हो, तब दोनों को तुलसी की शुद्ध माला से पवित्रता के साथ ‘संतान गोपाल मंत्र‘ का नित्य 108 बार जप करना चाहिए। अगर जाप स्वंय न कर सके तो विद्वान ब्राह्मणों से सवा लाख जप करवाना चाहिए।
‘’कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥‘’
यह मंत्र श्रीमदभगवतपुराण से लिया गया है और इसके पाठ करने से ग्रह-कलेश का नाश होता है और परिवार में खुशियां बनी रहती है। (श्रीमदभगवतपुराण)
‘’कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:॥ ‘’
परिवार में जिस कन्या का विवाह नही हो रहा हो उसे माँ कात्यायनि के मंदिर में जा कर प्रत्येक दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से कन्या का विवाह जल्दी हो जाएगा और भगवान श्रीकृष्ण के समान पति की प्राप्ति होगी। (श्रीमदभगवतपुराण)
‘’वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर्मर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥ ‘’
गुरु की भक्ति को पाने के लिए जन्माष्टमी के शुभ दिन इस मंत्र 108 बार जप करना चाहिए। ऐसा करने से साधक को गुरू की भक्ति के साथ उसके अनेक कष्टो का शमन भी हो जाता है।
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते।
नमस्ते विष्णु रूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते।
नमस्ते रौद्र देहाय नमस्ते कालकायजे। नमस्ते यम संज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते। प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
आज के समय में जितनी कमाई नहीं होती उससे ज्यादा खर्चे हो जाते है और किसी भी प्रकार के खर्चो को रोक पाना समभ्व नही है। इस मंत्र के जाप से आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिलती है। यह मंत्र आर्थिक स्थिति को ना केवल ठीक करता है, वरन् उसमें तेजी से वृद्धि लाता है।
‘’कृं कृष्णाय नमः’’
भगवान श्रीकृष्ण का यह मूलमंत्र है। मूल का अर्थ होता है जड़। यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का जड़ मंत्र है। इस मंत्र के जाप से परिवार में सुख की वर्षा होती है। व्यक्ति का अटका हुआ धन प्राप्त होता है।
‘’ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय’’
धार्मिक मान्यतानुसार इस मंत्र का पांच लाख जाप करने से यह सिद्ध हो जाता है। जाप के बाद हवन करना चिाहिए और हवन का दशांश अभिषेक का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश मार्जन करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है।
‘’ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो’’
जिनकी वाणी जा चुकी हो या जो बोल पाने में सक्षम न हो उन्हे इस मंत्र का जाप मन ही मन करना चाहिए। क्योंकि यह मंत्र वाणी का वरदान देता है।
‘’ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री’’
भगवान श्रीकृष्ण का यह मंत्र जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानीयों को बाधा को दूर करने में बहुत ही सहायक सिद्ध होता है।
‘’ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा’’
मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करना उत्तम रहता हैं।
‘’लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा’’
संतान की इच्छा रखने वालों को एक लाख जाप के साथ घी, शक्कर तथा शहद में तिल व अक्षत को मिलाकर हवन करना चाहिए। इस प्रकार से जाप करने से संतान की इच्छा तो पूरी होती ही है साथ ही स्थिर संपत्ति की प्राप्ति होती है।
‘’नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”’’
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया इस मंत्र के जाप से सभी प्रकार की आर्थिक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सुबह नित्यक्रिया से निवृत होकर स्नान के बाद इस मंत्र का एक लाख बार जाप करने से किसी भी प्रकार की आर्थिक परेशानी दूर होती है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सही उच्चारित मंत्र ही सही फल प्रदान करते हैं। और मंत्रों का गलत उच्चारण केवल नुकसान ही देता है। क्योंकि वह अपने सही फल की बजाय विपरीत फल प्रदान कर देता है। यदि किसी मंत्र का पूर्ण लाभ चाहते हैं तो प्रातःकाल नित्यक्रिया व स्नानादि के बाद किसी भी इच्छित मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इस प्रकार से जाप करने से मनुष्य सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते हैं।
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