Jyotish in Hindi – Kundali Reading अपने आप में एक कला तो है ही लेकिन भारतीय ज्योतिष हमारे देश का सबसे पुरातन विज्ञान भी है।
अब हम फिलहाल इस बहस में नहीं पड़ेंगे कि ज्योतिष सही है या गलत, क्योंकि मेरा मत ये है कि जब तक हमें किसी विषय केे बारे में पर्याप्त ज्ञान व समझ न हो, तब तक उस विषय पर बहस करना, अथवा बिना कुछ जाने-समझे उसे सही या गलत कह देना या मान लेना, मूर्खता से अधिक और कुछ नहीं है।
इसलिए पहले हम समझ लेते हैं कि आखिर भारतीय ज्योतिष है क्या ताकि हम इस बात का बेहतर निर्णय ले सकें कि भारतीय ज्योतिष को एक विज्ञान कहना सही है या नहीं।
भारतीय ज्योतिष के मूलत: दो हिस्से हैं, जिन्हें “गणित ज्योतिष” व “फलित ज्योतिष” यानी Astronomy व Astrology के नाम से जाना जाता है।
विभिन्न ग्रहों की स्थिति किस समय, किस जगह होगी, विभिन्न ग्रहों की किसी Specific समय पर एक दूसरे से कोणिक दूरी कितनी होगी, विभिन्न ग्रहों की भौतिक स्थिति व प्रकृति कैसी है, आदि जानकारी प्राप्त करने से सम्बंधित गणितीय प्रक्रियाओं को Astronomy यानी गणित ज्योतिष के नाम से जाना जाता है और इन गणनाओं पर वर्तमान समय के किसी भी Modern Scientist या वर्तमान समय तक ज्ञान Modern Science को कोई Objection नहीं है। यानी Modern Science भी ग्रहों की स्थिति, गति, ग्रहण आदि ज्ञात करने के लिए उन्हीं गणितीय प्रक्रियाओं काेे Use करते हैं, जिन्हें पुरातन समय से भारतीय ज्योतिषी करते आए हैं।
जबकि ग्रहों की आपसी स्थिति, गति आदि को आधार बनाकर मनुष्य व प्रकृति पर उसके प्रभाव को निरूपित करने की प्रक्रिया को फलित ज्योतिष यानी Astrology के नाम से जाना जाता है और फलित ज्योतिष को अब तक ज्ञात Modern Science पूरी तरह से नकारता रहा है क्योंकि उसे इस बात में कोई Logic दिखाई नहीं पड़ता कि हजारों-लाखों मील दूर स्थित ग्रहों की आपसी स्थिति व गति में होने वाले परिवर्तनों का प्रभाव मनुष्य व प्रकृति पर पड़ता है और इन्हीं की ऊहापोह स्थितियों के आधार पर मनुष्य व प्रकृति का भविष्य तय होता है, जिसका आंकलन किया जा सकता है अथवा मनुष्य व प्रकृति का भविष्य जाना जा सकता है।
भारतीय फलित ज्योतिष पूरी तरह से इस तर्क पर आधारित है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। यानी जो घटना भूतकाल में कभी घटित हुई है, समान ग्रह स्थितियां होने पर वही घटना भविष्य में फिर घटित हो सकती है, हालांकि समय, वस्तु व स्थिति के अनुसार उस घटना के घटित होने की मात्रा यानी दशा व दिशा में परिवर्तन हो सकता है जो कि स्वाभाविक है।
यानी मान लीजिए कि किसी जन्म-कुण्डली में कोई Specific ग्रह-योग होने पर उस जन्म-कुण्डली वाले व्यक्ति को गड़ा धन मिलने का योग होता है। अब यदि ये ग्रह-योग 500 साल पहले के किसी व्यक्ति की जन्म-कुुण्डली में होता, तो उसे उस समय गड़ा धन मिल सकता था, क्योंकि 500 साल पहले बैंक नहीं हुआ करते थे, इसलिए लोग अपनी बचत को जमीन में गाड़ कर रखते थे। फिर किसी कारणवश स्थितियां ऐसी होती थीं कि अकाल, सूखे, युद्ध, बाढ़ आदि परिस्थितियों की वजह से लोगों को अपना घर-बार छोड़कर अचानक जाना पड़ जाता था। फिर सालों बाद जब कोई ऐसा व्यक्ति, जिसकी कुण्डली में गड़ा धन मिलने का योग होता था, उस गांव में पहुंचता था और उसे वहां उन लोगों का छिपाया गया धन प्राप्त होता था, जिससे उसकी जन्म-कुण्डली में गड़ा धन मिलने का ज्योतिषीय योग फलित होता था।
लेकिन वर्तमान समय में यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में गड़ा धन मिलने का ग्रह योग हो, तो उसे गड़ा धन ही मिलेगा, ये कहना पूरी तरह से गलत होगा क्योंकि आज परिस्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। आज लोग अपना धन छिपाने के लिए उसे खड्डा खोदकर घर में नहीं गाड़ते बल्कि Bank में Locker खुलवाकर उसमें रख देते हैं अथवा जमीन-जायदाद में Invest कर देते हैं या Stock Market अथवा Mutual Fund Schemes में Invest कर देते हैं। इस स्थिति में किसी की भी जन्म कुण्डली में यदि गड़ा धन प्राप्त होने का योग है, तो भी उसे कहीं कोई गड़ा धन कभी प्राप्त नहीं होगा। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उसे कभी कोई धन प्राप्त नहीं होगा क्योंकि वास्तव में यहां Interpretation की ही भूल हाे रही है।
कहने का मतलब ये है कि हालांकि इतिहास अपने आपको Repeat करता है, लेकिन वह Exactly उसी रूप में Repeat करे, जैसाकि भूतकाल में किया है, ये जरूरी नहीं है और यहीं फलित ज्योतिष में विश्वास रखने वाले लोग, Modern Science को सन्तुष्ट नहीं कर पाते क्योंकि गड़ा धन प्राप्त होने का मूल मतलब मात्र इतना ही है कि व्यक्ति को बिना कमाया हुआ धन प्राप्त होगा यानी ऐसा धन प्राप्त होगा, जिसके लिए उसने कोई मेहनत नहीं की है। हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति की कोई बड़ी लॉटरी लग जाए, अथवा सम्भवत: उसके पूर्वजों यानी दादा-दादी, नाना-नानी आदि किसी की कोई जमीन-जायदाद, Property, Mutual Fund, Shares आदि उनकी मृत्यु के बाद उसे प्राप्त हो जाए, जो कि एक तरह से गड़े धन के समान ही है, जो कि एक बिना कमाया हुआ और अचानक मिलने वाला धन होता है।
यहां हमारा उद्देश्य फलित ज्योतिष को सही या गलत साबित करना नहीं है बल्कि हमारा उद्देश्य मात्र इतना ही है कि हम भारतीय फलित ज्योतिष से सम्बंधित विभिन्न बातों को यथा स्थिति ज्यों का त्यों आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकें, ताकि जब आप ये कहें कि फलित ज्योतिष सही है, तो आपके पास पर्याप्त जानकारी हो ये साबित करने के लिए कि फलित ज्योतिष क्यों सही है और जब आप ये कहें कि फलित ज्योतिष सही नहीं है, तब भी आपके पास पर्याप्त जानकारी हो ये साबित करने के लिए कि फलित ज्योतिष क्यों सही नहीं है।
जैसाकि हमने पहले बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र मूलत: दो हिस्सों गणित व फलित यानी Astronomy व Astrology के रूप में विभाजित है और Astronomy की Calculations के विषय में हमारे सभी ज्योतिषी और Modern Scientists दोनों एकमत हैं। लेकिन जब बात फलित ज्योतिष यानी Astrology की आती है, तब दोनों पूरी तरह से एक दूसरे के विरोध में खड़े पाए जाते हैं और इसका मूल कारण मात्र इतना ही है कि Modern Scientists, हमारे पुरातन फलित ज्योतिष को ठीक से नहीं जानते और वर्तमान समय के हमारे ज्यादातर ज्योतिषी, Modern Science (अब तक के ज्ञात अधतन विज्ञान) को ठीक तरह से नहीं जानते।
इसी वजह से Modern Scientists, ठोस वैज्ञानिक नियमों के माध्यम से ये साबित नहीं कर पाते कि फलित ज्योतिष पूरी तरह से गलत है और Modern Astrologers, Modern Science के नियमों के माध्यम से ये साबित नहीं कर पाते कि फलित ज्योतिष पूरी तरह से सही है क्योंकि दोनों ही ज्योतिष के केवल एक पक्ष के बारे में ही बेहतर तरीके से जानते हैं, दूसरे पक्ष के बारे में नहीं और सत्य कभी भी एक पक्ष पर आधारित नहीं हो सकता।
चूंकि हम सभी जिस युग में जी रहे हैं, उसमें हम सभी को विज्ञान की पर्याप्त समझ व जानकारी तो है, लेकिन भारत के सबसे पुरातन विज्ञान यानी ज्योतिष के फलित पक्ष की उतनी जानकारी नहीं है क्योंकि जितने सरल तरीके के एक आम आदमी को आज का विज्ञान पढ़ाया व समझाया जाता है, उतने सरल तरीके से कभी ज्योतिष को पढ़ाने या समझाने की कोशिश ही नहीं की गई, जिसकी वजह से हजारों सालों से ज्योतिष का विकास बाधित है जो कि स्वयं विज्ञान की ही एक शाखा है, जिसे Modern Science, Probability के नाम से उच्चारित करता है।
यानी फलित ज्योतिष (Astrology), वास्तव में ग्रह-स्थितियों के Patterns पर आधारित एक सम्भावना का विज्ञान (Science of Probability) है और ग्रह-स्थितियां और कुछ नहीं, बस समय व परिस्थितियों (Time and Situations) को मापने का एक साधन (Tool) मात्र हैं।
जैसाकि मैंने पहले कहा कि फलित ज्योतिष को सही या गलत साबित करने में मेरी कोई रूचि नहीं है, न ही भविष्य जानने या अज्ञात भविष्य का आंकलन करने में मेरी कोई रूचि है। मेरा उद्देश्य मात्र ये जानना है कि क्या सचमुच फलित ज्योतिष एक Science of Probability है या नहीं क्योंकि यदि ये किसी हद तक भी सम्भावना का विज्ञान है, तो इसे Modern Science की Probability शाखा के विभिन्न वैज्ञानिक नियमों का पालन करना ही चाहिए और यदि ये अब तक के ज्ञात अधतन विज्ञान के विभिन्न नियमों का Directly या Indirectly पालन करता है, तो कोई कारण नहीं है कि इसे विज्ञान कहा जाए और यदि वास्तव में ये एक विज्ञान है, तो मानव जाति के विकास के लिए इसका बहुत ही सकारात्मक रूप से उपयोग किया जा सकता है क्योंकि सम्भावना के विज्ञान (Science of Probability) का विकास ही भविष्य का यथासम्भव सटीक अनुमान लगाने के लिए ही किया गया है।
अब सवाल ये है कि क्या फलित ज्योतिष सचमुच Modern Science of Probability के विभिन्न Rules को Follow करता है?
इस सवाल का जवाब तभी दिया जा सकता है जब कि हम निष्पक्ष भाव से भारतीय फलित ज्योतिष के विभिन्न Concepts को विस्तार से व गहराई से समझने की कोशिश करें, और आगे आने वाले Articles में हम भारतीय फलित ज्योतिष के विभिन्न हिस्सों को Probability Laws के आधार पर सरलतम भाषा में समझने की कोशिश करेंगे ताकि हम इस बात का बेहतर निर्णय ले सकें कि क्या सचमुच फलित ज्योतिष व इसके विभिन्न अंगों जैसे कि Numerology (अंक शास्त्र), Palmistry (हस्तरेखा शास्त्र), Gemology (रत्न शास्त्र) आदि द्वारा किसी हद तक अज्ञात भविष्य का आंकलन किया जा सकता है और यदि किया जा सकता है, तो कैसे?
लेकिन इससे पहले कि हम भारतीय फलित ज्योतिष के विभिन्न Concepts को विस्तार से समझने के लिए आगे बढ़ें, एक बात को आप निश्चित रूप से अपने दिमाग में बिठा लें कि सम्पूर्ण फलित ज्योतिष मूलत: इसी एक तथ्य पर आधारित है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है और इतिहास अपने आप को फिर से कब दोहराएगा, इस बात का आंकलन करने के लिए ग्रहों की स्थितियों के Patterns काे आधार (Fundamental Tool) की तरह प्रयोग किया जाता है।
यानी ये माना जाता है कि जो घटना, भूतकाल में जिस तरह की ग्रह-स्थिति (Planet Pattern) में हुई है, यदि भविष्य में उसी तरह की ग्रह-स्थिति (Planet Pattern) फिर से बनती है, तो अधिकतम सम्भावना है कि वही घटना फिर से Repeat हो, हालांकि देश, काल व परिस्थिति के अनुसार घटना के स्वरूप व मात्रा में अन्तर हो सकता है, जो कि स्वाभाविक है।
इसलिए यदि आप ये मानते हैं कि फलित ज्योतिष को ठीक से सीखकर आप किसी का भी भविष्य जान सकते हैं अथवा भविष्यवक्ता या भविष्यज्ञाता बन सकते हैं, तो ये आपकी ज्योतिष के संदर्भ में Extra Expectation की भूल मात्र है। ज्योतिष केवल किसी इतिहास की घटना के फिर से दोहराए जाने की अधिकतम सम्भावना मात्र को निरूपित करने का विज्ञान है, 100% सटीक भविष्य जानने का साधन नहीं।
भारतीय फलित ज्योतिष मूल रूप से 9 ग्रहों, 12 राशियों, 12 भावों व 27 नक्षत्रों के विभिन्न Combinations पर आधारित है, जो कि फलित ज्योतिष के Fundamental Tools या मूल अवयव हैं और इन्हें ठीक से समझे बिना हम भारतीय फलित ज्योतिष के किसी भी Concept को ठीक से नहीं समझ सकते यानी Kundali Reading नहीं कर सकते। इसलिए सर्वप्रथम हम आगे आने वाले कुछ Articles में इन्हीं के बारे में विस्तार से जानेंगे व समझने की कोशिश करेंगे कि भारतीय फलित ज्योतिष के अनुसार ये प्रकृति व मानव जीवन पर किस तरह से प्रभाव डालते हैं।
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