Jaundice Symptoms in Hindi- Piliya Ke Lakshan Aur Upay पीलिया रोग को Medical की भाषा में Jaundice कहा जाता है। Jaundice मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और छोटे बच्चो को होने वाला रोग है, लेकिन यह कभी-कभार बड़ो में भी हो जाता है।
Jaundice बीमारी एक विशेष प्रकार के वायरस के कारण होती है। यह वायरस बहुत ही सूक्ष्म वायरस होता है। Jaundice यानी पीलिया के लक्षण बहुत ही धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। लेकिन तब तक यह रोग एक गंभीर रूप ले चुक होता है। जिस प्रकार से स्तन कैंसर, और किड़नी स्टोन एक गंभीर रोग है ठीक उसी प्रकार से पीलिया भी एक गंभीर रोग ही है।
Liver में होने वाली यह बीमारी पीलिया, जिससे भारत में प्रत्येक वर्ष न जाने कितने लोगो की मृत्यु हो जाती है। आम लोगों को पीलिया के प्रति कम जानकारी होने के कारण न जाने कितने ही मासूम इस बीमारी की भेंट चढ़ जाते है। भारत का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरा यह कर्तव्य है की मैं आपको इस बीमारी के प्रति जागरूक करू और इसके लक्षणों के बारे में आपको जानकारी दूं। तो आईए जानते है पीलिया रोग के बारे में प्रमुख लक्षण और उपचार।
पीलिया मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है। वायरल हैपेटाइटिस ए, वायरल हैपेटाइटिस बी तथा वायरल हैपेटाइटिस नान ए व नान बी।
1- Viral Hepatitis या Jaundice को साधारणत: लोग पीलिया के नाम से जानते हैं। यह रोग बहुत ही सूक्ष्म विषाणु (वाइरस) से होता है। शुरू में जब रोग धीमी गति से व मामूली होता है तब इसके लक्षण दिखाई नहीं पडते हैं, लेकिन जब यह उग्र रूप धारण कर लेता है, तो रोगी की आंखे व नाखून पीले दिखाई देने लगते हैं, इसी को पीलिया कहते हैं।
2- Viral Hepatitis B खून के आदान-प्रदान या यौन क्रिया द्वारा फैलता है। यहां खून देने वाला रोगी व्यक्ति रोग वाहक बन जाता है। बिना उबाली सुई और सिरेंज से इन्जेक्शन लगाने पर भी यह रोग फैल सकता है।
3- A प्रकार का पीलिया तथा Nan A और Nan B पीलिया पूरी दुनिया में पाया जाता है। भारत में भी इस रोग की महामारी के रूप में फैलने की घटनायें प्रकाश में आई हैं। हालांकि यह रोग वर्ष में कभी भी हो सकता है लेकिन अगस्त, सितम्बर व अक्टूबर महिनों में लोग इस रोग के अधिक शिकार होते हैं। सर्दी शुरू होने पर इसके प्रसार में कमी आ जाती है।
पीलिया क्यों होता है?
पीलिया रोग का मुख्य कारण एक बहुत ही सुक्ष्म वायरस होता है जिसके कारण खून में Bilirubin की मात्रा अधिक हो जाती है। (Bilirubin के कारण ही मूत्र का रंग पीला होता है।) सामान्यत: एक आम व्यक्ति में Bilirubin की मात्रा 1.0 होती है। लेकिन इसके बढ़ जाने से लगभग 2.5 हो जाने पर पीलिया रोग होता है। इसके कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) 120 दिन के Routine में एक Natural प्रक्रिया के तहत टूटती है तो अपशिष्ट By Product के रूप में बिलीरुबिन का उत्पादन होता है। बिलीरुबिन द्वारा शरीर की सारी गंदगी लिवर में छन कर बाहर निकल जाती है। यह गंदगी पेशाब और मल के द्वारा बाहर निकलती है। लिवर में संक्रमण होने से या रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा 2.5 या इससे अधिक होने पर लिवर की गंदगी साफ़ करने की प्रक्रिया में रूकावट आ जाती है जिससे पीलिया के Bacteria पनपने लगते है और मनुष्य को पीलिया हो जाता है। इसके साथ ही पीलिया के और भी कारक होते है जिसका काराण किसी न किसी प्रकार से हम ही होते है। जैसे- गंदे पानी के प्रयोग से, अत्यधिक शराब का सेवन करने से, मसालेदार भोजन खाने से, वायरल इन्फेक्शन के कारण, शरीर में खून की कमी के कारण, बाहर की खुली हुई चीजो और फ़ास्ट फ़ूड के सेवन से आदि।
क्या है पीलिया रोग के लक्षण?
पीलिया के नाम से ही हमें पता चल जाता है की यह एक पीला रोग है। मुख्यतया इस रोग के लक्षण हमें अपने शरीर के विभिन्न हिस्सो से ही पता लग जाता है कि यह पीलिया रोग है लेकिन कभी-कभी हमें इसका पूरा टेस्ट भी करवान पड़ता है जो बहुत ही आवश्यक है। सामान्तया: पीलिया रोग के प्रमुख लक्षण कुछ इस प्रकार से है।
- आँख के सफ़ेद भाग का पीला होना।
- Stomach या Low Abdomen में सूजन आना।
- जी मचलना और उल्टियां होना।
- शरीर के त्वचा का रंग हल्का पीला हो जाना।
- दाहिनी पसलियों के नीचे भारीपन आना और उनमे दर्द महसुस होना।
- मल का रंग सफ़ेद हो जाना।
- पेट में दर्द होना और भूख नहीं लगना।
- पीलिया रोग हो जाने पर लगातार वजन कम होने लगता है।
- शाम के समय थकावट महसूस होना।
- हर समय 102 डिग्री के आस पास बुखार रहना।
- जोड़ो में दर्द होना और शरीर में खुजली होना आदि।
पीलिया रोग से बचने के उपाय
पीलिया का यह रोग किसी को भी हो सकता है इसलिए जरूरी है कि हम बीमार होने से पहले ही इस रोग से बचाव कर सके। पीलिया रोग से बचने के लिए केवल कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए। जिससे पीलिया रोग के विषाणुओ को बढ़ने से रोक जा सके। तो आईए जानते है पीलिया रोग से बचने के उपाय।
- दूध और पानी को हमेंशा उबाल कर पीएं। उबालने से उनमे मौजूद किसी भी प्रकार के किटानूओं को नाश हो जाता है।
- हमेंशा ताजा और गर्म भोजन ही करें। क्योकि भोजन के ठंडा होने के बाद उसमे Bacteria पनप जाते है जो पीलिया होने का कारण होता है।
- पीलिया से बचाव के लिए शौचालय का ही प्रयोग करे और वह भी स्वच्छ शौचालय का ही प्रयोग करें। क्योंकि पीलिया के Bacteria अधिकतर इसी स्थान पर पाए जाते है।
- खाना बनाने, परोसने, खाने से पहले व बाद में और शौच जाने के बाद में हाथ साबुन से अच्छी तरह धो लें। हाथ धोने से हाथो में मौजूद Bacteria समाप्त हो जाते है।
- खाने को जालीदार अलमारी या ढक्कन से ढक कर रखे, ताकि मक्खिया व धूल उसे नुकसान न पंहुचा सके।
- किसी छोटे बच्चे को पीलिया हो गया है तो उस बच्चे के पूर्णतः ठीक हो जाने के बाद ही उसे स्कूल या बाहर जाने दे।
- किसी कारण से आपको रक्त चढ़वाना पड़े या रक्त दान करना हो तो उससे पहले पूरी तरह रक्त जांच करने के बाद ही रक्त लें या दान करे। अगर रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा ज्यादा होगी तो खून लेने वाले व्यक्ति को भी पीलिया हो सकता है।
पीलिया रोग के उपचार
पीलिया रोग जानलेवा भी हो सकते हैं, इसलिए पीलिया होने पर तुरंत किसी चिकित्सक से मिले और पीलिया होने पर निम्न चीजों का प्रयोग करना चाहिए। टमाटर, मूली, पपीते की पत्तीयों का जुस पीना, पीलिया होने पर मुख्य रूप से गन्ना का रस जरूर लेना चाहिए और सफेद रसगुल्ले (छेना)का अधीक प्रयोग करना चाहिए। इनके प्रयोग से Lever मजबुत होता है। साथ ही तुलसी की पत्तीयों का सेवन अधिक करना चाहिए, नींबू और आंवला का प्रयोग बहुत भी क्योंकि इनमें विटामिन C की अधिक मात्रा पायी जाती है। पीलिया होने पर आंवले का सेवन करने से बहुत फ़ायदा होता है। आंवले के सेवन से Lever भी मजबूत होता है।
नोट:- पीलिया रोग रोगाणु के संक्रमण कारण होता हैं। अधिक समय तक यह बीमारी रहने पर यकृत (Hepatic)पर प्रभाव पड़ने लगता हैं और पीलिया रोग गंभीर हो सकता है इसलिए जब भी आपको इनमें किसी भी तरह का लक्षण दिखाई दे तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करे।
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