
International Mothers Day
International Mothers Day– एक बुढ़िया के एक बेटा था। बहुत ही मेहनत से बुढ़िया ने अपने बेटे की परवरिश कि थी। वह हर रोज अपने बेटे से कहती बेटा जब तू बड़ा हो जाएगा और मैं बूढ़ी हो जाउंगी तब मेरा ध्यान रखेगा?
बुढ़िया का बेटा कहता, हाँ माँ मैं तेरा बहुत ध्यान रखूंगा।
बुढ़िया अपने बेटे को अच्छी स्कूल में पढ़ाने के लिए लोगो के घर का काम करती। वह बुढ़िया बेटे को अच्छा खिलाती और उसको पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत करती।
बुढ़िया का बेटा बहुत ही अच्छे अंको से पास हो गया और अब उसने अपनी माँ से कहा, ‘माँ मैं और पढ़ना चाहता हूं इसके लिए मुझे शहर जाना पड़ेगा।’
माँ ने कहा, बेटा मैं अब बूढ़ी हो चुंकि हूं, मैं अब लोगों के घर का काम नही कर पाती और तू पढ़ने के लिए शहर जाना चाहता है। लेकिन माँ ने अपने दिल पर पत्थर रख कर अपने बेटे को पढ़ने के लिए शहर भेज दिया।
धीरे-धीरे समय गुजरता गया और किसी तरह से पाँच साल गुजर गए, एक दिन बुढ़िया जिस घर में काम करती थी उसी घर में एक Phone call अाया।
घर के मालिक ने फोन उठाया, हैलो कौन बोल रहा है? सामने से आवाज आई, मैं रमेश माँ से बात करनी है क्या माँ है यहाँ पर?
मालिक ने बुढ़िया को बुलाया और कहा, माई तेरे बेटे का फोन है, जा बात कर ले।
माँ, हैलो बेटा कैसा है तू?
बेटा, मैं ठीक हूं माँ और तुम कैसी हो?
माँ, मै भी ठीक ही हूं।
बेटा, माँ मैं अगले महीने वापस आ रहा हूं। हैलो..हैलो…।
माँ, हैलो बेटा… हैलो..हैलो…।
मालिक, फोन कट गया होगा माई। क्या हुआ क्या कहा तेरे बेटे ने …?
माँ, मालिक मैरा बेटा वापस आ रहा है, मैरे पास।
मालिक, चलो अच्छा है अब तुझे काम से आराम मिल जाएगा। अब तू अपने बेटे के साथ आराम से दिन गुजार सकेगी।
कुछ समय बाद ही वह दिन आ गया जिसका माँ को इन्तजार था। उसका बेटा शहर से पढ़ कर अपनी माँ के पास आ रहा था। उस रात बुढ़िया आराम से सो भी नही पाई।
सुबह हो गई बुढिया का इन्तजार खत्म हुआ उसका बेटा घर आ गया और अपनी माँ का पैर छू कर आशीष लिया और माँ से बोला, माँ कैसी हो तूम, तबीयत कैसी है?
माँ ने कहा, मैं तो ठीक हूं, तू कैसा है कितना दुबला हो गया है।
बेटा, माँ अब यह सब छोडो़ चलो भूख लग रही है, कुछ खाने को दो।
माँ-बेटा दोनो भोजन के लिए साथ बेठते है। कुछ देर बाद बेटे ने माँ से कहा, माँ अब तुम काम पर मत जाना अपने मालिक से कह देना, अब मैं तुझे अपने साथ शहर ले जाने आया हूं।
बेटे ने फिर से कहा, माँ हमें यह अपना पुराना घर बेच कर जाना होगा।
माँ थोडी कसमसाई लेकिन अपने बेटे की बात मान गई। बेटे ने अपनी माँ का पुराना घर बेच दिया अगले दिन बुढ़िया अपने मालिक के पास गई और बोली, मालिक मैं अपने बेटे के साथ शहर जा रही हूं, अब मैं आपके घर पर काम नही कर पाउंगी।
मालिक, अरे माई तू चिंता मत कर जा अपने बेटे के साथ शहर और कभी हमें भी बुला लेना अपने घर। बुढ़िया ने मालिक से राम-राम करके अपने घर आ गई।
यहाँ बेटा अपनी माँ का इन्तजार कर रहा था। माँ के आते ही बेटे ने कहा, माँ कहां गई थी तुम जल्दी करो देर हो जाऐगी।
माँ-बेटे बस अड्डे जाते है और वहां बेटा अपनी माँ से कहता है, माँ तुम बेठे यहाँ मैं टिकट लेकर आता हूं।
माँ वहीं बैठ गई जब बहुत देर हो गई बुढिया को वहाँ बेठे, तो उस बुढिया को वहाँ के एक ऑफिसर ने देखा वह उस बुढिया के पास आया और बोला, माई मैं आप को काफी देर से देख रहा हूं आप यहीं बेठी है क्या किसी का इन्तजार कर रही है?
बुढिया ने ऑफिसर से कहा, नही मैं अपने बेटे के साथ शहर जा रही हूं, मेरा बेटा टिकट लेने गया है अभी आता ही होगा।
ऑफिसर, माई शहर जाने वाली सारी बसे जा चुकी है तुम्हारा बेटा अभी तक नही आया?
बुढिया ने ऑफिसर से कहा, साहेब शहर जाने वाली सारी बसे जा चुकी है?
ऑफिसर, माई मुझे लगता है तुम्हारा बेटा तुम्हे यहीं छोड़ कर शहर अकेले ही चला गया।
बुढिया, मेरा बेटा मुझे यहीं छोड़ गया लेकिन क्यों…?
बुढिया फिर से अपने मालिक के घर जाती है और वहां पड़ा अधुरा काम वापस सम्भाल लेती है।
मालिक बुढिया को देख कर हैरान हो कर पूछाता है, अरे माई तू नही गई तेरे बेटे के साथ शहर?
बुढिया, नही गई अपने छोरे के साथ शहर…। क्यों माई?
बस छूट गई।
मालिक, माई समझ गया… समझ गया। तेरा वह नालायक बेटा तेरा सब कुछ बेच कर अकेला चला गया शहर।
बुढिया… नही नही मालिक मेरी बस छूट गई।
मालिक अब क्या करेगी माई? मैं यही काम करूंगी आपके घर अगर मेंरा बेटा आऐगा तो उसको आपका घर ही तो मालुम है।
मालिक को मन ही मन उसके बेटे पर बहुत ही गुस्सा अा रहा था और सोच रहा था अच्छा है मेरे कोई संतान नही है जो मुझे इतनी तकलीफ दे।
मालिक ने कहा, माई जा मेरे लिए चाय बना ला और सुन तू भी पी लेना चाय और खाना भी खा लेना।
बुढ़िया मन ही मन यही सोच रही थी कि जिसको मैंने आपनी छाती का दुध पिलाया वह मुझे यहीं छोड गया। क्यों…?
Nice Story