Interesting Facts- रमजान का पवित्र महीना मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं। पूरे रमजान महीना में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं और اللہ को खुश करने का प्रयास करते है। रमजान का यह महीना 29 या 30 दिन का होता हैं। मुस्लिम धर्म में रमजान का यह महीना एक उत्सव की तरह ही होता है।
रमजान इस्लामी कैलेन्डर के नौवें महीने में मनाया जाता है। पूरी दुनिया में मुस्लिम समाज इसे पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्ला अलैहि वसल्लम पर पवित्र कुरान के अवतरण के उपलक्ष्य में मनातेे है। तो आईए जानते है रमजान महीने के रोचक तथ्य।
- रमजान महीने की रात को इस दुनिया में कुरान शरीफ को पहली बार उतारा गया था और कुरान शरीफ के उतरने की याद में ही सभी मुसलमान इसे पूरी महीने रोजा रखकर इस माह को बहुत ही उत्साह से मनाते है।
- रमजान महीने के सभी जुमा (शुक्रवार)को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
- कुरान शरीफ नाज़िल हुआ था इसीलिए रमज़ान महज़ इबादत और त्याग का ही नहीं बल्कि जश्न का भी महीना होता है।
- रमजान शब्द को कई लोग जानते भी नहीं हैं रमजान शब्द अरबी भाषा के रमादान शब्द से बना है और रमादान शब्द “रमाधा” से बना है जिसका अर्थ होता है “सूरज की गर्मी”।
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- रमजान के चौथे दिन को पश्चिमी एशिया में “गारांगाओ” त्योहार के रूप में शुरू किया जाता है। इस दिन छोटे बच्चे अपने साथ में थैले लेकर निकलते हैं तथा “गारांगाओ” त्योहार गाकर लोगों से टॉफी तथा अन्य उपहार लेते हैं।
- रमजान का पवित्र महीना प्रारम्भ होने से पहले इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में लोग खुद को साफ पानी में जलमग्न कर लेते हैं ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध हो सकें।
- रमजान के इस पवित्र माह में मिस्र के बाजारों में लोग बड़ी-बड़ी लालटेन लगा कर सड़कों को सजाते हैं, क्योकि ऐसा माना जाता है कि मिस्र के खलीफा का स्वागत राजधानी काहिरा में लालटेन लगा कर किया जाता है।
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- मुस्लिम समुदाय की मान्यताओं के अनुसार रमजान के इस महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं और दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
- रमजान के इस पवित्र महीने में किसी नेक काम का सवाब कई गुना बढ़कर मिलता है। इसलिए इस माह में अच्छे कार्य करने की सलाह दी जाती है।
- मुस्लिम समुदाय में रमजान में सभी लोगों को रोज़े रखना फ़र्ज़ है, लेकिन कुछ हालात में इसमें छूट भी है।
- इसी तरह अगर आप यात्रा कर रहे हैं तब भी आपको छूट है। उन बच्चों को भी छूट है जो यौवनावस्था में नहीं पहुंचे हैं।
- क़ुरान शरीफ के अनुसार बीमार व्यक्तियों, गर्भवती महीलाओं और बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रोज़े रखने से छूट है।
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- सुन्नी मुसलमान जहां मग़रिब की नमाज़ से थोड़ा, सूरज लगभग ढलने लगता है, के वक़्त रोज़ा खोलते हैं वहीं शिया मुसलमान जब तक पूरा अंधेरा न हो जाए रोज़ा नहीं खोलते।
- रमज़ान का महीना चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है। चूंकि चंद्र कैलेंडर पीछे की तरफ़ चलती है इसलिए रमज़ान का महीना हर साल पीछे होते रहता है।
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- क़ुरान के अनुसार इफ़्तार में नमक के साथ रोज़ा खोलने की बात की गई है, लेकिन लोग खजूर के साथ भी रोज़ा खोलते हैं।
- खजूर के साथ रोज़ा खोलने का कारण यह है कि हजरत मोहम्मद सल्ला अलैहि वसल्लम भी खजूर से रोज़ा खोलते थे।
- खजूर से रोज़ा खोलने का एक कारण यह भी कि इस्लाम खाड़ी में आया था और फल के नाम पर वहां सिर्फ खजूर ही मिलता था जो हर किसी को मुफ़्त में मिल जाता था। खजूर में इतना प्रोटीन होता है कि दिनभर ख़ाली पेट रहने के बाद रोज़ादार व्यक्ति 6-7 खजूर खाकर अपनी सेहत को चुस्त-दुरुस्त रख सकता है।
- रमज़ान में खजूर का ज्यादा इस्तमाल होता है इसलिए अब इसके रोचक नाम भी रखे जाने लगे हैं।
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- 2006 में इस्राइल और लेबनान के युद्ध के बाद खजूर का नाम रखा गया हसन नसरुल्लाह जो लेबनान के हिज़्बुल्लाह के नेता थे।
- 2009 में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा काहिरा गए थे। इसके बाद वहां ओबामा नाम से खजूर बिकने लगे।
- एक समय में बच्चों का नाम रमज़ान रखना आम था। अन्य देशों में जहां ये नाम पुरुषों का रखा जाता है वहीं भारत और पाकिस्तान में महिलाओं के भी नाम रखे जाते हैं जैसे रमज़ान बीबी।
- इस्लाम के आने के पहले भी रोजा रखा जाता था। इसका ज़िक्र हिब्रो बाइबिल में मिलता है।
- बाइबिल के अनुसार महारानी एस्थर जब अपने राजा पति से यहूदियों की प्राणरक्षा के लिए मिलने जा रही थी तब उन्होंने यहूदियों से तीन दिन तक उपवास रखने को कहा था।
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- ईसा मसीह ने भी रेगिस्तान में 40 दिनों तक रोजा रखा था।
- अरब देशों में रमज़ान के महीने में टीवी चैनलों की TRP ख़ूब बढ़ जाती है इसका कारण है इन देशों में चैनल तीसों दिनों के लिए कार्यक्रम बनाते हैं जिनका प्रसारण रात को होता है।
- एक सर्वे के अनुसार रमज़ान में अक़्सर देखा गया है कि रोज़ेदारों का वज़न घटने की बजाय बढ़ जाता है।
- वजन बढ़ने का कारण है कि दिन भर उनकी कोई शारीरिक गतिविधियां नहीं होती और दूसरा ये कि रोज़ा खोलने के बाद ज़रुरत से ज़्यादा खा लेते हैं।
- क़ुरान शरीफ में रोजे दारों को कम खाने की हिदायत दी गई है।
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- रमज़ान के महीने में दान-पुण्य खूब होता है। मुसलमान इस मौक़े पर अपनी हैसियत के मुताबिक़ ज़कात देते हैं। मस्जिदों में इफ़्तार के लिए खाना दिया जाता है ताकि ग़रीब लोग भी रोज़ा खोल सकें।
- इस्लाम धर्म में पवित्र रमजान के पूरे महीने रोजे अर्थात् उपवास रखने के बाद ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है।
- मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए यह अवसर भोज और आनंद का होता है। फितर शब्द अरबी के ‘फतर’ शब्द से बना। जिसका अर्थ होता है टूटना।
- ईद-उल-फितर के दिन की रस्मों में सुबह सबसे पहले नहाना, नए कपड़े पहनना,सुगंधित इत्र लगाना, ईदगाह जाने से पहले खजूर खाना आदि मुख्य है।
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- ईद-उल-फितर के दिन आमतौर पर पुरुष सफेद कपड़े पहनते हैं। सफेद रंग पवित्रता और सादगी का प्रतीक है।
- ईद-उल-फितर की नमाज से पहले सभी अनुयायी कुरान में लिखे अनुसार, गरीबों को अनाज की नियत मात्रा दान देने की रस्म निभाते हैं। जिसे फितर देना कहा जाता है। फितर या एक धर्मार्थ उपहार है, जो रोजा तोडने के उपलब्ध में दी जाती है।
- इसी पवित्र महीने में Laylat al-Qadr है, एक हजार महीने के इबादत से बेहतर है। जिसमें जन्नत का दरवाज़े खोले जाते हैं, दोजख के दरवाज़े बंद हो जाता हैं।
- रमजान के पवित्र महीने में शैतानों को कैद कर लिया जाता है।
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- ज़कात केवल रमजान के इसी महीने निकाला जाता है जो परिसंपत्तियों का 2.5% होता है।
- सदका उस इंसान पर वाजिब है जिस पर ज़कात फर्ज है जो ईद की नमाज से पहले दिया जाता है।
- रमजान के पवित्र महिनों में क़ुरान पढ़ने और अध्ययन करने के साथ-साथ दूसरों के साथ साझाने से ज्यादा सवाब मिलता है।
- एतेकाफ़ विशेष रूप से इस पवित्र माह के अंतिम 10 से 15 दिनों में किया जाता है जिसमें वह दस से 15 दिन मस्जिद में गुजारा जाता है।
- रमजान के इस महीने में उमराह करने से हज के बराबर सवाब मिलता है।
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- रमजान के माह में ही तरावीह को पढ़ाई जाती है।
- रमजान में तरावीह अन्य नमाज़ों की तरह फर्ज है जिसमें इमाम साहेब मस्जिद में तरावीह की नमाज में पूरी कुरान शरीफ को नमाज के दौरान पढ़ते हैं।
- रमज़ान के पाक महीने के ग्यारहवे रोज़े से मगफिरत का अशरा शुरू हो जाता है।
- मगफिरत का यह अशरा 20 वें रोज़े तक चलता है। इस दूसरे अशरे को मगफिरत का अशरा इसिलए कहा जाता है, क्योंकि इस में अल्लाह से माफ़ी और मगफिरत की दुआ की जाती है।
- रमज़ान के महीने में हर तरह की बुराई से बचते हुए सिर्फ अल्लाह की इबादत की जाती है अपने हर गुनाहों की माफ़ी मांगते हुए मगफिरत की तलब की जाती है।
- इंडोनेशिया जो कि एक मुस्लिम देश हैं, वहां पर भी रमजान को काफी महत्वपूर्ण मन जाता हैं।
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- इंडोनेशिया के कुछ भागों में रमजान माह की शुरुआत से पहले ही लोग स्वयं को पूर्णतः जल में मग्न कर लेते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करने से वे शारीरिक मानसिक रूप से खुद को शुद्ध रख सकेंगे।
- रमजान का महीना इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से नौवा महिना होता है, जो की बहुत ही पाक होता है।
- रमजान के महीने को इतना पाक इसलिए माना जाता है क्योंकि इसी महीने मैं इस्लाम की सबसे पवित्र रात लयलत-अल-क़द्र का आगमन होता है।
- रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज के निकलने से पहले के भोज, जिसे सैहरी कहा जाता है और अंत सूरज डूबने के बाद के भोज पर होता है, जिसे ‘’इफ्तार’’ कहा जाता है।
- रोज़ो का मतलब सिर्फ भूखा रहना नहीं है, रोजो का मतलब आत्मा को साफ़ करना है ।
- ईद-उल-फितर या ईद मुसलमानों के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार दुनिया भर के मुसलमानों का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार है।
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- ईद का त्यौहार रमजान के पवित्र महीने के बाद मनाया जाता है।
- रमजान के महीने के अंतिम दिन जब आकाश में चाँद दिखाई देता है तो उसके दूसरे दिन ईद मनाई जाती है।
- मुसलमानों के लिए रमजान के दिनों का बहुत महत्त्व है। इस दौरान वे दिन भर पूर्ण रोज़ा रखते हैं। पानी पीना भी वर्जित होता है।
- ईद साल में दो बार मनाई जाती है, ये पहली है ईद-उल-फितर और दुसरी है ईद-उल-जुहा।
- ईद-उल-फितर को केवल ईद, मीठी ईद भी कहा जाता है, जबकि ईद-उल-जुहा, बकरीद के नाम से भी अधिक लोकप्रिय है।
- इस्लाम के तारीखी पन्ने बताते हैं कि पहली ईद-उल-फितर सन् 624 ईस्वी में जंग-ए-बद्र की लड़ाई के बाद मनाई गई थी।
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- ईद-उल-फितर को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं।
- ईद-उल-फितर का मुख्य ‘’सिवैया’’ खाद्य पदार्थ है जिसे सभी लोग बहुत ही चाव से खाते हैं।
- ईद-उल-फितर आपसी मिलन और भाई-चारे का त्यौहार है। यह त्यौहार भारत की बहुआयामी संस्कृति का प्रतीक है।
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