ISRO का पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है। ISRO का मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में है। इसरो का मुख्य कार्य अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना और Satellites, Launchers, Ornate Rockets और Geospatials का विकास करना है।
भारत का अंतरिक्ष विभाग ISRO , पहले भारत के परमाणु विभाग का ही एक भाग हुआ करता था लेकिन अंतरिक्ष विभाग का काम बहुत ज्यादा होने के कारण साल 1969 में इससे एक अलग संस्थान बना दिया गया,जिसका नाम था ISRO
Dr. Vikram Sarabhai को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिनका भारत के वैज्ञानिक विकास में अहम योगदान रहा। 1962 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति Inkospar का गठन किया, जिसमें डॉ॰ साराभाई को सभापति के रूप में नियुक्त किया था।
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- ISRO का पहला आर्दश वाक्य रहा है। मानव जाति की सेवा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी।
- ISRO का मुख्यालय कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में है। यह अंतरिक्ष विभाग द्वारा कंट्रोल किया जाता है और यह अपनाा विवरण सीधे भारत के प्रधानमंत्री को भेजता है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, ISRO में लगभग 17 हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक काम करते हैं।
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- ISRO का पूरा नाम Indian Space Research Orgnisation है और भारत में ISRO के 13 सेंटर है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना 1969 में की गई थी। 70 के दशक में ‘आर्यभट्ट‘, ‘भास्कर‘, ‘रोहिणी‘ तथा ‘एप्पल‘ जैसे उपग्रह को सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया था।
- 80 के दशक में ‘’INSAT’’ और ‘’IRS’’ जैसे उपग्रह के कार्यक्रम शुरू किए गए थे, जो आज के समय में महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
- ISRO के कारण ही भारत उन सभी छ: देशों में शामिल है, जो अपने ही देश में Satellite बनाते और Launch करते है।
- Satellite बनाने और Launchकरने वाले देश है। भारत, अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन।
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- भारतीय अंतरिक्ष विभाग ISRO ने अभी तक पूरी दुनिया के अलग-अलग 21 देशों के 79 Satellite Launch किए है।
- भारतीय अंतरिक्ष विभाग ISRO की स्थापना 1069 में हुई थी, जबकी पाकिस्तान के अंतरिक्ष विभाग SUPARCO की स्थापना 1961 में हुई थी।
- पाकिस्तान के अंतरिक्ष विभाग SUPARCO ने केवल दो Satellite ही Launch कर पाया है वह भी विदेशी देशों की मदद से और भारत ने अपने दम पर 86 सैटेलाइट को लॉन्च किया है।
- ISRO ने सबसे पहला उपग्रह 19 अप्रैल 1975 में लॉन्च किया था। जिसमें मदद रूस ने कि थी।
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- भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था। इस ग्रह का नाम भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।
- आर्यभट्ट ने उस समय 5 दिन किया था, लेकिन बाद में इसने काम करना बंद कर दिया था, लेकिन यह भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी।
- 7 जून 1979 को भारत ने अपना दूसरा उपग्रह भास्कर था,जिसेे सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया।
- भारत का दुसरा उपग्रह भास्कर 445 किलोग्राम का वजनी था।
- जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को launch कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।
- SLV-3 भारत के द्वारा छोडा गया पहला स्वदेशी उपग्रह था। इस पहले स्वदेशी उपग्रह के Director थे हमारे पूर्व President Dr APJ Abdul Kalam।
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- भारत, रूस, चीन अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाला पहला देश बना था। जबकी अमेरिका 5 बार, सोवियत संघ 8 बार असफल रहा था।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने अब तक एक साथ 104 उपग्रहों को लांच करने का कीर्तिमान बनाया है।
- श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से PSLVC37 ने 15 फरवरी 2017 को सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर अपनी 39वीं उड़ान भरी थी।
- ISRO का मिशन मंलग दुनिया का सबसे सस्ता मिशन रहा है। ISRO का मंगल मिशन 12 रूपए प्रति किलोमीटर पड़ा था, जो कि एक ऑटो के किराए के बराबर है।
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- इसरो ने अब तक 23 PSLV उपग्रह सफलता पूर्वक लॉन्च किए हैं। इसके साथ ही इसरो ने कई देशों के उपग्रह भी लॉन्च किए हैं।
- इसरो का सबसे महत्वपूर्ण चौका देने वाला तथ्य यह रहा है कि 1981 में जब Apple Satellite को लांच किया गया था, तो उसे Launching Pad तक बैलगाड़ी से लाया गया था।
- इसरो के वैज्ञानिकों ने मंगलयान मिशन के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी, लेकिन इस मदद के लिए अमेरिका ने इनकार कर दिया था। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने स्वयं के बल पर ही इस मिशन को सफलात पूर्वक पूरा किया।
- दुनिया के किसी भी अन्य वैज्ञानिक संगठन के मुकाबले इसरो में कहीं ज्यादा कुंवारे हैं। इसरो में कई विज्ञानिक ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक शादी नहीं की है और वह पूरी तरह से अपने इस संगठन को ही समर्पित है।
- इसरो के द्वारा बनाया गया Bhuvan Software Google अर्थ का भारतीय रूपांतरण है। इसकी मदद से भारत के किसी भी हिस्से की 3डी तस्वीर Internet पर देखी जा सकती है।
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- इसरो अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की दिशा में भी काम कर रहा है। इसके लिए एक ऐसा अंतरिक्ष यान बनाया जा रहा है जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को 7 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रखने की क्षमता हो।
- Satellite Launch करने के अलावा इसरो बेंगलुरु सेंटर पर अपना Orbital Vehicle भी विकसित कर रहा है।
- Antrix इसरो की वाणिज्यिक विभाग है जो हमारी स्पेस तकनीक को दूसरे देशों तक पहुंचाती का काम करती है। इसरो के Antrix Board Of Director में देश के 2 सबसे बड़े उद्योगपति रतन टाटा और जमशेद गोदरेज भी शामिल हैं।
- इसरो की एक महत्वकांक्षी योजना है जिसका नाम है, मिशन आदित्य। इसरो का उद्देश्य साल 2019-20 में आदित्य नाम का एक उपग्रह सूर्य की और छोड़ना है।
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- मिशन आदित्य, सूर्य के सबसे भारी भाग का अध्ययन करेगा। मिशन आदित्य पूरी दुनिया में अपने तरीके का सबसे अलग अंतरिक्ष मिशन माना जा रहा है।
- ISRO द्वारा अंतरिक्ष में उपग्रहों को स्थापित करने वाले अभियानों की खास बात यह है कि अभियान बहुत ही कम खर्चे में पूरे किए जाते है।
- ISRO ने सन् 2014 में मंगल ग्रह पर भेजा गया यान का खर्च हॉलीवुड फिल्म ग्रेविटी से भी कम में पूरा किया था।
- सन् 2013 में उसने मंगल ग्रह की कक्षा में एक उपग्रह स्थापित किया गया था जिसका कुल खर्च लगभग 73 मिलियन डॉलर था। नासा ने ऐसे ही अभियान पर लगभग 671 मिलियन डालर खर्च किया था।
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- अंतरिक्ष में लगातार बड़ी उपलब्धियों के बाद अब इसरो शुक्र और बृहस्पति ग्रह पर भी अपना यान भेजने का विचार कर रहा है।
- इसरो मंगल ग्रह पर दूसरा संभावित मिशन भी 2021-22 तक पूरा कर सकता है, इस अभियान में इसरो मंगल ग्रह पर रोबोट को भेजने पर विचार कर रहा है।
- ISRO का पूरे 40 वर्ष का खर्च नासा के एक वर्ष के खर्च् के बराबर है।
- 2008-09 में इसरो ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया था, जिसका बजट 350 करोड़ रूपए था। मतलब नासा के बजट से 8-9 गुणा कम था। चंद्रयान-1 ने ही चाँद पर पानी की खोज की थी।
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- नासा की Internet Sspeed 91GBps है, लेकिन भारत का ISRO इससे ज्यादा Internet speed पर काम करता है, पूरे 2 GBps।
- भारत के पहले रॉकेट के प्रक्षेपण के समय भारतीय वैज्ञानिक रोजना तिरूवंतपूरम से बसों में आते थे और Railway Station से दिन का भोजन करते थे।
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