Hindi Story with Moral – किसी समय एक गांव में दो बहुत ही घनिष्ठ मित्र रहते थे। एक दिन किसी कारणवश् एक मित्र बहुत ज्यादा बीमार हो गया। दूसरे मित्र ने उसका कई नामी-गिरामी चिकित्सकों से बहुत ईलाज करवाया लेकिन किसी भी चिकित्सक को मर्ज पकड़ में नहीं आया।
पहले मित्र की हालत दिन-ब-दिन बिगडती ही जा रही थी और इस बिगडती हालत को देखकर दूसरा मित्र काफी दु:खी था। इसलिए अन्त में हताश होकर वह गांव के ही एक मन्दिर में गया और ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि
“वह उसके मित्र को इस तरह बीमार नहीं देख सकता और किसी भी तरह से उसका मित्र इस दु:खद परिस्थिति से निकल जाए।”
इसी दौरान गांव से एक व्यक्ति आया और उसे बताया कि उसके मित्र की मृत्यु हो गई है। ये बात सुन कर वह बहुत दु:खी हुआ और ये जानने के लिए व्याकुल हो उठा कि जब तक उसने कोई प्रार्थना नहीं की थी, तब तक उसका मित्र अस्वस्थ स्थिति में ही सही, लेकिन जीवित था। लेकिन जैसे ही वह मंदिर पहुंचकर अपने मित्र के लिए प्रार्थना करने लगा, तो उसकी मृत्यु क्यों हो गई।
इतने में उस मंदिर में एक और व्यक्ति आया और उसके दु:खी व व्याकुल होने का कारण पूछा। उसने उस व्यक्ति को सारी बात बता दी। सारी बातें सुनने के बाद उस व्यक्ति ने कहा कि- “क्या तुमने अपनी प्रार्थना में ये कहा था कि तुम्हारा मित्र इस दु:खद परिस्थिति से स्वस्थ होकर कर फिर से पहले जैसी खुशहाल जिदंगी जिए।”
“नहीं मैंने ऐसा तो नहीं कहा था।” उसने जवाब दिया।
“तब तुम ईश्वर को अपने मित्र की मृत्यु का दोष नहीं दे सकते, क्योंकि उन्होने वैसा ही किया जैसा तुमने करने के लिए कहा। तुमने कहा कि तुम्हारा मित्र उस दु:खद परिस्थिति से निकल जाए और ईश्वर ने उसे उसकी दु:खद स्थिति से बाहर निकाल दिया।”
इतना कहकर वह व्यक्ति मंदिर से चला गया और दूसरा मित्र केवल उसे जाते हुए देखता रहा, लेकिन अब वह इतना दु:खी व व्याकुल नहीं था, जितना उस व्यक्ति के आने से पहले था।
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हम सभी ने अपनी जिन्दगी में अक्सर ये महसूस किया है कि हमने जो चाहते हैं, हमें Exactly वही मिलता है, लेकिन जैसा हम चाहते थे, वैसा नहीं मिला और ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि हम जो चाहते हैं और हम जो मांगते हैं, उसमें अन्तर होता है।
इस लघुकथा का सारांश यही है कि आपको जो भी कहना है या जो भी मांगना है, उसे होश में रहते हुए सही शब्दों का प्रयोग करके कहिए। यदि आपका Presentation सही नहीं हाेगा, तो आपकी भावनाऐं चाहे जितनी भी सही, उचित व उपयोगी क्यों न हो, आपको वैसा परिणाम प्राप्त नहीं होगा, जैसा आप वास्तव में चाहते हैं।
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