Hindi Moral Story – एक सेठ थे। बडे ही परोपकारी। जीव-जन्तुओं के प्रति सेठ के मन में बडी दया थी।
एक दिन सेठजी सड़क के किनारे से अपने घर जा रहे थे, कि अचानक सेठजी ने देखा सड़क के किनारे एक कसाई बैठा था। उसके हाथ में एक मुर्गा था। कसाई ने मुर्गे को उसके पंखो से पकड़ रखा था। मुर्गा बडी जोर से फड़फड़ा रहा था और मुर्गा दर्द के मारे जोर-जोर से चिल्ला रहा था। सेठ ने कसाई से पुछा-
क्या करोगे इस मुर्गे का ?
कसाई ने उत्तर दिया-
आज तो इसे काट कर 500 रूपये कि कमाई करूंगा सेठजी।
सेठजी ने अपनी जेब से 500 का नोट निकाल कर कसाई को दिया और मुर्गा अपने घर ले आये। अब सेठजी रोज मुर्गे का ध्यान रखते। उसके खाने-पीने के लिए सेठजी ने अच्छी व्यवस्था कर दी थी, जिसकी वजह से मुर्गा खा-पीकर काफी मोटा हो गया था।
धीरे-धीरे मुर्गा सेठजी का आदि हो गया था। वो जैसे ही सेठजी को देखता, जोर-जोर से पक-पक-पक-पक करते हुए उनके पास पहुंच जाता। सेठजी भी उसे देखकर बडे खुश होते। एक दिन उनके शहर के एक मंत्रीजी ने सेठजी को चुनाव लड़ने का आग्रह किया और कहा-
सेठजी आप चुनाव क्यों नही लड़ते। अगर आप चाहे तो चुनाव जीतकर लोगों की खूब सेवा कर सकते हैं।
सेठजी ने पहले तो मना किया परन्तु मंत्रीजी के कहने पर सेठजी मान गये तो मंत्रीजी ने सेठजी से कहा कि-
जल्द ही हमारे पार्टी के आला-कमान आपसे मिलने आऐंगे। आप उनकी खूब खातिर-दारी करना और वो आपको चुनाव का टिकट दे देंगे। मंत्री के कहे अनुसार एक रात को सेठजी रात्री भाेजन कर के सोने जा रहे थे तभी अचानक पार्टी के आला कमान का सेठजी के घर आगमन हो गया। आला कमान का रात को सेठजी के घर ही रहने का विचार था। सो सेठजी ने शुद्ध शाकाहारी भोजन की व्यवस्था कर कर दी। आला कमान ने खाने के टेबल पर सेठजी से कहा-
सेठजी… शाकाहारी भोजन तो रोज करते हैं। आज तो बटर चिकन खाने का मन हो रहा है।
अब सेठजी परेशान हो गये क्योंकि रात बारह बजे कौनसी दुकान खुली होगी जो आला कमान के लिए बटर चिकन उपलब्ध करवा सके, जिससे आला-कमान खुश होकर टिकिट दे दे।
तभी सेठजी को वह मुर्गा याद आया। वे घर के अन्दर गये। उन्हें देखते ही मुर्गा पक-पक-पक-पक करने लगा। सेठजी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फिराया, उसके चेहरे पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया और लेकर किचन की और चल दिए।
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इस कहानी का Moral ये है कि हर इन्सान का व्यवहार समय व स्थिति के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए यदि कोई बहुत दयालु प्रतीत हो, तब भी उस पर ऑंख बन्द करके भरोसा नहीं करना चाहिए। किसी दिन किसी बडे़ स्वार्थ की पूर्ति के लिए वो भी धोखा दे सकता है।
Bohot Bohot dhnywaad is khani ko share karne k liye.
Ek naii seekh k saath sayad jiwan thoda behtar ho jaye.
Thankyou.