Emotional Story in Hindi – सुखवीर को ड्रम बजाना बहुत पसन्द था लेकिन गाँव के लोग उसके इस शौक से परेशान थे क्योंकि उसके ड्रम की ध्वनि गाँव के लोगों को बेसुरी लगती थी।
सुखवीर ने सोचा कि क्यों न मैं अपना यह शौक जंगल में जाकर पूरा कर लिया करू। वहां किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। यही सोंच कर सुखवीर अपना ड्रम लेकर जंगल में चला गया।
सुखवीर एक घने पेड़ के नीचे बैठ कर ड्रम बजाने लगा, उसी समय वहां एक छोटा सा मैमना आ गया और सुखवीर के पास बैठ कर ड्रम को सुनने लगा और ऐसा हर रोज हाेने लगा। सुखवीर जंगल में जाकर ड्रम बजाता और वह छोटा सा मैमना रोज आकर सुखवीर का ड्रम सुनता।
एक दिन सुखवीर ने मैमने से कहा- तुम तो छोटे से मैमने हो। तुम रोज मेरे पास आकर मेरा ड्रम सुनते हो। क्या तुम्हे मेरा ड्रम बजाना अच्छा लगता है?
वह छोटा सा मैमना सुखवीर के इस सवाल को सुन कर वहां से चला गया। उस मैमने की आँखो में सुखवीर को बहुत दु:ख दिखाई दिया था लेकिन वह उसके दु:ख का कारण नहीं समझ सका।
दूसरे दिन सुखवीर फिर उसी जंगल में जाकर ड्रम बजाने लगा, उसी समय वह छोटा सा मैमना वापस आकर सुखवीर के पास बैठ गया और ड्रम की आवाज सुनने लगा। सुखवीर ने वापस वही प्रश्न किया कि- क्या तुम्हे मेरा ड्रम बजाना अच्छा लगता है?
मैमना कुछ नही बौला और मन उदास कर उठ कर जाने लगा। सुखवीर ने उस मैमने को रोका और कहा- तुम मेरे सवाल का जवाब क्यों नहीं देते? क्या तुम्हे मेरा ड्रम बजाना अच्छा लगता है?
इस बार मैमने ने सुखवीर की तरफ देखा और कहा- मैं एक छौटा सा मैमना हूँ। मुझे क्या ज्ञान होगा तुम्हारे ड्रम बजाने का?
सुखवीर ने पूंछा- तो मैं जब रोज ड्रम बजाता हूँ, तो तुम मेरे पास आकर क्यों बैठते हो?
मैमने ने इसका उत्तर दिया– क्योंकि जिस ड्रम को तुम बजाते हो, उसमें मेरी माँ की खाल का चमडा लगा हुआ है और जब तुम इस पर थाप देते हो तो मुझे ऐसा लगता है, जैसे मेरी माँ मुझे पुकार रही है। इसी करण में रोज अपनी माँ की आवाज सुनने आ जाया करता हूँ। वो मेरी मां की आवाज है।
यह कह कर मैमना वापस जाने लगा और सुखवीर उसे जाते हुए देखता रह गया।
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