Educational Story in Hindi – राजा सत्यप्रिय बहुत ही धर्मपरायण शासक थे। एक दिन उन्होने अपने मन में विचार किया कि, “आखिर ऐसा क्या होता है, जिसकी वजह से मनुष्य पाप करने को विवश हो जाता है?“
यही जिज्ञासा लेकर राजा सत्यप्रिय अपने गुरू के पास गए और उनसे पूछा, “गुरूवर, लोग पाप करने को विवश क्यों होते है? मैं इसका कारण जानना चाहता हूँ।“
गुरूवर ने कहा, “राजन, आपके इस प्रश्न का उत्तर जंगल के शिव मंदिर में रहने वाली पुजारिन ही बता सकती है। आप उसी के पास जाकर अपने इस प्रश्न का उत्तर जान लीजिए।“
राजा सत्यप्रिय जंगल के शिव मंदिर में गए और उस पुजारिन से पूछते हैं, “हे शिव भक्त, मुझे एक प्रश्न बहुत ही परेशान कर रहा है। मैं इस प्रश्न का उत्तर चाहाता हूँ।“
पुजारिन ने कहा, “हे राजन, आप तो राजा है, आप अपने प्रश्न का उत्तर तो अपने गुरूवर से भी जान सकते है।“
राजा सत्यप्रिय ने कहा, “हाँ, मैं अपने गुरूवर के पास गया था, लेकिन गुरूवर ने मुझसे कहा है कि केवल आप ही मेरे इस प्रश्न का उत्तर दे सकती हैं।“
पुजारिन ने कहा, “राजन, आपका प्रश्न क्या है?“
राजा सत्यप्रिय ने कहा, “मैं यह जानना चाहता हूँ कि आखिर ऐसा क्या होता है, जिसकी वजह से मनुष्य पाप करने को विवश हो जाता है?“
पुजारिन ने कहा, “हे राजन, आपको इसका उत्तर जानना है तो कुछ दिन तक आप मेरे साथ इस शिव मंदिर में अतिथि बन कर रहें।“
राजा सत्यप्रिय ने पूछा, “लेकिन…….लेकिन, मैं यहाँ कैसे रह सकता हूँ। मेरी प्रजा दिन-रात मुझे अपनी समस्याएं बताती है। अगर मैं यहाँ रहूँगा तो मेरी प्रजा का ध्यान कैसे रख पाऊंगा?“
पुजारिन ने कहा, “राजन, अगर आपको अपने प्रश्न का उत्तर चाहिए तो आपको यहाँ कुछ दिन तो रहना ही होगा।”
राजा उस मंदिर में रहने के लिए तैयार हो गए और अब पुजारिन राजा सत्यप्रिय के खाने-पीने, सोने-जागने आदि का बहुत ही ध्यान रखने लगी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और राजा उस पुजारिन की सेवा से इतने प्रभावित हो गए कि एक दिन राजा सत्यप्रिय ने पुजारिन के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया।
पुजारिन ने राजा सत्यप्रिय से कहा, “बस राजन, आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया। अब आप अपने राज महल जा सकते हैं।“
राजा सत्यप्रिय ने हैरानी से पूछा, “यह मेरा उत्तर नहीं है, मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूँ, यह मेरा उत्तर कैसे हो सकता है?“
पुजारिन ने कहा, “महाराज, आप कुछ दिनों से मेरे पास रह रहे हैं और मेरी सेवा से आप मोहित हो गए व मेरे सामाने विवाह का प्रस्ताव रख दिया, यही पाप है।”
पुजारिन ने कहा, “राजन, पाप की जड़ लोभ है, जिसकी चपेट में आज आप भी आ गए। राजन कहाँ तो आप यहाँ रूकने को राजी नहीं थे, और कहाँ आप मुझे अपनी रानी बनाने को तैयार हैं। यह लोभ ही तो है, जो मनुष्य को गलत मार्ग की तरफ खींच ले जाता है और उसकी बुद्धि भ्रष्ट कर देता है।“
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