Demonetisation In Hindi- भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेद्र दामोदर दास मोदी की सरकार के द्वारा 8 नवंबर, 2016 को रात 8:15 बजे को अपने भाषन में 1000 और 500 सौ के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया और इस खबर से पूरे भारत देश में एक भुचाल सा आ गया।
अपने पूराने नोटो को बदलने के लिए अनेक लोग अगले दिन या तो बैंकों के चक्कर लगाने लगे या किसी jewelers के पास उल्टे-सीधे दामों में सोना खरीदने लगे।
वर्तमान प्रधानमंत्री नरेद्र दामोदर दास मोदी ने अपने भाषन में कहा है कि 30 दिसंबर तक सभी लोग बैंकों में जाकर अपने पूराने नोटों को जमा करा दे और साथ यह भी अपील भी की गई कि वे नकदी का उपयोग कम से कम करें और Digital माध्यमों से भुगतान करें।
Demonetisation क्या है ?
सरकार पुरानी मुद्रा को कानूनी तौर पर बंद करती है और उसकी जगह पर नई मुद्रा लाने की घोषणा करती है इसी को Demonetization कहते हैं। Demonetization होने के बाद चलन में रही पुरानी Currency की कोई कीमत नहीं रह जाती। भारत सरकार ने पुराने नोटों को बैंकों से बदलने के लिए लोगों को 30 दिसंबर तक का समय दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में 1000 और 500 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की और RBI Governor उर्जित पटेल ने भी सरकार की इस घोषणा का समर्थन किया। Demonetization के बाद सरकार 500 और 2000 रुपए के नए नोट भी बाजार में लेकर आई।
RBI के अनुसार 31 मार्च 2016 तक भारत में 16.42 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट बाजार में थे, जिसमें से करीब 14.18 लाख रुपए 500 और 1000 के नोटों के रूप में थे। 1938 में गठित Reserve Bank of India ने अभी तक 10 हजार रुपए से अधिक का नोट जारी नहीं किया है।
Demonetization क्यों किया गया ?
कालाधन, भ्रष्टाचार, नकली नोट और आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने विमुद्रीकरण का इतना बड़ा फैसला लिया। अपराधिक और अवैध गतिविधियों में सामिल लोग नोटों को अपने पास ही छुपा कर रखते हैं। Demonetization से सीधे उन पर चोट होती है क्योंकि अब वे उस नोट को बजार में नहीं ला सकते है और लेकर आते है तो उन पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है। कई बार नकद लेन देन को हतोत्साहित करने के लिए भी नोटबंदी की जाती है। केन्द्र की सरकार को भी उम्मीद थी कि नोटबंदी से कालेधन, नकली नोट और आतंकवाद पर अंकुश लगेगा। लेकिन नोटबंदी से आम आदमी को भी बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा। केन्द्र सरकार अपने इस फैसले से नकद लेन-देन को भी हतोत्साहित करने की कोशिश कर रही है।
वेनेजुएला में अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का कभी कोई काम नहीं किया गया। इसीलिए वहां अब एक लीटर दूध लगभग 13 हजार रुपए में और एक अंडा 900 रुपए में बिक रहा है। सबसे आश्चर्य वाली बात तो यह कि वेनेजुएला में सामान के बदले नोट गिनकर नहीं तौलकर लिए जा रहे हैं। इसका मतलब यह कि मक्खन की एक स्लाइस के बदले उतनी वजन के नोट लिए जा रहे हैं।
भारत में कब-कब हुआ Demonetisation
ऐसा नहीं है कि भारत की वर्तमान सरकार द्वारा पहली बार ही विमुद्रीकरण का फैसला लिया गया है। इससे पहले भी नोटबंदी हो चुकी है। पहली बार सन् 1946 में 500, 1000 और 10,000 मूल्य वर्ग के नोटो को बंद किया चुका है। सन् 1970 के दशक में काले धन को बाहर लाने और उसे नष्ट करने के लिए भारत सरकार को नोटबन्दी की सलाह दी गई थी और यह सूझाव प्रत्यक्ष कर की जांच से जुड़ी वांचू कमेटी ने दिया था, लेकिन सुझाव सार्वजनिक हो गया, जिसके चलते नोटबंदी नहीं हो पाई।
जनवरी 1978 में मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार सरकार ने एक कानून बनाकर 1000, 5000 और 10 हजार के नोट बंद कर दिए। हालांकि तत्कालीन आरबीआई गवर्नर आईजी पटेल ने इस नोटबंदी का विरोध किया था।
2005 में मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने एक साथ नोटबंदी की बजाय धीरे-धीरे नोटबंद की। जिसमें सरकार ने 500 के 2005 से पहले के नोटों का विमुद्रीकरण कर दिया था।
Demonetization के फायदे
- Demonetization का सबसे ज्यादा असर काले धन पर पड़ा क्योंकि देश में लगभग 3 लाख करोड़ रूपये काले धन के रूप में छिपा कर रखे गए थें। इन रूपयों का हवाला करोबार, तस्करी, आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों में धड़ल्ले से उपयोग हो रहा था। Demonetization के कारण अब इस पर रोक लग गई और 80 से 90 % तक इन कामों में रोक हो गई।
- Demonetization के कारण 14.5 प्रतिशत तक टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हो गई।
- Demonetization के कारण अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो गई और इस कदम से 3 लाख करोड़ रूपये आ जाएंगे और 65 हजार करोड़ रूपये विभिन्न करों के माध्यम से आने की उम्मीद है।
- Demonetization के कारण सस्ते ब्याज दरे सस्ती हो जाऐंगी और इसके परिणामस्वरूप मकानों की बिक्री बढ़ने के साथ सस्ते घर का भी सपना पूरा होने की उम्मीद है।
Demonetization से नुकसान
- Demonetization के कारण सब्जी के भाव में उछाल आ सकता है।
- Demonetization के कारण हमारी जीडीपी पर असर पड़ सकता है।
- Demonetization के कारण कागज और स्याही की कमी के कारण नए नोटों की भरपाई में 8 से 10 महीने लग सकते है।
- Demonetization के कारण रोजगार, उत्पादन, खपत और निवेश में कमी आ सकती है।
- Demonetization के कारण लोग विदेशी मुद्रा को ज्यादा रखेंगे अपने पास, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा धक्का लग सकता है।
- Demonetization के कारण मंदी आने का खतरा बना रहता है।
- Demonetization से 10 साल के सरकारी Yield पर Bonds में 0.38 फीसदी की कमी आ गई है, जो 16 नवंबर को 6.40 फीसदी के आसपास आ गई थी।
- 8 नवंबर के बाद से दुनिया-भर के बाजारों के मुकाबले घरेलू बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
- Demonetization के कारण पिछले छह कारोबारी सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी 5 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गए हैं।
- Demonetization के कारण निवेशकों के करीब 9 लाख करोड़ रुपए डूबे हैं।
- Demonetization के कारण शेयर बाजार को बड़ा नुकसान हो सकता है।
- Real Estate, Auto, FMCG, Consumer Durable जैसे सेक्टर की ग्रोथ काफी हद तक कैश पर निर्भर है।
- Demonetization के कारण बैंकों के पास बड़ी रकम इकट्ठा होने के चलते कई बैंकों ने FD पर इंटरेस्ट रेट्स को घटा दिया है।
विमुद्रीकरण हमारे देश के लिए एक बहुत ही अच्छा फैसला माना गया है। इससे हमारे देश में छिपा काला धन बाहर आएगा। हम सभी को विमुद्रीकरण को समझना चाहिए और देशहित के बारे में सोचते हुए इसका साथ देना चाहिए, भारत देश में समय-समय पर विमुद्रीकरण होता आया है।
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