Pooja Karane Kee Vidhi in Hindi– सनातन धर्म में पूजा करने से भगवान प्रशन्न होते है। लेकिन पूजा करने और भगवान को खुश करने के बहुत से नियम है। इन नियमों का अनुशरण करने से घर में संपन्नता और खुशिया बनी रहती है।
सनातन धर्मानुसार किस देवता को क्या भोग लगना चाहिए, किस देवता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए। किसी देवता के सामने दीपक जलान शुभ है, किसके सामने दीपक नहीं चलाना चाहिए आदि। पूजा-कर्म में किया गया कर्म ही हमें वैसा फल प्रदान करता है जैसा हम पूजा में करते है। तो आईए जानते हैैै, कैसी हो हमारी पूजा-विधी?
-
- भगवान शिव के पूत्र भगवान श्रीगणेश और भगवान श्रीभैरव को तुलसीदल नहीं चढ़ाना चाहिए।
- तुलसीदल तोड़ने से पहले स्नान कर लेना चाहिए। बिना स्नान किए तुलसीदल भगवान स्वीकार नहीं करते है।
- वेदों के अनुसार भगवान शिव को तुलसीदल नहीं चढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से भगवान शिव रूष्ठ हो जाते है और पूजा का फल प्रदान नहीं करते है।
भगवान श्री गणेश का दिन,श्री गणेश चतुर्थी Ganesh Chaturthi in Hindi
- शास्त्रों के अनुसार तुलसीदल 11 दिन तक शुद्ध रहता है और वे बासी नहीं माने जाते है। 11 दिन पूरानी पत्तियों को भी शुद्ध जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
- तुलसीदल रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति और सांय के समय नहीं तोड़ना चाहिए।
- भगवान शलिग्राम की मंदिर या किसी भी अन्य जगह पर स्थापना नहीं होती है। भगवान शलिग्राम स्थापित देवता है।
भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने का सरल उपाय, श्री गणेश चालीसा- Ganesh Chalisa in Hindi
- भगवान शालिग्राम को कभी भी अक्षत नहीं चढाना चाहिए। वे केवल तुलसी दल से ही खुश हो जाते है।
- मंदिर में एक बार भगवान की स्थापना होने के बाद दुबारा से स्थापित नहीं करना चाहिए। क्योंकि भगवान की स्थापना हो चुकी है।
- घर पर जब भी मंदिर बनवाए वह घर के अग्नि कोण में ही होना चाहिए।
- घर में मंदिर होने के कारण जब भी आप बाहर से घर में प्रवेश करे तो हाथ-पैर धौ कर ही प्रवेश करे।
- घर में रखी झाडू (बुहारी) को कभी पांव नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से धन की देवी माँ लक्ष्मी रूष्ठ हो जाती है और धन का आगमन रूक जाता है।
श्री गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा विधि- Ganpati Pooja Vidhi
- उर्जा के देवता भगवान सूर्यदेव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से भगवान सूर्यदेव रूष्ठ होते है।
- भगवान सूर्यदेव,भगवान श्री गणेश, माँ दुर्गा, भगवान शिव और भगवान श्रीहरी विष्णु ये पंचदेव कहलाते हैं। इन पंचदेव की पूजा किसी भी शुभ कार्य में जरूर करना चाहिए।
- पंचदेव का पूजन प्रतिदिन करने से सभी कार्यों विजय होती है और इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।
- माँ दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। दूर्वा केवल श्री गणेशजी भगवान को ही अर्पित की जाती है।
भगवान श्री गणेश का परम प्रिय,संकटनाशक स्तोत्र Lord Ganesha Mantra
- रविवार के दिन दूर्वा घास को नहीं तोडऩी चाहिए।
- रविवार, बुधवार को पीपल के पेड़ पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से आयु कम होती है।
- प्लास्टिक की बनी किसी वस्तु में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। (अपवित्र धातु- एल्युमिनियम, लोहे) गंगाजल हमेंशा तांबे के बर्तन में रखना शुभ माना जाता है।
- शिवलिंग पर केतकी का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव को केतकी का फूल अप्रिय है।
समस्त मनोकामनाओं को पूरा करने वाला व्रत, अनंत चतुर्दशी- Anant Chaturdashi Vrat Katha In Hindi
- मनोकामना की पूर्ति हेतु पूजा के उपरान्त दक्षिणा जरूर चढ़ानी चाहिए।
- माँ लक्ष्मी का प्रिय फूल कमल है, कमल पूष्प न होने पर कोई भी लाल रंग का फूल चढ़ाया जा सकता है। कमल पूष्प पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन: चढ़ा सकते हैं क्योंकि यह पांच दिनों तक शुद्ध माना जाता है।
- पूजा में कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से घर में रोगों की उत्पत्ति होती है।
दरिद्रता को हटाने के लिए करे अनंत चतुर्दशी के दिन, श्री विष्णु चालीसा पाठ- Vishnu Chalisa in Hindi
- घर में अगर मंदिर है तो उसमें सुबह-शाम दीपक जरूर प्रज्वलित चाहिए।
- पूजा करते समय दीपक की लो आपकी आँखों के सामने हो या आपके वक्ष स्थलो तक हो।
- पूजा करते समय एक तांबे का लोटा जल का जरूर रखना चाहिए, पूजा उपरान्त उस जल से मंदिर के दोनों ओर थोड़ा जल छिड़क देना चाहिए।
- पूजा में मंत्रों का सही उच्चारण करना चाहिए या किसी पंडि़त से मंत्रों का श्रवण करना चाहिए।
असंतुष्ट पूर्वजों का महत्वपूर्ण ऋण है पितृ दोष- Pitru Dosha
- पूजा कक्ष में एक दीपक घी का प्रज्वलित करना चाहिए और पणिहारी (पीने का पानी रखने का स्थान) पर एक दीपक तेल का जलाना चाहिए।
- किसी कारण वश अगर आप स्नान नहीं कर सकते है तो निम्न मंत्र को पढ़ते हुए अपने हाथ-पैर धौकर भी पूजा कर सकते है। ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।, यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।।
श्राद्ध पक्ष में गृह शांति और उन्नति का सरल उपाय, पितृदोष निवारण- Pitra Dosh Nivaran