व्याकरण में तीन काल सिखाया जाता है- पहला भूत काल, दूसरा वर्तमान काल और तीसरा भविष्य काल।
भूत काल, यानी बीता हुआ कल मनुष्य को पता है और उसी के अनुभव को लेकर वह वर्तमान में कर्म करता ताकि भविष्य अच्छा हो।
किसी को भी, “वर्तमान अच्छा हो“, इसकी चिंता नही है। वर्तमान को अनुभव के आधार पर भविष्य का नौकर बना रखा है कि कल भविष्य आएगा और फिर मैं मजे करूँगा।
लेकिन जब फेल होने लगता है हमारा प्लानिंग, जब होने लगता है व्यापार में घाटा, रिश्तों में अनबन, तब मन करता है कि दौड़ कर देख लूं कि “क्या है भविष्य में“
जब नही आता वर्तमान के कर्मो का परिणाम, तब मन करता है कि “दौड़ कर पहुंच जाऊं भविष्य में“
और तब आपका सहारा बनती है यह ज्योतिष विद्या। तब यह देती है तसल्ली और इस बात का विश्वाश, कि “नही… नही… पूरा भविष्य खराब नही है, बस फलां तारीख तक की बात है। बस अच्छा वक्त आने ही वाला है” और मान जाता है परेशान व्यक्ति ज्योतिषी की बात। निकाल देता है वह वक्त संयम से और फिर अच्छा समय आता है।
ज्योतिष से शतप्रतिशत भविष्य में देखा जा सकता है। बस जरूरत है तो पढ़ने की, सीखने की, समझने की।
मेरा एक मित्र है। फ़िल्म राइटर… हार गया स्ट्रगल करके…
2017 में उसने निश्चय किया कि बस अब गांव जाएंगे, रेस्टोरेंट खोलेंगे और आराम से जियेंगे।
वह साउथ का मैं नार्थ का… अगर वह चला जाता तो फिर मुश्किल था मिलना। सो उसने आखिरी बार मिलने बुलाया। मैं गया और उसकी कुंडली देखी। पूरे योग राइटर बनने के, बस कुछ समय बाकी था उसका फल मिलने में।
मैंने कहा “2018 तक रुको।“
2018 आते आते उसे फ़िल्म मिली। 11लाख मिले फरवरी 2018 में शूटिंग शुरू हो रही है।
ज्योतिष आपको कुछ भी नही दे सकता। लेकिन जो-जो आपके नसीब में है, वह बता सकता है। आपकी परेशानी में उपाय दे सकता है।
तो क्यों न सीखे ज्योतिष।