Bhavishyavani in Hindi – लकड़ी का शेर एक राजा अपने पुत्र के नामकरण संस्कार का उत्सव मना रहा था जिसमें उसके सम्पूर्ण राज्य की प्रजा को प्रीतिभोज में निमंत्रित किया गया था।
राज्य के सभी लोग राज पुत्र के नामकरण संस्कार में उपस्थित हुए, जिनमें एक प्रसिद्ध ज्योतिषी भी थे जिनकी कोई भी भविष्यवाणी कभी गलत साबित नहीं हुई थी।
राजा को जब उस ज्योतिषी के बारे में पता चला तो अपने पुत्र के भाग्य के संदर्भ में कुछ भविष्यवाणी करने के लिए उसे राज-दरबार में आमंत्रित किया गया। ज्योतिषी राज-दरबार में पहुँचा और राजा से पूछा कि- महाराज… कहिए, क्या आज्ञा है?
राजा ने ज्योतिषी से कहा कि- मैने सुना है कि आप ज्योतिषी है और भविष्य बता सकते हैं। अत: आप से निवेदन है कि मेरे इस पुत्र के बारे में भी कुछ बताईए।
तब उस ज्योतिषी ने पुत्र का हाथ देखकर व जन्म कुण्डली का विश्लेषण कर राजा से कहा कि- आपके पुत्र की आयु बहुत कम है और इसकी मृत्यु का कारण एक शेर होगा।
ज्योतिषी की ये बात सुनकर राजा थोड़ा चिन्तित हुआ और अपने पुत्र का ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखने लगा। धीरे-धीरे समय बीता और राजा के पुत्र का प्रथम जन्मदिवस आया।
राजा ने अपने पुत्र के प्रथम जन्मदिवस के समारोह पर पुन: एक उत्सव आयोजित किया जिसमें सभी प्रजागणों को प्रीतिभोज पर आमंत्रित किया। सभी प्रजागणों ने राजा के पुत्र के जन्म दिवस की खुशी में उसे कुछ न कुछ उपहार स्वरूप भेंट किया। उन उपहारों में एक लकड़ी का शेर भी था जिसे देखकर राजा का पुत्र बहुत खुश हुआ और वह उसी लकड़ी के शेर के साथ खेलने लगा।
खेलते-खेलते ही उस लकडी के शेर की एक फैंच राजा के पुत्र को लग गई। पहले तो किसी ने उस चोट पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन धीरे-धीरे वह चोट इतनी गहरी हो गई कि राजा के पुत्र का बड़े से बड़े चिकित्सक द्वारा ईलाज संभव न हो सका और अन्त में उस बालक की मृत्यु हो गई और इसकी खबर सम्पूर्ण राज्य में आग की तरह फैल गई।
अब राजा को उस ज्योतिषी की भविष्यवाणी याद आई और उसने उस ज्योतिषी को सेनापति से कहकर फिर से राजदरबार में बुलवाया। जब ज्योतिषी राजदरबार में दुबारा आया तो राजा ने उस ज्योतिषी से कहा कि- तुमने तो कहा था कि मेरा पुत्र एक शेर के द्वारा मारा जाएगा परंतु मेरा पुत्र तो एक लकडी की फैंच के चुभ जाने से मृत्यु को प्राप्त हुआ। इसलिए तुमने मेरे पुत्र के संदर्भ में गलत भविष्यवाणी ही है जिसकी सजा तुम्हे मृत्यु दण्ड के रूप में भोगनी पड़ेगी।
ज्योतिषी, राजा की बात सुनकर डर गया और कोई उपयुक्त जवाब सोंचने लगा। अचानक उसे एक विचार सूझा और उसने राजा से कहा कि- महाराज… मैंने ये नहीं कहा था कि आपका पुत्र शेर के द्वारा मारा जाएगा। मैंने ये कहा था कि आपके पुत्र की मृत्यु का कारण एक शेर होगा और आपका पुत्र जिस खिलौने की लकड़ी के फैंच के चुभने से मृत्यु को प्राप्त हुआ, वह खिलौना एक लकड़ी का शेर था। इसलिए मेरी भविष्यवाणी तो इस बार भी सही हुई है।
राजा को उस ज्योतिषी का जवाब सन्तुष्टिपूर्ण लगा इसलिए उन्होंने उसे अपने राज्य का राज-ज्योतिषी पद प्रदान कर उनका सम्मान किया।
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तो क्या ये माना जाए कि ज्योतिषी लोग केवल शब्दों का हेरफेर करके किसी भी तरह से अपनी बात को सही साबित कर लेते हैं अथवा वे अपनी भविष्यवाणियाँ कुछ इसी तरह से करते हैं, ताकि एक ही बात का अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग मतलब निकाला जा सके?
क्या इस छोटी सी कहानी से ये बात साबित होती है कि ज्योतिष वास्तव में केवल एक मनोविज्ञान है और ज्योतिषी मूलत: एक ठग है?
इस निर्णय पर पहुंचना अभी भी जल्दबाजी ही होगा। इसलिए अभी हमें कुछ और अन्वेषण करना होगा, कुछ और तथ्यों को देखना होगा, उन पर गहन चिन्तन-मनन करना होगा, उन्हें वर्तमान समय के Modern Science पर Apply करना होगा, तभी हम किसी उपुयक्त निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे।
i am at this point after read this imaginative story that we cant say jyotish study is false or we also canr deny that some people gain profit from this via misguide the peoples. story just telling dont beleive in types of stories that does not have appropriate logical base.
Jyotish vastav me ek manovigyan hai. Jyotish mooltah ek thag hai. To meri sirf ek baat ka jawab de ki woh pench kisi aur khilone ka na hokar sher ke khilone ka hi kyon raha ?
kripya uper wale comment par kuch roshni dale, hame be ye janne ki iccha ho rahi hai ki khilona aakhi sher ka hi kyun tha