Bhartiya Samvidhan in Hindi – 26 जनवरी 1950 का दिन किसी भी भारतीय के लिए एक उत्सव का दिन होता है।
15 अगस्त 1947 काे आजादी की घोषणा होने के बाद भी भारत में 26 जनवरी 1950 से पहले तक अंग्रेजों द्वारा बनाया गया संविधान ही लागू था और 200 सालों की लम्बी गुलामी के बाद इसी दिन भारत वास्वत में पूर्ण रूप से अाजाद हुअा था, क्योंकि इसी दिन भारत में भारत का संविधान लागू हुआ था जो कि एक ऐसा संविधान था, जिसे भारत के लोगों द्वारा, भारत के लोगों पर न्यायपूर्ण तरीके से शासन करते हुए देश का विकास करने के लिए ही बनाया गया था और इसीलिए इसे गणतंत्र (जनता का शासन) दिवस के नाम से जाना जाता है।
लेकिन वास्तव में संविधान होता क्या है?
संविधान, वास्तव में नीति व नियमों का एक समूह है, जिसका मूल उद्देश्य मात्र इतना ही है कि किसी भी सक्षम व्यक्ति द्वारा किसी भी कमजोर व्यक्ति का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शोषण न हो।
भारतीय संविधान काे यदि हम सरल शब्दों में समझें, तो संविधान वास्वत में भारतीय कानूनों व नीति-नियमों की एक ऐसी किताब है, जिसके आधार पर न्यायालय अपने निर्णय सुनाते हैं, जबकि इन नियमों व कानूनों को बनाने व जरूरत के अनुसार संशोधित करने का काम भारत की संसद में राजनेताओं द्वारा किया जाता है, जिन्हें चुनाव के माध्यम से भारतीय जनता ही चुनती है। इसलिए भारत में जितने भी कानून बनाए जाते हैं, वे भारतीय जनता के प्रतिनिधियों यानी अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय जनता द्वारा ही बनाया जाता है।
भारत में वास्वत में कानून का शासन है, जहां न्यायालयों में न्याय की मूर्ति को एक तराजू लिए हुए व आँखो पर पट्टी बंधी हुई मूर्ति के रूप में निरूपित किया जाता है, जिसके हाथ में एक तलवार है।
इसका यही मतलब है कि भारत में न्याय सभी के लिए समान है फिर चाहे वह किसी आम आदमी के लिए हो या भारत के राष्ट्रपति के लिए और कानून अपना न्याय करते समय ये नहीं देखता कि उसके सामने कौन खड़ा है, क्योंकि उसकी आँखों पर पट्टी बंधी है। वह केवल भारत के संविधान का पालन करता है।
साथ ही न्याय की मूर्ति के हाथ की तलवार इसी बात का संकेत करती है कि यदि किसी ने अपराध किया है, तो वह चाहे कोई भी क्यों न हो, उसे सजा जरूर मिलेगी।
डाॅ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में भारतीय संविधान को बनाते समय मूल रूप से इसी तथ्य काे ध्यान में रखा गया था कि चाहे 100 अपराधी बच जाऐं, लेकिन एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए और यही तथ्य भारत की कानून व्यवस्था को दुनियॉं के किसी भी अन्य लोकतांत्रिक देश की तुलना में अधिक प्रभावशाली बनाता है।
इस तरह से भारत के कानून व्यवस्था यानी नीति-नियमों की किताब ही, भारत का संविधान जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।
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