
Baby Health Care Tips in Hindi
Baby Health Care Tips in Hindi- बचपन में नवजात शिशु की देखभाल बच्चे के पूरे जीवन को स्वस्थ और सफल बनाने की नींव मानी जाती है। नवजात शिशुओं की देखभाल केवल गर्भावस्था या दो चार साल की उम्र तक सीमित नहीं होती।
बच्चों की देखभाल में सबसे जरूरी हैं कि उनके खानपान का ध्यान रखा जाए, साफ-सफाई, Medical Test और टीकों (Vaccine Schedules of Kids) की सही जानकारी आदि अहम बातों का ख्याल रखा जाए। तो अाईए जानते है Baby Health Care Tips in Hindi
शिशुओं के शरीर की सुरक्षा
Allergies- शिशु बहुत ही नाजुक होते हैं। साथ ही उनकी त्वचा भी उतनी ही कोमल होती है। इसी कारण से नवजात शिशुओं को बहुत जल्दी त्वचा की एलर्जी हो जाती है। शिशुओं की मालिश ऐसे तेल से करनी चाहिए जो बच्चों की त्वचा के लिए ही बनाया गया हो। बच्चों की त्वचा बड़ो के मुकाबले बिल्कुल अलग होती है। किसी भी नवजात शिशु की त्वचा की सबसे निचली परत को पूरी तरह विकसित होने में 10 साल का समय लगता है।
शिशुओं के नाखूनों को काटना- नवजात के नाखून बहुत तेजी से बढ़ते हैं। यह नाखून नुकीले होते हैं। चूंकि शिशुओं को अपने नाखूनों पर नियंत्रण नहीं होता जिससे वह आसानी से खुद को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जब नवजात नींद में हो तो उसके नाखूनों को धीरे-धीरे काट देना चाहिए।
शिशु की त्वचा के दाग-धब्बे- अक्सर शिशु के जन्म के साथ किसी न किसी प्रकार का कोई निशान या मसा या तिल होता है, लेकिन भूल कर भी इसके साथ छेड़छाड़ नही करना चाहिए। यह निशान बढ़ती उम्र के साथ खुद ही खत्म हो जाते हैं। लेकिन छेड़छाड़ करने पर यह निशान दाग बन जाते हैं।
बीमरियों से बचाव
मच्छरों से बचाव- शिशुओं की त्वचा बहुत ही कोमल होती है। यह इतनी कोमल होती कि किसी कीड़े या मच्छर के काट लेने पर तुरन्त सूजन आ जाती है और मच्छरों के काटने से मलेरिया जैसी भनायक संक्रमण भी हो सकता है। इसलिए, शिशुओं को हमेशा मच्छरदानी के अंदर सुलाएं। यह भी देखा गया है कि बाजार में मिलने वाली मच्छर भगाने वाले बिजली उपकरणों से दूर रहना चाहिए यह बच्चों को नुकसान पहुंचते है।
गर्भनाल का ध्यान- नवजात की गर्भनाल का साफ और सूखा होना बहुत जरूरी है नही तो यह इंफेक्शन का कारण बन सकती है। गर्भनाल स्वयं ही 20 दिनों के अंदर गिर जाती है। ऐसे में नवजात को डायपर पहनाते समय ध्यान देना जरूरी होता है कि कहीं गर्भनाल डायपर में तो नहीं फंस गई है। गर्भनाल का सूखा रहना बहुत जरूरी है और वह शिशु मूत्र के संपर्क में न आए। जब तक की गर्भनाल गिर नहीं जाए उसे डायपर पहनाने से परहेज करें। नहलाते समय भी उसे स्पंज बाथ दें। यदि आपने गर्भनाल की देखभाल सही तरीके से नहीं की तो सूजन, लालिमा, पस और बुखार आने की आशंका रहती है।
मौसम का प्रभाव- नवाजत शिशुओं पर किसी भी मौसम का प्रभाव जल्दी होता है। इसलिए सर्दी, गर्मी, वर्षा ऋतु में बहुत ध्यान रखना होता है। सर्दी के मौसम में शिशु को सर्दी-खाँसी व बुखार की शिकायत हो सकती है। इसलिए ढिलाई नही करना चाहिए वरना शिशु को निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाएगा। लगातार सर्दी-खासी, बुखार होने पर तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
सर्दी और जकड़न- शिशुओं का शुरूआती दो साल बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। इन दो सालों में शिशुओं की Immunity को Strength बनाने की कोशिश करना चाहिए। शिशुओं सर्दी-खांसी जैसे संक्रमण से बचाना चाहिए। बच्चों के पैरो में सरसो तैल की मालिश करने से सर्दी-जुखाम जैसे संक्रमण से बचा जा सकता है।
शिशुओं की मालिश
नारियल का तेल- नारियल तेल शिशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नारियल तेल बच्चे के शरीर पर बॉडी लोशन की तरह इस्तेमाल करना चाहिए। नारियल तेल का इस्तमाल शिशु के शरीर पर रूखापन नहीं रहने देता है। नारियल तेल एंटी-फंगल की तरह काम करता है और इसमें कई औषधीय गुण होते हैं जो शिशुओं के लिए बहुत लाभ दायक होते हैं।
बेसन का प्रयोग- नवजात के शरीर की सफाई के लिए बेसन का इस्तेमाल सही रहता है। थोड़ा सा बेसन लेकर उसमें नारियल तेल और पानी मिलाकर साबुन की जगह इसका प्रयोग किया जा सकता है। शिशुओं के शरीर पर बेसन को ज्यादा जोर लगा कर नही रगड़े नहीं वरना बच्चे को रैशेज हो सकते हैं।
शिशुओं के लिए जोखिमभरा समान
प्रत्येक परिवार के लिए नन्हा सा शिशु सबसे प्यारा होता है। कोई भी परिवार यह नहीं चाहेगा कि उसका नन्हा सा फरिस्ता बीमार हो या उसे किसी प्रकार से कोई नुकसान पहुंचे। परिवार के लोग बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए अनेक प्रकार की कोशिशे करते है। माता-पिता बच्चे के खाने-पीने की चीजों से लेकर उसके खिलौने, कपड़े तक बहुत सोच- समझ कर खरीदते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि परिवार के लोग या माता-पिता बच्चे के लिए जो चीजें खरीदकर ला रहें हैं उनमें से कई Product ऐसे होते हैं जिनसे बच्चों को चोट लग सकती है तो आईए जानते है वह सभी चीजे कौनसी है।
Bathtub Seat- शिशु को स्नान के दौरान सीधे बैठने में बाथटब सीट मदद करता हैं, लेकिन बाथटब सीट के कारण बच्चे के फिसल कर गिरने की संभावना बढ़ जाती है और उसके चोट लग सकती है।
Baby Walker- बेबी वॉकर बच्चे के लिए घातक साबित होता है। बेबी वॉकर से बच्चों के गिरने का डर रहता है। मान लीजिए कि बच्चा कहीं बेबी वॉकर के जरिए सीढ़ियों के पास पहुंच गया तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। इसलिए बच्चे को वॉकर दिलाने से पहले आप उसकी सुरक्षा के बारे में जरुर सोंचे।
Soft Bedding- माता-पिता अपने बच्चे के लिए डिजाइनर बेडिंग की खरीदारी करते है लेकिन क्या आपको पता है, खूबसूरत दिखने वाला यह बिस्तर बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चा इसमें धंस सकता है, जिससे उसका सांस घुट जाएंगा।
Sling Careers- आज के समय में माता-पिता कहीं बाहर जाते समय बच्चे को गोद में उठाने के बजाएं Sling Careers में बच्चे को बांध कर घूमने निकल जाते है। इससे ना सिर्फ आपके बच्चे का दम घुटने की संभावना रहती है बल्कि भीड़भाड़ वाली जगह पर बच्चे को चोट लगने का खतरा भी रहता है।
Crib tents- क्रिब टेंट बच्चे को नीचे गिरने से रोकता है। कभी-कभी इन बेल्टों में लगातार हो रहे खींचाव के कारण बच्चों को चोट भी लग जाती है। इसलिए बेहतर बेड या फिर फर्श पर बेडिंग लगाकर सुलाएं।
नवजात शिशु भरपूर नींद ले सके इसका भी ध्यान रखना चाहिए, शिशु के भरपूर नींद लेने से उसका संपूर्ण विकास होता है। नवजात शिशु को 18-20 घण्टे की नींद लेना बहुत जरूरी है, इससे शिशु का दिमाकी विकास भी अच्छा होता है।
Nice thanks ye meri subject me h is page se mujhe hi jyada help Mili h thanku so much