
कैसे करे? नवजात शिशु की देखभाल- Baby Care Tips in Hindi
Baby Care Tips in Hindi- एक माँ नौ माह तक अपने कोख में नवजात शिशु को रखती है, और असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद जब बच्चे की किलकारियां गूंजती है, तो माँ के साथ ही पूरे परिवार की खुशीयों का कोई ठिकाना नही रहता है। लेकिन इस खुशी के साथ ही नवजात शिशु की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है।
जब पहली बार कोई औरत माँ बनती है, तो उसे पता ही नहीं होता की नवजात शिशु का ध्यान कैसे रखना है। उसकी देखभाल कैसे कि जाए कैसे गोद में लें, कैसे दूध पिलाएं, कैसे नहलाएं…।
आईए हम आपको कुछ ऐसी ही जानकारीयां देते हैं जिससे आपको अपने नवजात शिशु का ध्यान रखने में मदद मिल सके।
कंगारू देखभाल
जो शिशु समय से पूर्व ही पैदा हो जाते है। उन शिशुओं को इस तकनीक की जरूरत पड़ती है इसमें नवजात शिशु को माँ शरीर से चिपका कर रखती है जिससे शिशु के शरीर का तापमान माँ के शरीर के तापमान के बराबर रहे।
नवजात शिशु की देखभाल
1 से 28 दिन के नवजात शिशु की देखभाल बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यही देखभाल नवजात शिशु का संपूर्ण स्वास्थ्य निर्धारित करता। समय पर दूध पिलाना, उनका Diapers बदलना आदि यह बहुत महत्वपूर्ण है, नवजात शिशु के लिए। नवजात को अगर बुखार आ जाए तो तुरन्त ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि नवजात शिशुओं में मलेरिया एक भयंकर बीमारी है।
स्तनपान
माँ का दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है, माँ के दूध से पौषन के साथ ही शिशु को रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है और वह स्वस्थ रहता है। माँ के दूध मे जरूरी पौश्टिक तत्व सम्मिलित होते है जो बच्चे के स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास में सहायक होते है। जन्म के छ: माह तक शिशु को माँ का दूध ही पिलाना चाहिए।
दूध पिलाने का तरीका
नवजात शिशु को जब माँ अपना दूध पिलाती है, उस समय बच्चा दूध के साथ ही कुछ हवा भी पी लेता है, जिससे उसके पेट में गैस बन जाती है, और यह गैस आपके बच्चे के पेट में दर्द का कारण बन सकता है। इसलिए गैस से राहत देने के लिए शिशु को डकार दिलवाना चाहिए। इसके लिए आप नवजात शिशु की थोढ़ी को अपने कंधे पर रखे और उसकी पीठ को धीरे-धीरे थपथपाते रहे। इससे शिशु को डकार आ जाऐगी और उसे गैस की तकलीफ नही होगी।
नवजात शिशु को हर दो घण्टे में दूध पिलाना चाहिए। छ: माह के बाद ही ठोस आहार देना चाहिए, अगर आप छ: माह से पहले ही ठोस आहार देने लग जाएंगे तो शिशुओं में Allergies, Insulation Habitat, और Indigestion हो सकता हैं।
कपड़ो का चुनाव
नवजात शिशु की त्वचा बहुत ही कोमल होती है, इसलिए हमेशा ऐसे कपड़े लेने चाहिए जो शिशु के लिए आरामदायक तो हो साथ ही उनके शरीर पर Fit आए और कपड़े बदलते समय कोई असुविधा न हो।
Diapers
कोमल तव्चा होने के कारण बच्चो में जल्दी ही Infection हो जाता है, इसलिए Diapers बदलते समय बहुत सावधानी की जरूरत होती है, जिसका हमें ध्यान रखना चाहिए जैसे- शिशु को जब आप गोद में उठाए उस समय अपने हाथो को अच्छी प्रकार से साफ कर ले जिससे बच्चे को किसी प्रकार का Infection न हो। नवजात शिशु Urine जल्दी-जल्दी करते है, इसलिए Diapers को बार-बार बदलना पड़ता है, Diapers लेने से पहले यह देख लेना चाहिए कि वह बहुत Colorful न हो। Diapers को थोड़ा ढीला ही बांधना चाहिए जिससे शिशु के शरीर पर रगड़ के साथ निशान न बन जाए।
बुखार का आना
नवजात शिशु को अगर बुखार आ जाए तो चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए, हो सकता है उसे मलेरिया हो। अगर नवजात को मलेरिया हो जाए और समय पर उपचार न हो तो जीवन भर का विकार हो सकता है। और चाहे शिशु बिमार ही क्यों न हो उसे माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए।
बच्चे का अचानक रोना
नवजात शिशु अकस्र रात में सोते-सोते रोने लगते हैं, यह एक समान्य बात है, लेकिन जब उन्हे भुख लगती है या कोई असुविधा होती है तब भी वे अचानक रोने लगते है, जैसे किसी मच्छर का काट लेना, बच्चे को कोई शारीरिक परेशानी होना, यही नहीं कई बार बच्चे के आसपास का तापमान ज्यादा गर्म या ठण्डा हो तब भी बच्चे रोने लगते है। शिशु गर्मी के कारण भी रोने लगते है।
दांत का निकलना
Expert का मानना है कि जब बच्चे के दांत आने शुरू हो तभी से उनकी सफाई भी शुरू कर देनी चाहिए। साथ ही जब तक बच्चे के दांत नहीं निकल जाते तब तक उसके मसूड़ों और जीभ को किसी साफ Cotton के कपड़े से साफ करना चाहिए।
बच्चे के दांत निकलते समय कई तरह की छोटी-मोटी परेशानियां होती हैं। उनसे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। कभी-कभी दांत निकलते समय बच्चे को दस्त, पेट दर्द, उल्टी, कब्ज, मसूढ़ो में खुजली, सूजन और दर्द हो सकता है, कई बार बुखार भी आता है। अक्सर दांत निकलते समय बच्चे का सिर थोड़ा गर्म रहने लगता है, यह समान्य समस्या है, लेकिन Expert की Advice लेना चाहिए।
कब्ज की शिकायत
नवजात शिशुओं में कब्ज की शिकायत एक गंभीर समस्या हो सकती है। नवजात शिशु पैदा होने के 24 घण्टे के भीतर ही अपना पहला मल त्याग देते है, लेकिन कुछ बच्चे ऐसा नही कर पाते, इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आप माँ के दूध के अलावा Artificial Milk पिला रहे है, या किसी बोतल से दूध पिला रहे है, जिससे शिशुओं में कब्ज हो जाती है।
Low Blood Pressure
नवजात शिशु में Low Blood Pressure होना आम बात है, लेकिन Low Blood Pressure के कई कारण हो सकते है। जैसे- Delivery के पहले या बाद में अत्यधिक Blood का बहना, या बच्चे को किसी प्रकार का Infection होना, शिशु का कमजोर होना आदि।
Newborn Baby Bath
नवजात शिशु को नहलाने से पहले उसके शरीर की Baby Oil से मालिश करनी चाहिए, शिशु को गुनगुने पानी से ही नहलाना चाहिए। नहलाते समय शिशु के Anus को Cotton Wool से साफ कर देना चाहिए, जब भी आप अपने शिशु को नहलाए तो किसी बुर्जुग व्यक्ति से पुछते रहे क्योंकि वे आपको सही प्रकार से नहलाना बता सकते है।
Newborn Sleep
नवजात शिशु भरपूर नींद ले सके इसका भी ध्यान रखना चाहिए, शिशु के भरपूर नींद लेने से उसका संपूर्ण विकास होता है। नवजात शिशु को 18-20 घण्टे की नींद लेना बहुत जरूरी है, इससे शिशु का दिमाकी विकास भी अच्छा होता है।
बच्चे के सही विकास के लिए मां का स्पर्श बेहद जरूरी है। दुधमुंहा बच्चा भी स्पर्श की भाषा समझता है। जब आप उसे अपनी गोद में उठाती हैं तो वह खुद को सुरक्षित समझता है। छूने से बच्चे के प्रति आपके मन में भी प्यार बढ़ता है और बच्चा भी आपके प्यार को महसूस करता है।
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