
जाने अ्प्रेल फूल का रोचक इतिहास- April Fool Day History-
April Fool Day History- 1 April को पूरी दुनिया में मूर्ख दिवस मनाया जाता है। इस दिन अच्छे से अच्छे समझदार व्यक्ति भी मूर्ख बन जाते हैं और आज के दिन लोग मूर्ख बनाने या मूर्ख कहलाने में खुशी महसूस करते हैं। भारत में प्राचीन काल में ‘सुरान भवन’ नामक मुर्खोत्सव प्रतिवर्ष काशी, राजगीर और श्रावस्ती में धूमधाम से मनाया जाता था। यह उत्सव पूरे एक सप्ताह चलता तक चलता था।
मूर्ख दिवस (April Fool) का संबंध नया ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाए जाने को लेकर है। सन् 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया गया। इसकी शुरूआत फ्रांस से हुई। 1582 से पहले अप्रैल से नववर्ष की शुरुआत होती थी, लेकिन, ग्रेगोरियन कैलेंडर में जनवरी से नववर्ष शुरू होता है। नए कैलेंडर के लागू होने के बाद भी कुछ लोग, अप्रैल में नए साल का जश्न मनाते रहे। लोगों ने इन्हें मूर्ख समझा और एक अप्रैल को मूर्ख दिवस (April Fool) कहा।
यह भी माना जाता हैं कि मूर्ख दिवस का संबंध ब्रिटिश कवि और लेखक जेफ्री चॉसर से है। जेफ्री चॉसर की किताब कैंटरबरी टेल्स में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की सगाई की तारीख 32 मार्च 1381 बताई जाती है और, कैंटरबरी इलाके के लोग 1 अप्रैल को 32 मार्च मानकर सगाई की खुशी मनाने लगते हैं। उसी समय से 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाने की परंपरा चल पड़ी।
माना जाता है कि मूर्ख दिवस मनाने की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया से ली गई है। इसके साथ ही भारतीय त्योहार होली और मध्यकाल का फीस्ट ऑफ फूल (बेवकूफों की दावत) भी इस त्योहार की प्रेरणा माने जाते हैं। मूर्ख दिवस के विषय में इस पूरी दुनियां में कई कहानियां प्रचलित हैं। हर कहानी का उद्देश्य केवल यही है कि पूरा दिन को मनोरंजन के साथ बिताया जाए।
मूर्ख दिवस की कुछ महत्वपूर्ण कहानियां
यूनान में मोक्सर नाम का एक राजा था। एक रात उसे अपने सपने में दिखा कि एक चींटी ने उसे जिंदा निगल लिया है। सुबह उसकी नींद टूटी तो राजा मोक्सर रात के सपने को सोच कर जोर-जोर से हंसने लगा। रानी ने हंसने का कारण पूछा तो उसने बताया कि ‘’रात मैंने सपने में देखा कि एक चींटी ने मुझे ज़िन्दा निगल लिया है। सुन कर रानी भी हंसने लगी। राजा ने अपना स्वपन एक ज्योतिष को सुनाया और ज्योतिषी ने राजा से कहा ‘’महाराज इस स्वप्न का अर्थ है- कि आप आज का दिन आप हंसी-मजाक व ठिठोली के साथ व्यतीत करें। उस दिन अप्रैल महीने की पहली तारीख थी। तब से राजा मोक्सर की याद में यह दिन मनाया जाने लगा।
एक अन्य कहानी के अनुसार एक परी ने एक किसान से हंसी करने के लिए कह दिया कि ‘’तुम एक घड़ा भर पानी एक ही सांस में पी जाओगे तो मैं तुम्हें वरदान दूंगी।‘’ किसान ने तुरंत पानी से भरा घड़ा उठाया और पी गया। जब किसान ने वरदान वाली बात दोहराई तो परी ने कहा, ‘’ तुम बहुत भोले-भाले हो, और परी ने किसान को वरदारन दिया कि तुम अपनी चुटीली बातों द्वारा लोगों के बीच खूब हंसी-मजाक करोगे। उस दिन से ही एक हंसी का पर्व जन्मा, जिसे हम मूर्ख दिवस के नाम से पुकारते हैं।
मूर्ख दिवस के फायदे
किसी के साथ हंसी-मजाक करने से हमारे शरीर के साथ हमारे साथ रहने वाले लोगों को भी बहुत फायदे होते हैं जैसे- हंसी-मजाक करने से तनाव कम होता हैं, एक-दुसरे को खुशी का संदेश दिया जाता हैं, माहौल खुशनूमा बना रहता हैं। हंसी-मजाक से अनेक प्रकार की बीमारीयां ठीक होती हैं, रिश्तों की दूरीयां कम होती है और आपसी मन-मुटाव दूर होते है।
मूर्ख दिवस के नुकसान
मूर्ख दिवस के दिन किसी कमजोर दिल वाले से ऐसा मजाक न करे की उसकी तबीयत ही बिगड़ जाऐ या ऐसा मजाक न करे जो किसी के दिल को दुखाऐ और उसे हिन भावना से ग्रसित कर दे। यह दिन एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक का हैं न की किसी को नूकसान पहूंचाने का।
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