मोटापा कम करने के उपाय – एक समय एक राजा था, जो बहुत ही आलसी था। वह स्वयं कोई काम करना पसन्द नही करता था बल्कि अपने छोटे-मोटे काम करवाने के लिए भी वह हमेशा नौकरों का इन्तजार करता था और स्वयं को कोई काम न करना पडे, इस हेतु हमेंशा तरह-तरह के बहाने बनाता व झूठ बोला करता था।
वह इतना आलासी हो गया कि धीरे-धीरे अपने राजदरबार में जाना और अपने राज्य की हाल-खबर लेना भी बन्द कर दिया। वह सिर्फ अपने आलीशान महल सारा दिन विभिन्न प्रकार के अच्छे-अच्छे पकवान खाता और बिस्तर पर लेटा रहता, जिससे वह राजा और भी आलसी और मोटा हो गया।
ज्यादा मोटा हो जाने के कारण अब स्थिति ऐसी हो गई कि राजा का हिलना-डुलना भी मुश्किल हो गया और अब इसी मोटापे की वजह से राजा की हालत बिगड़ने लगी। राजा का ईलाज करने के लिए राज्य के सबसे अच्छे हकीम को बुलाआ गया। हकीम ने राजा का Checkup किया और राजदरबार के मंत्रियों ने जब राजा की रोग के बारे में पूछा, तो हकीम ने कहा-
“राजा की बीमारी का कारण उनका मोटापा है और आज तक कोई ऐसी दवा ईजाद नहीं हुई, जिससे किसी का मोटापा कम हो सके। इसलिए मैं राजा के इस रोग के लिए कोई दवा नहीं दे सकता। लेकिन हमारे राज्य में एक चमत्कारी साधू आया हुआ है, जो कि राजमहल से थोडी ही दूरी पर एक आश्रम में रह रहा है। हो सकता है, उसके पास राजा के रोग निवारण से सम्बंधित कोई नुस्खा हो”
ये बात सुनकर राजदरबार के मंत्रियों ने तुरन्त उस साधु को राजमहल में बुलवाया और राजा के रोग के बारे में बताया। वह साधु मन ही मन सब समझ जाता है कि राजा एक बहुत ही आलसी व्यक्ति है और राजा के ठीक होने में सबसे बड़ी बाधा उसका आलस ही है। जब राजदरबार के मंत्रियों ने उस साधू से राजा के रोग निवारण का उपाय पूछा, तो साधू ने कहा कि-
राजा के रोग निवारण से सम्बंधित एक दवा तो है लेकिन वो दवा देने से पहले मुझे राजा से मिलना होगा।
साधु को तुरन्त राजा से मिलवाया गया। साधु ने देखा कि राजा काफी उदास हो चुका था। इसलिए साधु ने कहा-
“महाराज। आपका रोग कोई गंभीर रोग नहीं है, जिसे ठीक न किया जा सके। मैं जो दवा आपको दूंगा, उसे लेकर आप जल्दी ही ठीक हो जाऐंगे। लेकिन समस्या ये है कि वह दवाई लेने के लिए हर रोज स्वयं आपको ही मेरे आश्रम पर पैदल चलकर आना होगा और ये दवा आपको कम से कम 90 दिन लेनी होगी, अन्यथा उस दवा का असर नहीं होगा।”
राजा ने साधु की बात मान ली और अगले दिन से साधु ने राजा का ईलाज करना प्रारम्भ किया, जिसके अन्तर्गत राजा को अपने महल से पैदल चलकर साधु की झोपड़ी तक जाना था।
राजा बडी मुश्किल से अपने पैरों पर खड़ा हुआ और धीरे-धीरे चलते हुए किसी तरह से साधु की झोपडी तक पहुंचा। राजा उस साधु की झोपड़ी तक पहुँचते-पहुँचते हाँफ गया लेकिन क्योंकि राजा को स्वयं ही साधु के आश्रम तक जाना जरूरी था अन्यथा दवा असर नहीं करती, इसलिए राजा के पास और कोई रास्ता भी नहीं था।
जैसे ही राजा साधु के आश्रम पर पहुंचा, साधु अपनी झोपड़ी में से दवा के नाम पर राजा के लिए पीने योग्य ठण्डा पानी ले आया। राजा ने उस पानी को पिया और थोडा आराम करने की मुद्रा में हुआ ही था कि साधु ने राजा से कहा-
महाराज… इस दवा को पीकर आप आराम नहीं कर सकते। आपको तुरन्त ही फिर से अपने महल लौटना होगा, पैदल ही लौटना होगा और जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी लौटना होगा, अन्यथा दवा का असर ठीक से नहीं हो पाएगा।
राजा ने जैसे ही ये बात सुनी, वह काफी दु:खी हुआ क्योंकि एक तो वह पहले से ही काफी आलसी था ऊपर से आज तो वह काफी थक भी गया था। लेकिन फिर भी वह ठीक होना चाहता था, इसलिए बिना रूके तुरन्त फिर से महल की ओर लौट गया।
अगले दिन राजा फिर दवा लेने पहुंचा, लेकिन उस दिन वह पिछले दिन की तुलना में कम थका और यही क्रम जारी रखते हुए उसने 30 दिन तक दवा के नाम पर साधु के आश्रम का ठण्डा पानी पिया, लेकिन 30 दिन लगातार चलने की वजह से उसका काफी वजन कम हो गया, जिसकी वजह से अब वह काफी स्वस्थ महसूस करने लगा था।
हालांकि, राजा आलसी था, लेकिन बेवकूफ नहीं था। इसलिए 30 दिन तक दवा लेने के बहाने साधू के आश्रम जाने और फिर साधू के आश्रम से भागते हुए वापस महल आने की साधु की शर्त को वह समझ चुका था। वह जान गया था कि साधु उसे दवा के नाम पर केवल ठण्डा पानी ही पिलाता है और असली दवा उसके महल से आश्रम के बीच के चलने की प्रक्रिया ही है लेकिन फिर भी उसके मन में एक सवाल उठा जिसका जवाब वह साधू से ही जान सकता था। उसने साधू से कहा-
हालांकि मैं जान गया हुं कि आप मुझे दवा के नाम पर केवल ठण्डा पानी पिलाते हैं और मेरा स्वास्थ्य इसलिए ठीक हो रहा है क्योंकि मोटापा मेरी बीमारी है और चलना उस बीमारी का ईलाज, जिसका असर 30 दिनों में ही महसूस होने लगता है लेकिन फिर भी आपने 90 दिन तक दवा लेने की शर्त क्यों रखी।
इस सवाल के जवाब में साधु ने मुस्कुराते हुए दृढ निश्चय के साथ कहा कि-
आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं महाराज… मोटापा आपकी बीमारी थी, और हर रोज तेज गति से चलना उसका ईलाज है, लेकिन मैंने आपको पूरे 90 दिन तक इस बीमारी का ईलाज करने के लिए क्यों कहा, आपके इस सवाल का जवाब मैं 90 दिन पूरे होने पर ही दूंगा।
साधु के बोलने के तरीके से ही राजा समझ गया कि साधु उसके सवाल का जवाब 90 दिन पूरे होने से पहले नहीं देगा, चाहे उसे सूली पर ही क्यों न चढा दिया जाए और उसे सूली पर नहीं चढाया जा सकता था, क्योंकि इस सवाल का जवाब केवल वो साधु ही जानता था। इसलिए राजा भी मुस्कुराते हुए साधु का पूरा ईलाज लेने पर मजबूर था।
राजा का ईलाज लेने का क्रम जारी रहा और उसने पूरे 90 दिन तक साधु के आश्रम के चक्कर लगाए तथा अन्तिम दिन उसने साधु से फिर वही सवाल किया, जिसके जवाब में साधु ने कहा कि-
महाराज… इन्सान की एक विशेषता है कि वह किसी भी काम को कभी भी लगातार 90 दिन तक नहीं कर सकता और जब तक कोई इंसान किसी काम को लगातार 90 दिन तक न करे, तब तक वह काम उस इंसान की आदत नहीं बनता। यानी आदत अच्छी हो या बुरी, आदत को आदत बनने के लिए कम से कम लगातार 90 दिन तक पुनरावर्ती की जरूरत होती है।
यदि मैं आपको 30 वें दिन ही ये बात बता देता, तो आप कभी भी पूरे 90 दिन तक आश्रम का चक्कर नहीं लगाते क्योंकि आप जान गए थे कि दवा के नाम पर आपको केवल पानी ही दिया जा रहा था और यदि आप पूरे 90 दिन तक आश्रम के चक्कर नहीं लगाते, तो फिर से आलसी हो जाते। आपको फिर से मोटापा घेर लेता जो कि इस बार निश्चित ही आपकी मृत्यु का कारण बनता।
लेकिन क्योंकि आपने पूरे 90 दिन तक मेरे आश्रम के चक्कर लगाए हैं, इसलिए अब यदि आप चाहें, तब भी आप आलस नहीं कर सकते। चलना नहीं छोड सकते। आप आश्रम नहीं आऐंगे, तो कहीं और जाऐंगे, लेकिन आप चलेंगे क्योंकि चलना अब आपकी आदत बन चुका है।
साधु ने सही ही कहा था क्योंकि अब वह राजा चाह कर भी अपने आपको साधु के आश्रम तक जाने से नहीं रोक पाता था और उस राजा को फिर कभी भी मोटापे ने नहीं घेरा।
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ये कहानी कोई पौराणिक कहानी नहीं है। ये कहानी हर उस व्यक्ति की कहानी है, जो आर्थिक रूप से सक्षम है क्योंकि लगभग 80% आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति मोटापे का शिकार हैं और मोटापा वर्तमान समय की एक बहुत ही भयंकर बीमारी है, जिसे लोग सामान्यत: समझ ही नहीं पाते।
ये एक ऐसी बीमारी है, जो कई अन्य भयंकर बीमारियों जैसे कि Blood Pressure, Heart Attack, Hyper-tension, Diabetes आदि का मूल कारण है और सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि इस मोटापे नाम की बीमारी की कोई दवा ही नहीं है।
दवा है तो सिर्फ और सिर्फ “चलना“
वैज्ञानिकों ने लम्बे समय तक मोटापे पर काफी Research किया और अन्त में केवल यही तथ्य उभरकर सामने आया कि यदि आप हर रोज 10000 कदम चलते हैं, तो आपको कभी भी मोटापा नहीं हो सकता और यदि आपको मोटापा नहीं होता, तो आप अपनी जिन्दगी में कभी भी किसी भी भयंकर बीमारी का शिकार नहीं होंगे।
इस कहानी में एक और बात पर जोर दिया गया है और वो है “आदत“…
आपने भी अपनी जिन्दगी में कई बार, कई कामों को शुरू किया होगा, लेकिन वे काम कभी भी अपने अन्जाम तक नहीं पहुंचे होंगे। अगर आप Student हैं, तो आपने अपने पढने का Schedule (Time-Table) बनाया होगा, बडे हैं, तो हर रोज घूमने जाने अथवा Jogging करने या Jim जाने का Plan बनाया होगा अथवा घर में ही कोई कसरत करने से सम्बंधित डम्बल, मशीन वगेरह ले आए होंगे। दो-चार दिन उसे Use भी किया होगा, लेकिन आप इन में से किसी भी काम को Continue नहीं रख सके।
क्यों?
हजार बहाने दिए जा सकते हैं, इस क्यों के जवाब में लेकिन अन्तिम सच केवल यही है कि आप अपने संकल्प को पूरा नहीं कर सके और इसका मूल कारण सिर्फ इतना ही है कि आप अपने संकल्प को लगातार 90 दिनों तक Continue नहीं रख पाए।
वैज्ञानिकों ने इस बात को भी साबित किया है कि किसी भी अच्छे या बुरे संकल्प को आदत बनने के लिए कम से कम 90 दिनों के लगातार अभ्यास की जरूरत होती है। अगर आप किसी भी तरह से किसी भी स्थिति में किसी काम को कुल 90 दिन तक लगातार कर लेते हैं, तो फिर 91 वें दिन से आपको उस काम को करने के लिए Effort नहीं लगाना पडता, बल्कि वह काम अपने आप ही होने लगता है क्योंकि वह काम आपकी आदत में शामिल हो चुका होता है। फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पडता कि आप सिगरेट पीना सीखना चाहते हैं या सिगरेट छोडना चाहते हैं। अगर आप सिगरेट पीना सीखना चाहते हैं, लेकिन लगातार 90 दिन तक सिगरेट नहीं पीते, तो आप सिगरेट पीना नहीं सीख सकते क्योंकि अगर दो-चार दिन का भी Gap हुआ, तो आप सिगरेट पीना भूल जाऐंगे। जबकि यदि आप Chain Smoker हैं और यदि आप लगातार 90 दिन तक अपने मन को वश में रखकर सिगरेट नहीं पीते हैं, तो 91 वें दिन आप चाहकर भी सिगरेट नहीं पी पाऐंगे। तो यदि आप सिगरेट छोडना चाहते हैं, तो ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है न ही कसम खाने और उसे तोडने की जरूरत है। बस एक दिन अपने आप से कहिए कि अब आप 91 वें दिन से फिर से सिगरेट पीना शुरू करेंगे और वो 91 वां दिन कभी नहीं आएगा।
इसी तरह से यदि आप हर रोज घूमने जाना चाहते हैं, 10000 कदम चलना चाहते हैं, जिम जाना चाहते हैं, Jogging करना चाहते हैं, या कुछ भी ऐसा करना चाहते हैं, जिसे कसम खाकर भी लगातार करने में आप कई बार असफल हो चुके हैं, तो बस अपने आप से कहिए कि आप उस काम को 91 वें दिन से फिर से बन्द कर देंगे और यकीन मानिए, वो 91 वां दिन भी कभी नहीं आएगा।
तो क्या आजमाना चाहेंगे आप भी इस प्रयोग को?
चलिए… आप जो भी कुछ करने के बारे में सोंच रहे हैं अथवा जो भी कुछ करना चाहते हैं जिसे करने में आप पहले असफल हो चुके हैं, उसे Comment के रूप में लिख दीजिए और 91 वें दिन फिर से आकर एक Comment कीजिए कि आपने जो चाहा था, उसे पूरे 90 दिन किया या नहीं और अगर किया, तो क्या अब आप उसे करना बन्द कर सकते हैं?
THSNAK FOR YOUR ADVICE
it really nice story but
aisa such me hota hai Kya ..
I am very thankful for you for such kind of great motivational story related to our H-factor i.e. Health and Habit, and Hope….
Mera 90dino baad weight 68 kg hoga
Main 90 din running ksrunga daily 5km
Very thought full idea..i try my Best..
It is a mirecle way to happy life I will fallow it
I will try definitely tomorrow. I get up early morning and start exercise for reduce my weight.
m 90 din krunga jarur
Very nice I will try.
very nice and motivational story.ialso will try.
Very nice I will try
Very nice
Very very nic..
what a story man, i really motivated from this story and i think it should be start from toady right now…jai shree ram
Thanks…..
Ok boss I’ll definitely trying…..
i will try my best for next 90 days wait and watch …….
Roj subha 7am office jauga 90 roj let ho jata hi
misra ji ! aap ne jo likha h, bo sayad hi koi, itni achhi prkar se samjha sakta ho..
jub aap 90 din aur aadat bali adi, bate, sumjha rahe the, to mujhe, (sovami devki nandan, thakur ji mahraj( jaisa lag raha tha,kabhi kabhi bo bi aise hi bolte hai..
dhnyavaad, bahut achha laga!!
firmilege..:”:..>>
Great story that will be somehow motivational for the the persons suffering with the Disease of Extra Fat.
Thanks!!!!
90 दिनों बाद देखते है
good yar but hota nhi hai………….
Hoga.kisis….karo….life me continuity lao…..