स्वच्छ भारत अभियान, जैसे एक नशा सा था। ऐसा नशा जो खुद नहीं, दूसरो को कराया जाए। जिसने भी हाथ मे झाडू पकड़ी, मानो यही संदेश दे रहा हो कि तुम भी पकड़ो। प्रधानमंत्री भी सबके हाथ में पकड़ाने को तैयार और मंत्री भी। सो, ये नशा धनिया के भी सिर चढ़ गया। धनिया, एक समझदार लेकिन गरीब मजदूर था। वह ग्रामीण रोजगार योजना शुरू करने के लिए सरकार की सराहना करता था परंतु 100 ही दिन का रोजगार देने की एवज में उसी सरकार को कोसता भी था क्योंकि साल के बाकी के 265 दिन वह अपने गांव से पांच किलोमीटर दूर Industries … [Read more...]